"मेदिनीराय": अवतरणों में अंतर

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'''मेदिनीराय''' [[मेवाड़]] के राणा [[संग्राम सिंह]] का एक स्वामिभक्त सामंत था। वह बड़ा ही वीर और साहसी व्यक्तित्व का धनी था। अपने इन्हीं वीरोचित्त गुणों के कारण वह [[इतिहास]] में प्रसिद्ध है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=381|url=}}
'''मेदिनीराय''' [[मेवाड़]] के राणा [[संग्राम सिंह]] का एक स्वामिभक्त सामंत था। वह बड़ा ही वीर और साहसी व्यक्तित्व का धनी था। अपने इन्हीं वीरोचित्त गुणों के कारण वह [[इतिहास]] में प्रसिद्ध है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=381|url=}}</ref>
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*[[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] ने जब 1528 ई. में [[चन्देरी]] के क़िले पर हमला किया, उस समय क़िला मेदिनीराय के अधीन था।
*[[मुग़ल]] बादशाह [[बाबर]] ने जब 1528 ई. में [[चन्देरी]] के क़िले पर हमला किया, उस समय क़िला मेदिनीराय के अधीन था।
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06:02, 30 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

मेदिनीराय मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का एक स्वामिभक्त सामंत था। वह बड़ा ही वीर और साहसी व्यक्तित्व का धनी था। अपने इन्हीं वीरोचित्त गुणों के कारण वह इतिहास में प्रसिद्ध है।[1]

  • मुग़ल बादशाह बाबर ने जब 1528 ई. में चन्देरी के क़िले पर हमला किया, उस समय क़िला मेदिनीराय के अधीन था।
  • एक भयंकर युद्ध के बाद मेदिनीराय पराजित हुआ और मारा गया तथा क़िले पर मुग़लों का अधिकार हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 381 |

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