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'''मुजफ़्फ़र जंग''' निज़ामुलमुल्क चिनकिलिच ख़ाँ का 'दौहित्र' <ref>लड़की का लड़का, नाती, नवाषा</ref> था। निज़ाम की मृत्यु के उपरान्त 1748 ई. में वह अपने मामा नासिर जंग के स्थान पर [[हैदराबाद]] की गद्दी का दावेदार बना। | '''मुजफ़्फ़र जंग''' निज़ामुलमुल्क चिनकिलिच ख़ाँ का 'दौहित्र' <ref>लड़की का लड़का, नाती, नवाषा</ref> था। निज़ाम की मृत्यु के उपरान्त 1748 ई. में वह अपने मामा [[नासिर जंग]] के स्थान पर [[हैदराबाद]] की गद्दी का दावेदार बना। | ||
*मुजफ़्फ़र जंग ने [[डूप्ले]] के अधीन [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] का समर्थन प्राप्त करने में सफलता पाई थी। | *मुजफ़्फ़र जंग ने [[डूप्ले]] के अधीन [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] का समर्थन प्राप्त करने में सफलता पाई थी। | ||
*उसे [[चन्दा साहब]] के समान मित्र भी मिला, जो [[अर्काट]] की गद्दी का दावेदार था। | *उसे [[चन्दा साहब]] के समान मित्र भी मिला, जो [[अर्काट]] की गद्दी का दावेदार था। | ||
*1750 ई. में नासिर जंग की हत्या कर दी गई थी और फ़्राँसीसियों की सहायता से मुजफ़्फ़र जंग को निज़ामत मिल गई। | *1750 ई. में [[नासिर जंग]] की हत्या कर दी गई थी और फ़्राँसीसियों की सहायता से मुजफ़्फ़र जंग को निज़ामत मिल गई। | ||
*फ़्राँसीसियों की इस मदद के बदले मुजफ़्फ़र जंग ने उन्हें विशेष सुविधाएँ प्रदान कीं। | *फ़्राँसीसियों की इस मदद के बदले मुजफ़्फ़र जंग ने उन्हें विशेष सुविधाएँ प्रदान कीं। | ||
*1751 ई. में एक आकस्मिक मुठभेड़ में मुजफ़्फ़र जंग मारा गया और [[हैदराबाद]] की गद्दी उसके तीसरे मामा सलावत जंग के अधिकार में आ गई। | *1751 ई. में एक आकस्मिक मुठभेड़ में मुजफ़्फ़र जंग मारा गया और [[हैदराबाद]] की गद्दी उसके तीसरे मामा सलावत जंग के अधिकार में आ गई। |
14:19, 2 जून 2013 के समय का अवतरण
मुजफ़्फ़र जंग निज़ामुलमुल्क चिनकिलिच ख़ाँ का 'दौहित्र' [1] था। निज़ाम की मृत्यु के उपरान्त 1748 ई. में वह अपने मामा नासिर जंग के स्थान पर हैदराबाद की गद्दी का दावेदार बना।
- मुजफ़्फ़र जंग ने डूप्ले के अधीन फ़्राँसीसियों का समर्थन प्राप्त करने में सफलता पाई थी।
- उसे चन्दा साहब के समान मित्र भी मिला, जो अर्काट की गद्दी का दावेदार था।
- 1750 ई. में नासिर जंग की हत्या कर दी गई थी और फ़्राँसीसियों की सहायता से मुजफ़्फ़र जंग को निज़ामत मिल गई।
- फ़्राँसीसियों की इस मदद के बदले मुजफ़्फ़र जंग ने उन्हें विशेष सुविधाएँ प्रदान कीं।
- 1751 ई. में एक आकस्मिक मुठभेड़ में मुजफ़्फ़र जंग मारा गया और हैदराबाद की गद्दी उसके तीसरे मामा सलावत जंग के अधिकार में आ गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 371 |
- ↑ लड़की का लड़का, नाती, नवाषा