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राधाबिनोद पाल

राधाबिनोद पाल (अंग्रेज़ी: Radhabinod Pal जन्म-27 जनवरी 1886; मृत्यु- 10 जनवरी 1967) टोक्यो, जापान युद्ध अपराध न्यायाधिकरण में भारतीय न्यायाधीश थे, जिन्होंने अन्य न्यायाधीशों के साथ यह दावा करते हुए असहमति जताई कि मुकदमा युद्ध के विजेताओं द्वारा प्रतिकार में एक अभ्यास था और जापान के युद्ध के समय के नेता दोषी नहीं थे।[1]

  • राधाबिनोद का जन्म 27 जनवरी 1886 को हुआ था।
  • कोलकाता के प्रेसिडेन्सी कॉलेज तथा कोलकाता विश्वविद्यालय से क़ानून की शिक्षा पूर्ण करके वे इसी विश्वविद्यालय में 1923 से 1936 तक अध्यापक रहे।
  • इन्हें 1941 में कोलकाता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • जब उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापान के विरुद्ध ‘टोक्यो ट्रायल्स’ नामक मुकदमा शुरू किया तब उन्हें इसमें न्यायाधीश बनाया गया।
  • भारत और जापान के संबंधों में पाल के योगदान को आज भी याद किया जाता है।
  • युद्ध अपराधों के मुकदमे के बाद, उनको संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विधि आयोग में चुना गया, जहां उन्होंंने 1952 से 1966 तक सेवा की।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राधाबिनोद पाल (हिंदी) www.mea.gov.in। अभिगमन तिथि: 23 अक्टूबर, 2016।

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