"प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, मैसूर": अवतरणों में अंतर

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केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित किए जाने वाले क्षेत्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (आरएमएनएच) की स्थापना मैसूर में वर्ष [[1988]] में हुई थी तथा इस संग्रहालय को वर्ष [[1995]] में आम जनता के लिए खोला गया था।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित किए जाने वाले क्षेत्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (आरएमएनएच) की स्थापना मैसूर में वर्ष [[1988]] में हुई थी तथा इस संग्रहालय को वर्ष [[1995]] में आम जनता के लिए खोला गया था।
==विशेषता==
==विशेषता==
इसमें दर्शकों के लिए एक गुफ़ानुमा संरचना बनी हुई है। इसी गुफ़ा से गुजरते हुए दर्शकों के सामने जीवन के शुरुआत की रोचक कहानी परत-दर-परत खुलती जाती है। इसके साथ ही इस गुफ़ा में लोगों को चार्ल्स डार्विन के जीवन के विकास का सिद्धान्त भी समझ में आ जाता है। यह पूरे देश में दृष्टिबाधितों के लिए संग्रहालय बाग़ का काम करने वाला पहला संग्रहालय है। इसके साथ ही इसे जीव विज्ञान का अध्ययन करने के लिए एक बेहतरीन संसाधन माना जाता है। खास तौर पर दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को इस संग्रहालय में विभिन्न पेड़-पौधों पर ब्रेल लिपि की मदद से लिखे उनके नाम पढ़कर तथा उनकी विशेष सुगंधों से उनको पहचानने की सुविधा मिलती है। वे पेड़-पौधों की पत्तियों का स्वाद चखकर उन्हें याद रख सकते हैं। इस बगीचे में रोमांचकारी खेलों की भी व्यवस्था की गई है। <ref>{{cite web |url=http://dakshinbharatrashtramat.blogspot.in/2009/08/blog-post_31.html |title=संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर |accessmonthday=1 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher= दक्षिण भारत राष्ट्रमत|language=हिंदी }} </ref>
इसमें दर्शकों के लिए एक गुफ़ानुमा संरचना बनी हुई है। इसी गुफ़ा से गुजरते हुए दर्शकों के सामने जीवन के शुरुआत की रोचक कहानी परत-दर-परत खुलती जाती है। इसके साथ ही इस गुफ़ा में लोगों को चार्ल्स डार्विन के जीवन के विकास का सिद्धान्त भी समझ में आ जाता है। यह पूरे देश में दृष्टिबाधितों के लिए संग्रहालय बाग़ का काम करने वाला पहला संग्रहालय है। इसके साथ ही इसे जीव विज्ञान का अध्ययन करने के लिए एक बेहतरीन संसाधन माना जाता है। ख़ास तौर पर दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को इस संग्रहालय में विभिन्न पेड़-पौधों पर ब्रेल लिपि की मदद से लिखे उनके नाम पढ़कर तथा उनकी विशेष सुगंधों से उनको पहचानने की सुविधा मिलती है। वे पेड़-पौधों की पत्तियों का स्वाद चखकर उन्हें याद रख सकते हैं। इस बगीचे में रोमांचकारी खेलों की भी व्यवस्था की गई है। <ref>{{cite web |url=http://dakshinbharatrashtramat.blogspot.in/2009/08/blog-post_31.html |title=संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर |accessmonthday=1 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher= दक्षिण भारत राष्ट्रमत|language=हिंदी }} </ref>





10:35, 14 मई 2013 के समय का अवतरण

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, मैसूर
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, मैसूर
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, मैसूर
राज्य कर्नाटक
नगर मैसूर
स्थापना इसकी स्थापना वर्ष 1988 में हुई थी तथा इस संग्रहालय को वर्ष 1995 में आम जनता के लिए खोला गया था।
भौगोलिक स्थिति 12°18′21.07″ उत्तर 76°40′26.76″ पूर्व
प्रसिद्धि दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को इस संग्रहालय में विभिन्न पेड़-पौधों पर ब्रेल लिपि की मदद से लिखे उनके नाम पढ़कर तथा उनकी विशेष सुगंधों से उनको पहचानने की सुविधा मिलती है।
गूगल मानचित्र
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, मैसूर नगर कर्नाटक राज्य में स्थित है।

स्थापना

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित किए जाने वाले क्षेत्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (आरएमएनएच) की स्थापना मैसूर में वर्ष 1988 में हुई थी तथा इस संग्रहालय को वर्ष 1995 में आम जनता के लिए खोला गया था।

विशेषता

इसमें दर्शकों के लिए एक गुफ़ानुमा संरचना बनी हुई है। इसी गुफ़ा से गुजरते हुए दर्शकों के सामने जीवन के शुरुआत की रोचक कहानी परत-दर-परत खुलती जाती है। इसके साथ ही इस गुफ़ा में लोगों को चार्ल्स डार्विन के जीवन के विकास का सिद्धान्त भी समझ में आ जाता है। यह पूरे देश में दृष्टिबाधितों के लिए संग्रहालय बाग़ का काम करने वाला पहला संग्रहालय है। इसके साथ ही इसे जीव विज्ञान का अध्ययन करने के लिए एक बेहतरीन संसाधन माना जाता है। ख़ास तौर पर दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को इस संग्रहालय में विभिन्न पेड़-पौधों पर ब्रेल लिपि की मदद से लिखे उनके नाम पढ़कर तथा उनकी विशेष सुगंधों से उनको पहचानने की सुविधा मिलती है। वे पेड़-पौधों की पत्तियों का स्वाद चखकर उन्हें याद रख सकते हैं। इस बगीचे में रोमांचकारी खेलों की भी व्यवस्था की गई है। [1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।

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