"चित्तौड़गढ़ क़िला": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.com/maps?saddr=Chittorgarh,+Rajasthan,+India&daddr=Chittorgarh+Fort,+Chittorgarh,+Rajasthan,+India&hl=en&ll=24.887838,74.635963&spn=0.035816,0.084543&sll=24.887449,74.646091&sspn=0.033947,0.084543&geocode=FajFewEdardyBCnZqBFNQqBoOTGNXzRpyJfweQ%3BFa2_ewEdRf9yBCGCY3KNCCP5Tg&vpsrc=6&mra=ls&t=m&z=14 गूगल मानचित्र] | |मानचित्र लिंक=[http://maps.google.com/maps?saddr=Chittorgarh,+Rajasthan,+India&daddr=Chittorgarh+Fort,+Chittorgarh,+Rajasthan,+India&hl=en&ll=24.887838,74.635963&spn=0.035816,0.084543&sll=24.887449,74.646091&sspn=0.033947,0.084543&geocode=FajFewEdardyBCnZqBFNQqBoOTGNXzRpyJfweQ%3BFa2_ewEdRf9yBCGCY3KNCCP5Tg&vpsrc=6&mra=ls&t=m&z=14 गूगल मानचित्र] | ||
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|शीर्षक 1=भाषा | |शीर्षक 1=भाषा | ||
|पाठ 1=[[हिंदी भाषा|हिंदी]], [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]], [[अंग्रेजी भाषा|अंग्रेजी]] | |पाठ 1=[[हिंदी भाषा|हिंदी]], [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]], [[अंग्रेजी भाषा|अंग्रेजी]] | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
'''चित्तौड़गढ़ क़िला''' [[राजस्थान]] के इतिहास प्रसिद्ध [[चित्तौड़]] में स्थित है। यह क़िला 25.53 [[अक्षांश]] और 74.39 देशांतर पर स्थित है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह [[परमार वंश|परमारों]], [[सोलंकी वंश|सोलंकियों]] और [[चौहान वंश|चौहानों]] के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास [[उदयपुर]] राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा। | '''चित्तौड़गढ़ क़िला''' [[राजस्थान]] के इतिहास प्रसिद्ध [[चित्तौड़]] में स्थित है। यह क़िला 25.53 [[अक्षांश]] और 74.39 देशांतर पर स्थित है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह [[परमार वंश|परमारों]], [[सोलंकी वंश|सोलंकियों]] और [[चौहान वंश|चौहानों]] के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास [[उदयपुर]] राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला [[राजपूत]] शौर्य के [[इतिहास]] में गौरवपूर्ण स्थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा | प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला [[राजपूत]] शौर्य के [[इतिहास]] में गौरवपूर्ण स्थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। | ||
====राजवंशों का शासन==== | |||
चित्तौड़गढ़ का क़िला कई राजवंशों के शासन का साक्षी रहा है, जैसे- | |||
#मोरी या मौर्य (7वीं-8वीं शताब्दी ई.) | |||
#प्रतिहार - 9वीं-10वीं शताब्दी ई. | |||
#परमार - 10वीं-11वीं शताब्दी ई. | |||
#सोलंकी - 12वीं शताब्दी ई. | |||
#गुहीलोत या सिसोदिया | |||
====आक्रमण==== | |||
क़िले के लम्बे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] द्वारा, दूसरा सन 1535 में [[गुजरात]] के [[बहादुरशाह]] द्वारा तथा तीसरा सन 1567-68 में [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] द्वारा किया गया था। प्रत्येक बार यहाँ जौहर किया गया। इसकी प्रसिद्ध स्मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्ट मजबूत क़िले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं, जो [[राजपूत]] वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। | |||
चित्तौड़गढ़ क़िला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल की छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। इस क़िले के अंदर और भी कई आकर्षक स्थल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} |
08:52, 12 दिसम्बर 2012 का अवतरण
चित्तौड़गढ़ का क़िला
चित्तौड़गढ़ क़िला
| |
विवरण | चित्तौड़गढ़ का क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाईवाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | चित्तौड़गढ़ |
निर्माता | मेवाड़ के राजपूतों |
स्थापना | 7 वीं शताब्दी |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24° 53' 10.68", पूर्व- 74° 38' 49.20" |
मार्ग स्थिति | चित्तौड़गढ़ का क़िला, चित्तौड़गढ़ बूँदी रोड से लगभग 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
![]() |
महाराणा प्रताप हवाई अड्डा |
![]() |
चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन, चंडेरिया रेलवे स्टेशन, शंभूपुरा रेलवे स्टेशन |
![]() |
मुरली बस अड्डा |
![]() |
स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा |
क्या देखें | जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी का महल, कालिका माई का मंदिर |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
क्या खायें | राजस्थानी भोजन |
एस.टी.डी. कोड | 01472 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
![]() |
गूगल मानचित्र |
भाषा | हिंदी, राजस्थानी, अंग्रेजी |
अन्य जानकारी | दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। |
अद्यतन | 15:07, 24 नवम्बर 2011 (IST)
|
चित्तौड़गढ़ क़िला राजस्थान के इतिहास प्रसिद्ध चित्तौड़ में स्थित है। यह क़िला 25.53 अक्षांश और 74.39 देशांतर पर स्थित है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह परमारों, सोलंकियों और चौहानों के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास उदयपुर राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा।
इतिहास
प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला राजपूत शौर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था।
राजवंशों का शासन
चित्तौड़गढ़ का क़िला कई राजवंशों के शासन का साक्षी रहा है, जैसे-
- मोरी या मौर्य (7वीं-8वीं शताब्दी ई.)
- प्रतिहार - 9वीं-10वीं शताब्दी ई.
- परमार - 10वीं-11वीं शताब्दी ई.
- सोलंकी - 12वीं शताब्दी ई.
- गुहीलोत या सिसोदिया
आक्रमण
क़िले के लम्बे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा, दूसरा सन 1535 में गुजरात के बहादुरशाह द्वारा तथा तीसरा सन 1567-68 में मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा किया गया था। प्रत्येक बार यहाँ जौहर किया गया। इसकी प्रसिद्ध स्मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्ट मजबूत क़िले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं, जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।
चित्तौड़गढ़ क़िला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल की छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। इस क़िले के अंदर और भी कई आकर्षक स्थल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
-
चित्तौड़गढ़ क़िला, चित्तौड़गढ़
टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दी विश्वकोश (खण्ड- 4) पृष्ठ संख्या- 219
संबंधित लेख