"विश्व ओज़ोन दिवस": अवतरणों में अंतर
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धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। | |विवरण='''विश्व ओज़ोन दिवस या ओज़ोन परत संरक्षण दिवस''' [[16 सितम्बर]] को पूरे विश्व में मनाया जाता है। | ||
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'''विश्व ओज़ोन दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]:''World Ozone Day'') या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' [[16 सितम्बर]] को पूरे विश्व में मनाया जाता है। धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। प्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज़ का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है। इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओज़ोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे [[सूर्य]] से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है। दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओज़ोन परत को खतरा पैदा हो गया है। | |||
==ओज़ोन एवं ओज़ोन परत== | |||
ओज़ोन एक हल्के [[नीला रंग|नीले रंग]] की [[गैस]] होती है जो [[आक्सीजन]] के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं। यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा एसी और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। अपना जीवन अधिक से अधिक आरामदायक बनाने के लिए हम दिन-प्रतिदिन प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहे हैं यही उसका नतीजा है। पिछले दो दशकों से समताप मंडल में ओज़ोन की मात्रा कम हो रही है। इसका मुख्य कारण रेफ्रिजरेटर व वातानुकूलित उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली गैस, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन और हैलोन हैं। यह गैसें ऐरोसोल में तथा फोम की वस्तुओं को फुलाने और आधुनिक अग्निशमन उपकरणों में प्रयोग की जाती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र [[अंटार्कटिक महासागर|अंटार्कटिका]] के ऊपर स्थित है। | |||
==पराबैगनी किरणों से नुकसान== | |||
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===विश्व ओज़ोन दिवस का इतिहास=== | |||
ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन [[23 जनवरी]], [[1995]] को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में [[2010]] तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए। हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है। ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए जरूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। रूम फ्रेशनर्स व केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए और ओज़ोन फ्रेंडली रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशन का ही इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा अपने घर की बनावट ओज़ोन फ्रेंडली तरीके से किया जाए, जिसमें रोशनी, हवा व ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग हो।<ref>{{cite web |url=http://days.jagranjunction.com/2011/09/16/world-ozone-day-history-about-ozone-day/ |title=विश्व ओजोन दिवस |accessmonthday=12 सितम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिंदी }}</ref> | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://ozone.unep.org/new_site/en/index.php UNITED NATIONS ENVIRONMENT PROGRAMME (OZONE SECRETARIAT)] | |||
*[http://zeenews.india.com/slideshow/world-ozone-day_60.html World ozone Day] | |||
*[http://webiica.iica.ac.cr/comuniica/n_2/english/f_oz.htm WORLD OZONE DAY] | |||
*[http://tec.sciencedarshan.in/2010/12/world-ozone-day.html विश्व ओज़ोन दिवस पर व्याख्यान] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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13:37, 12 सितम्बर 2013 का अवतरण
विश्व ओज़ोन दिवस
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विवरण | विश्व ओज़ोन दिवस या ओज़ोन परत संरक्षण दिवस 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। |
उद्देश्य | लोगों को ओज़ोन परत के संरक्षण हेतु जागरुक करना |
इतिहास | 23 जनवरी, 1995 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। |
संबंधित लेख | विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व जल दिवस |
अन्य जानकारी | ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए जरूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। |
विश्व ओज़ोन दिवस (अंग्रेज़ी:World Ozone Day) या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। प्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज़ का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है। इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओज़ोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है। दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओज़ोन परत को खतरा पैदा हो गया है।
ओज़ोन एवं ओज़ोन परत
ओज़ोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं। यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा एसी और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। अपना जीवन अधिक से अधिक आरामदायक बनाने के लिए हम दिन-प्रतिदिन प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहे हैं यही उसका नतीजा है। पिछले दो दशकों से समताप मंडल में ओज़ोन की मात्रा कम हो रही है। इसका मुख्य कारण रेफ्रिजरेटर व वातानुकूलित उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली गैस, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन और हैलोन हैं। यह गैसें ऐरोसोल में तथा फोम की वस्तुओं को फुलाने और आधुनिक अग्निशमन उपकरणों में प्रयोग की जाती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है।
पराबैगनी किरणों से नुकसान
आमतौर पर ये पराबैगनी किरण (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक किरण है जिसमें ऊर्जा ज्यादा होती है। यह ऊर्जा ओज़ोन की परत को नष्ट या पतला कर रही है। इन पराबैगनी किरणों को तीन भागों में बांटा गया है और इसमें से सबसे ज्यादा हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है। ओज़ोन परत हमें उन किरणों से बचाती है, जिनसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। पराबैगनी किरणों (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) की बढ़ती मात्रा से चर्म कैंसर, मोतियाबिंद के अलावा शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं, इसका असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है।
विश्व ओज़ोन दिवस का इतिहास
ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में 2010 तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए। हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है। ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए जरूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। रूम फ्रेशनर्स व केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए और ओज़ोन फ्रेंडली रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशन का ही इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा अपने घर की बनावट ओज़ोन फ्रेंडली तरीके से किया जाए, जिसमें रोशनी, हवा व ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग हो।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विश्व ओजोन दिवस (हिंदी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 12 सितम्बर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
- UNITED NATIONS ENVIRONMENT PROGRAMME (OZONE SECRETARIAT)
- World ozone Day
- WORLD OZONE DAY
- विश्व ओज़ोन दिवस पर व्याख्यान
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