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'''लायलपुर''' [[पाकिस्तान]] का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। वर्तमान समय में इस शहर को 'फैसलाबाद' के नाम से जाना जाता है। [[भारतीय इतिहास]] में लायलपुर का नाम बड़े ही सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। पाकिस्तान के लायलपुर में ही [[भारत]] के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक [[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] का जन्म हुआ था।
'''लायलपुर''' [[पाकिस्तान]] का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। वर्तमान समय में इस शहर को 'फैसलाबाद' के नाम से जाना जाता है। [[भारतीय इतिहास]] में लायलपुर का नाम बड़े ही सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। पाकिस्तान के लायलपुर में ही [[भारत]] के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक [[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] का जन्म हुआ था।
==इतिहास==
==इतिहास==

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क्लॉक टावर, फैसलाबाद

लायलपुर पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। वर्तमान समय में इस शहर को 'फैसलाबाद' के नाम से जाना जाता है। भारतीय इतिहास में लायलपुर का नाम बड़े ही सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। पाकिस्तान के लायलपुर में ही भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ था।

इतिहास

टेक्सटाइल के लिए पूरी दुनिया में मशहूर लायलपुर शहर भारतीय सीमा से ज़्यादा दूर नहीं है। 60 के दशक के बाद यह शहर फैसलाबाद के नाम से जाना जाने लगा था। चूंकि लायलपुर को 19वीं सदी के अंत में पंजाब के लेफ्टिनेंट जनरल सर जेम्स बी. लायल ने बसाया था, इसीलिए इसका नाम लायलपुर पड़ा। लायलपुर शहर की आधारशिला सन 1896 में रखी गई थी।

घंटाघर

आज इस शहर की दर्शनीय स्थलों में से एक घंटाघर को एक कुएँ के ऊपर बनाया गया है। सन 1906 में यह बन कर तैयार हो गया था। बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि इस घंटाघर का निर्माण विश्व प्रसिद्ध आगरा का 'ताजमहल' बनाने वालों के परिवार से आने वाले गुलाब ख़ान की देखरेख में हुआ था। यहाँ लगी घड़ी मुंबई से मंगाई गई थी। यह माना जाता है कि यह घंटाघर महारानी विक्टोरिया की मौत के बाद उनकी याद में बनाया गया था।

खान-पान

ब्रिटिश झंडे यूनियन जैक की तरह बसा लायलपुर (वर्तमान फैसलाबाद) पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर में खड़े होकर यह कह पाना कठिन हो जाता है कि हम उस समय उत्तर भारत के किसी शहर में खड़े हैं या पाकिस्तान में। वही पंजाबी संस्कृति, वही समोसे, दही भल्ले, गोलगप्पे, पुलाव और बिरयानी, गन्ने का रस, नींबू पानी और वही सहवाग ब्रांड का बादाम दूध। समोसा यहाँ इतना लोकप्रिय है कि एक चौक का नाम ही 'समोसा चौक' रख दिया गया है। यहाँ के समोसे तो ख़ास होते ही हैं, इसके साथ मिलने वाली तरह-तरह की चटनी और भी मजेदार होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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