"महमूद ख़िलजी": अवतरणों में अंतर
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[[मालवा]] के सुल्तान [[महमूद ग़ोरी]] (1432-36 ई.) का वज़ीर उसने अपने मालिक को ज़हर देकर मार डाला और 1436 ई. में उसकी गद्दी छीन ली। उसने 1436 ई. से 1669 ई. में अपनी मृत्यु तक शासन किया और मालवा में [[ख़िलजी वंश]] चलाया। उसका जीवन पड़ोसी राजाओं-[[गुजरात]] के सुल्तान, [[मेवाड़]] के राणा कुम्भा तथा [[निज़ाम शाह बहमनी]] से युद्ध करने में बीता। उसने राज्य का काफ़ी विस्तार किया तथा कई सुन्दर इमारतें बनवायीं, जिनमें राजधानी [[मांडू]] में निर्मित एक सतखंडी मीनार भी थी। | [[मालवा]] के सुल्तान [[महमूद ग़ोरी]] (1432-36 ई.) का वज़ीर उसने अपने मालिक को ज़हर देकर मार डाला और 1436 ई. में उसकी गद्दी छीन ली। उसने 1436 ई. से 1669 ई. में अपनी मृत्यु तक शासन किया और मालवा में [[ख़िलजी वंश]] चलाया। उसका जीवन पड़ोसी राजाओं-[[गुजरात]] के सुल्तान, [[मेवाड़]] के [[राणा कुम्भा]] तथा [[निज़ाम शाह बहमनी]] से युद्ध करने में बीता। उसने राज्य का काफ़ी विस्तार किया तथा कई सुन्दर इमारतें बनवायीं, जिनमें राजधानी [[मांडू]] में निर्मित एक सतखंडी मीनार भी थी। | ||
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07:04, 18 अप्रैल 2012 का अवतरण
मालवा के सुल्तान महमूद ग़ोरी (1432-36 ई.) का वज़ीर उसने अपने मालिक को ज़हर देकर मार डाला और 1436 ई. में उसकी गद्दी छीन ली। उसने 1436 ई. से 1669 ई. में अपनी मृत्यु तक शासन किया और मालवा में ख़िलजी वंश चलाया। उसका जीवन पड़ोसी राजाओं-गुजरात के सुल्तान, मेवाड़ के राणा कुम्भा तथा निज़ाम शाह बहमनी से युद्ध करने में बीता। उसने राज्य का काफ़ी विस्तार किया तथा कई सुन्दर इमारतें बनवायीं, जिनमें राजधानी मांडू में निर्मित एक सतखंडी मीनार भी थी।