"कुर्रम वादी": अवतरणों में अंतर
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*तूरी पश्तूनों के बारे में कहा जाता है कि यह किसी ज़माने में तुर्की नस्ल के हुआ करते थे। लगभग 600 साल पहले तूरियों पर सुन्नी-पंथी 'बंगश पश्तून' क़बीले ने अधिकार जमा लिया था, लेकिन इनमें आपसी लड़ाईयाँ आज भी जारी हैं। | *तूरी पश्तूनों के बारे में कहा जाता है कि यह किसी ज़माने में तुर्की नस्ल के हुआ करते थे। लगभग 600 साल पहले तूरियों पर सुन्नी-पंथी 'बंगश पश्तून' क़बीले ने अधिकार जमा लिया था, लेकिन इनमें आपसी लड़ाईयाँ आज भी जारी हैं। | ||
*कुर्रम वादी की पूर्वी तरफ़ सुन्नी पश्तून रहते हैं, जो ज़ाज़ी, मंगल, पारस और बंगश क़बीलों के हैं। | *कुर्रम वादी की पूर्वी तरफ़ सुन्नी पश्तून रहते हैं, जो ज़ाज़ी, मंगल, पारस और बंगश क़बीलों के हैं। | ||
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08:10, 21 जून 2014 का अवतरण
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कुर्रम वादी एक ख़ूबसूरत स्थान, जो पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर में अफ़ग़ानिस्तान से लगा हुआ है। प्राचीन काल में इसे वैदिक संस्कृत में ऋग्वेद में 'क्रुमू' कहा जाता था।
- प्रशासनिक रूप से यह वादी पाकिस्तान के संघ-शासित क़बीलाई क्षेत्र का एक विभाग है।
- कुर्रम वादी का नाम इसमें से गुज़रने वाली कुर्रम नदी से आया है और इसके उत्तर में बर्फ़ से ढके सफ़ेद कोह के पर्वत हैं।
- इस वादी में रहने वाले लोग पश्तो बोलने वाले पठान हैं।
- पश्चिमी कुर्रम वादी में तूरी पठान रहते हैं, जो धर्म से ज़्यादातर शिया मुसलमान हैं, हालांकि वैसे पठान अधिकतर सुन्नी होते हैं। इस वजह से इनकी और कट्टरवादी तालिबान गुटों की नहीं बनती और आपसी झड़पें होती रहती हैं।
- तूरी पश्तूनों के बारे में कहा जाता है कि यह किसी ज़माने में तुर्की नस्ल के हुआ करते थे। लगभग 600 साल पहले तूरियों पर सुन्नी-पंथी 'बंगश पश्तून' क़बीले ने अधिकार जमा लिया था, लेकिन इनमें आपसी लड़ाईयाँ आज भी जारी हैं।
- कुर्रम वादी की पूर्वी तरफ़ सुन्नी पश्तून रहते हैं, जो ज़ाज़ी, मंगल, पारस और बंगश क़बीलों के हैं।
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