"जयचामराजेन्द्र संग्रहालय तथा कला दीर्घा": अवतरणों में अंतर
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* इसमें ऐतिहासिक धरोहरों का बड़ा ख़ज़ाना मौजूद है जो [[मैसूर का इतिहास|मैसूर के इतिहास]] के साथ ही शहर की सभ्यता-संस्कृति की पहचान बन चुका है। | * इसमें ऐतिहासिक धरोहरों का बड़ा ख़ज़ाना मौजूद है जो [[मैसूर का इतिहास|मैसूर के इतिहास]] के साथ ही शहर की सभ्यता-संस्कृति की पहचान बन चुका है। | ||
* इस संग्रहालय का दौरा करने वालों को मैसूर के साथ ही दुनिया के कई देशों से लाकर रखी गई | * इस संग्रहालय का दौरा करने वालों को मैसूर के साथ ही दुनिया के कई देशों से लाकर रखी गई ख़ास चीजें आकर्षित करती हैं। इनमें [[फ़्रांस]] से लाई गई संगीतमय 'घड़ी कलेंडर' प्रमुख है। इसमें लोगों को दिनांक तथा समय अलग-अलग पैनलों पर दिखता है और साथ ही [[संगीत]] का भी आनंद मिलता है। माना जाता है कि यह 'घड़ी कलेंडर' पूरे देश में एक ही है। | ||
* संग्रहालय में वाडेयार राजघराने के सदस्यों द्वारा बनाई गई चित्रकारी का एक बड़ा ख़ज़ाना है। इसमें वाडेयार शासकों द्वारा समय-समय पर प्रचलित सिक्कों तथा उनके द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले परिधानों का भी अच्छा संकलन है। | * संग्रहालय में वाडेयार राजघराने के सदस्यों द्वारा बनाई गई चित्रकारी का एक बड़ा ख़ज़ाना है। इसमें वाडेयार शासकों द्वारा समय-समय पर प्रचलित सिक्कों तथा उनके द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले परिधानों का भी अच्छा संकलन है। | ||
* इस संग्रहालय भवन को देखकर भी वाडेयार राजघराने के शासकों के रुतबे का अंदाजा लगाया जा सकता है।<ref>{{cite web |url=http://dakshinbharatrashtramat.blogspot.in/2009/08/blog-post_31.html |title=संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर |accessmonthday=1 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher= दक्षिण भारत राष्ट्रमत|language=हिंदी }} </ref> | * इस संग्रहालय भवन को देखकर भी वाडेयार राजघराने के शासकों के रुतबे का अंदाजा लगाया जा सकता है।<ref>{{cite web |url=http://dakshinbharatrashtramat.blogspot.in/2009/08/blog-post_31.html |title=संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर |accessmonthday=1 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher= दक्षिण भारत राष्ट्रमत|language=हिंदी }} </ref> |
10:35, 14 मई 2013 के समय का अवतरण
जयचामराजेन्द्र संग्रहालय तथा कला दीर्घा
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विवरण | यह संग्रहालय जगमोहन महल में स्थित है जो आम जनता के लिए वर्ष 1955 में खोला गया था। |
राज्य | कर्नाटक |
नगर | मैसूर |
प्रसिद्धि | संग्रहालय में वाडेयार राजघराने के सदस्यों द्वारा बनाई गई चित्रकारी का एक बड़ा ख़ज़ाना है। |
गूगल मानचित्र |
जयचामराजेन्द्र संग्रहालय तथा कला दीर्घा कर्नाटक राज्य के मैसूर के जगमोहन महल में स्थित है जो कि आम जनता के लिए वर्ष 1955 में खोला गया था।
- इस संग्रहालय को तत्कालीन वाडेयार शासक जयचामराज वाडेयार ने ही जनता को समर्पित किया था।
- इसमें ऐतिहासिक धरोहरों का बड़ा ख़ज़ाना मौजूद है जो मैसूर के इतिहास के साथ ही शहर की सभ्यता-संस्कृति की पहचान बन चुका है।
- इस संग्रहालय का दौरा करने वालों को मैसूर के साथ ही दुनिया के कई देशों से लाकर रखी गई ख़ास चीजें आकर्षित करती हैं। इनमें फ़्रांस से लाई गई संगीतमय 'घड़ी कलेंडर' प्रमुख है। इसमें लोगों को दिनांक तथा समय अलग-अलग पैनलों पर दिखता है और साथ ही संगीत का भी आनंद मिलता है। माना जाता है कि यह 'घड़ी कलेंडर' पूरे देश में एक ही है।
- संग्रहालय में वाडेयार राजघराने के सदस्यों द्वारा बनाई गई चित्रकारी का एक बड़ा ख़ज़ाना है। इसमें वाडेयार शासकों द्वारा समय-समय पर प्रचलित सिक्कों तथा उनके द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले परिधानों का भी अच्छा संकलन है।
- इस संग्रहालय भवन को देखकर भी वाडेयार राजघराने के शासकों के रुतबे का अंदाजा लगाया जा सकता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
- Sri Jayachamarajendra Art Gallery Mysore
- JAYACHAMARAJENDRA MUSEUM
- Jayachamarajendra Museum and Art Gallery