"अमीर ख़ाँ": अवतरणों में अंतर
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'''अमीर ख़ाँ''' [[पिण्डारी|पिण्डारियों]] का सरदार और भाड़े पर लड़ने वाले [[पठान|पठानों]] तथा लुटेरों का नेता था। | '''अमीर ख़ाँ''' [[पिण्डारी|पिण्डारियों]] का सरदार और भाड़े पर लड़ने वाले [[पठान|पठानों]] तथा लुटेरों का नेता था। | ||
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अमीर ख़ाँ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अमीर ख़ाँ (बहुविकल्पी) |
अमीर ख़ाँ पिण्डारियों का सरदार और भाड़े पर लड़ने वाले पठानों तथा लुटेरों का नेता था।
- 16वीं शताब्दी के आरम्भ में मध्य भारत में, जब तीसरा आंग्ल-मराठा युद्ध हुआ तो अमीर ख़ाँ पहले होल्कर के संरक्षण में रहकर लड़ा। लेकिन बाद में अंग्रेज़ों ने उसे अपने पक्ष में मिला लिया और उसे टोंक रियासत का नवाब मान लिया, जहाँ उसके परिवार के लोग 1948 ई. तक नवाब रहे।[1]
- 1948 ई. में टोंक रियासत का भारत में विलयन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 15 |