"रेल संग्रहालय, मैसूर": अवतरणों में अंतर
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'''रेल संग्रहालय''' [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] शहर में स्थित है। | '''रेल संग्रहालय''' [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] शहर में स्थित है। रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सीएफटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने है। मैसूर के रेलवे संग्रहालय को भी मैसूर के संग्रहालयों में काफी महत्वपूर्ण स्थान हासिल है। | ||
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इसकी स्थापना वर्ष [[1979]] में की गई। इसमें वर्ष [[1881]] से [[1951]] तक संचालित मैसूर राज्य रेलवे के दिनों की यादें ताजी हो जाती हैं। इसमें रखी गई यादगार वस्तुएं पूर्व में कभी मैसूर राजमहल की शान में चार चांद लगाती थीं। शहर के स्कूलों में कभी विशेष किसी कारण से छुट्टी हो जाए तो स्कूली छात्र-छात्राओं को तत्काल रेलवे संग्रहालय की तरफ भागते हुए देखा जाता है। इसमें 19 वीं शताब्दी के समय से लेकर अब तक रेलवे के क्रमिक विकास की वर्गीकृत जानकारी मिल जाती है। लोकोमोटिव वाष्प इंजनों के कई मॉडल भी इस संग्रहालय की शान बढ़ाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://dakshinbharatrashtramat.blogspot.in/2009/08/blog-post_31.html |title=संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर |accessmonthday=1 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher= दक्षिण भारत राष्ट्रमत|language=हिंदी }} </ref> | |||
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*[[1979]] में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है। | *[[1979]] में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है। | ||
*रेल संग्रहालय का मुख्य आकर्षण चामुंडी गैलरी है जहाँ रेलवे विभाग के विकास का दर्शाती तस्वीरों का रखा गया है। | *रेल संग्रहालय का मुख्य आकर्षण चामुंडी गैलरी है जहाँ रेलवे विभाग के विकास का दर्शाती तस्वीरों का रखा गया है। | ||
*रेल संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं में भाप से चलने वाले इंजन, सिग्नल और [[1899]] में बना सभी सुविधाओं वाला महारानी का सैलून शामिल है। | *रेल संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं में भाप से चलने वाले इंजन, सिग्नल और [[1899]] में बना सभी सुविधाओं वाला महारानी का सैलून शामिल है। |
10:54, 1 जनवरी 2013 का अवतरण
रेल संग्रहालय कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित है। रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सीएफटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने है। मैसूर के रेलवे संग्रहालय को भी मैसूर के संग्रहालयों में काफी महत्वपूर्ण स्थान हासिल है।
स्थापना
इसकी स्थापना वर्ष 1979 में की गई। इसमें वर्ष 1881 से 1951 तक संचालित मैसूर राज्य रेलवे के दिनों की यादें ताजी हो जाती हैं। इसमें रखी गई यादगार वस्तुएं पूर्व में कभी मैसूर राजमहल की शान में चार चांद लगाती थीं। शहर के स्कूलों में कभी विशेष किसी कारण से छुट्टी हो जाए तो स्कूली छात्र-छात्राओं को तत्काल रेलवे संग्रहालय की तरफ भागते हुए देखा जाता है। इसमें 19 वीं शताब्दी के समय से लेकर अब तक रेलवे के क्रमिक विकास की वर्गीकृत जानकारी मिल जाती है। लोकोमोटिव वाष्प इंजनों के कई मॉडल भी इस संग्रहालय की शान बढ़ाते हैं।[1]
दर्शनीय
- रेल संग्रहालय में मैसूर स्टेट रेलवे की उन चीज़ों को प्रदर्शित किया गया है जो 1881-1951 के बीच की हैं।
- 1979 में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है।
- रेल संग्रहालय का मुख्य आकर्षण चामुंडी गैलरी है जहाँ रेलवे विभाग के विकास का दर्शाती तस्वीरों का रखा गया है।
- रेल संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं में भाप से चलने वाले इंजन, सिग्नल और 1899 में बना सभी सुविधाओं वाला महारानी का सैलून शामिल है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।