"एकांकी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''एकांकी''' साहित्य की एक विधा है। एक अंक वाले नाटकों ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (श्रेणी:उपन्यास (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
{{साहित्यिक शब्दावली}}
{{साहित्यिक शब्दावली}}
[[Category:गद्य साहित्य]]
[[Category:गद्य साहित्य]]
[[Category:उपन्यास]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

11:59, 30 जून 2013 का अवतरण

एकांकी साहित्य की एक विधा है। एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं। अंग्रेज़ी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए हिंदी में 'एकांकी नाटक' और 'एकांकी' दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है।

इतिहास

हिंदी साहित्य के इतिहासकार एकांकी का प्रारंभ भारतेंदु युग से मानते हैं। जयशंकर प्रसाद के 'एक घूँट' (1929ई.) से दूसरा चरण, भुवनेश्वर प्रसाद के 'कारवाँ' (1935 ई.) से तीसरा तथा डॉ. रामकुमार वर्मा के 'रेशमी टाई' (1941 ई.) संकलन से चौथे चरण की शुरूआत कही गई है। किंतु उक्त कालविभाजन में उन एकांकीकारों को सम्मिलित नहीं किया गया है, जिन्होंने 1955 ई. के आसपास लिखना प्रारंभ किया है और आज भी लिख रहे हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख