"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर
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-[[दिल्ली]] | -[[दिल्ली]] | ||
-[[बैंगलोर]] | -[[बैंगलोर]] | ||
||खेलों के स्तर में सुधार | ||खेलों के स्तर में सुधार करने हेतु राजकुमारी अमृत कौर कोचिंग योजना, [[पटियाला]] में आरंभ हुई। मूलत: इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष [[1953]] में हुई थी। | ||
{'आदेश' का संबंध है (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-111 | {'आदेश' का संबंध है (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-111 | ||
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||वॉलीबॉल एक ऐसा खेल है जो हाथों से खेला जाता है, इस खेल का नाम वॉलीबॉल इसलिए पड़ा क्योंकि इस खेल में गेंद को जमीन पर टंपा खाने नहीं दिया जाता गेंद ऊपर-ही-ऊपर हाथ के प्रहार से जाल के एक तरफ से दूसरे तरफ खिलाड़ियों द्वारा फेंकी जाती है। वॉलीबॉल खेल के मैदान की लंबाई 18 मीटर चौड़ाई 0 मीटर होती है। मैदान के रेखांकन में सभी लाइनों की चौड़ाई 5 सेमी. होती है। | ||वॉलीबॉल एक ऐसा खेल है जो हाथों से खेला जाता है, इस खेल का नाम वॉलीबॉल इसलिए पड़ा क्योंकि इस खेल में गेंद को जमीन पर टंपा खाने नहीं दिया जाता गेंद ऊपर-ही-ऊपर हाथ के प्रहार से जाल के एक तरफ से दूसरे तरफ खिलाड़ियों द्वारा फेंकी जाती है। वॉलीबॉल खेल के मैदान की लंबाई 18 मीटर चौड़ाई 0 मीटर होती है। मैदान के रेखांकन में सभी लाइनों की चौड़ाई 5 सेमी. होती है। | ||
{खेल कूद में 'स्कोलियोसिस' | {निम्न खेल कूद में 'स्कोलियोसिस' की उच्च दर किसमें देखी गयी है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-91 | ||
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+जिमनास्ट और तैराक | +जिमनास्ट और तैराक | ||
-तीरंदाज और निशानेबाज | -तीरंदाज और निशानेबाज | ||
-फुटबॉल और हॉकी के खिलाड़ी | -[[फुटबॉल]] और [[हॉकी]] के खिलाड़ी | ||
-बास्केटबॉल और वॉलीबॉल के खिलाड़ी | -[[बास्केटबॉल]] और वॉलीबॉल के खिलाड़ी | ||
||स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की संपूर्ण रीढ़ वक्राकार (Curved) हो जाती है और यह वक्रता 'C' या 'S' के आकार में हो सकती है। कुछ विशिष्ट खेलों जैसे तैराकी तथा जिमनास्टिक आदि से संबद्ध खिलाड़ियों में इस रोग की संभावना अधिक उत्पन्न हो जाती है। इन खिलाड़ियों में रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में ढीलापन आ जाने से ऐसी संभावना उत्पन्न होती है। | ||स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की संपूर्ण रीढ़ वक्राकार (Curved) हो जाती है और यह वक्रता 'C' या 'S' के आकार में हो सकती है। कुछ विशिष्ट खेलों जैसे तैराकी तथा जिमनास्टिक आदि से संबद्ध खिलाड़ियों में इस रोग की संभावना अधिक उत्पन्न हो जाती है। इन खिलाड़ियों में रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में ढीलापन आ जाने से ऐसी संभावना उत्पन्न होती है। | ||
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-[[1936]], बर्लिन | -[[1936]], बर्लिन | ||
-[[1936]], मेलबर्न | -[[1936]], मेलबर्न | ||
||फील्ड हॉकी को वर्ष [[1908]] के लंदन ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। [[इंग्लैंड]] ने फाइनल में आयरलैंड को पराजित कर हॉकी का स्वर्ण पदक जीत लिया था। | ||फील्ड हॉकी को वर्ष [[1908]] के लंदन ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। [[इंग्लैंड]] ने फाइनल में आयरलैंड को पराजित कर [[हॉकी]] का स्वर्ण पदक जीत लिया था। | ||
{कक्षा दो के बच्चों को पी.टी. सिखाने के लिए कौन-सी शिक्षण पद्धति उपर्युक्त होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-13 | {कक्षा दो के बच्चों को पी.टी. सिखाने के लिए कौन-सी शिक्षण पद्धति उपर्युक्त होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-13 | ||
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-[[जौ]] | -[[जौ]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||स्टॉर्च जटिल कार्बोहाइड्रेट्स हैं। इनमें [[शक्कर|चीनी]] के कई किस्म के अणु रासायनिक तौर पर मिले होते हैं। ये डबल रोटी, अनाज ([[गेहूं]], [[बाजरा]] व [[चावल]]), स्टॉर्च वाली सब्जियों व सभी दालों ([[चना]], मूंग, राजमा) आदि में मिलते हैं। इसका बुनियादी कार्य [[मानव शरीर|शरीर]] खासतौर पर [[मस्तिष्क|दिमाग]] की तंतु प्रणाली को [[ऊर्जा]] या ताकत प्रदान करना है। | ||स्टॉर्च जटिल कार्बोहाइड्रेट्स हैं। इनमें [[शक्कर|चीनी]] के कई किस्म के [[अणु]] रासायनिक तौर पर मिले होते हैं। ये डबल रोटी, अनाज ([[गेहूं]], [[बाजरा]] व [[चावल]]), स्टॉर्च वाली सब्जियों व सभी दालों ([[चना]], मूंग, राजमा) आदि में मिलते हैं। इसका बुनियादी कार्य [[मानव शरीर|शरीर]] खासतौर पर [[मस्तिष्क|दिमाग]] की तंतु प्रणाली को [[ऊर्जा]] या ताकत प्रदान करना है। | ||
{कोशिकाओं के समूह को कहते हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-12 | {[[कोशिका|कोशिकाओं]] के समूह को कहते हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-12 | ||
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-[[हृदय]] | -[[हृदय]] | ||
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-[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] | -[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] | ||
-हड्डियां | -हड्डियां | ||
||सजीवों में कोशिका मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। [[पृथ्वी]] पर लाखों जीव हैं। वह | ||सजीवों में [[कोशिका]] मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। [[पृथ्वी]] पर लाखों जीव हैं। वह आकृति एवं आकार में भिन्न होते हैं। उनके अंगों की आकृति, आकार एवं कोशिकाओं की संख्या में भी भिन्नता होती है। वह जीव जिनका [[मानव शरीर|शरीर]] एक से अधिक कोशिकाओं का बना होता है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं। एक कोशिका वाले जीवों को एककोशिकीय जीव कहते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में सभी कार्य विशिष्ट कोशिकाओं के समूह द्वारा संपादित किए जाते हैं। कोशिकाओं का यह समूह [[ऊतक]] का निर्माण करते हैं तथा विभिन्न ऊतक अंगों का निर्माण करते हैं। | ||
{प्राचीन ग्रीस में तीरंदाजी शिक्षक जाने जाते थे- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-219 प्रश्न-25 | {प्राचीन ग्रीस में तीरंदाजी शिक्षक जाने जाते थे- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-219 प्रश्न-25 | ||
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+नाड़ी शुद्धि | +नाड़ी शुद्धि | ||
-त्राटक | -त्राटक | ||
||आसनों तथा प्राणायाम के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों के शुद्धिकरण के लिए योग पद्धति में कुछ और क्रियाओं का उपयोग होता है। इन्हें षट क्रियाएं या षटकर्म भी कहते हैं। ये हैं-1. नेति, 2.धौति, 3.बस्ति, 4.त्राटक, 5.न्यौली और 6.कपालभाति। नेति कई प्रकार से की जाती है- जैले- जलनेति, सूत्रनेति, घृतनेत्रि, तेलनेति एवं दुग्धनेति। नाड़ी शुद्धि षटकर्म के अंतर्गत नहीं है। | ||[[आसन|आसनों]] तथा प्राणायाम के अतिरिक्त शरीर के विभिन्न अंगों के शुद्धिकरण के लिए योग पद्धति में कुछ और क्रियाओं का उपयोग होता है। इन्हें षट क्रियाएं या षटकर्म भी कहते हैं। ये हैं-1. नेति, 2.धौति, 3.बस्ति, 4.त्राटक, 5.न्यौली और 6.कपालभाति। नेति कई प्रकार से की जाती है- जैले- जलनेति, सूत्रनेति, घृतनेत्रि, तेलनेति एवं दुग्धनेति। नाड़ी शुद्धि षटकर्म के अंतर्गत नहीं है। | ||
{डिस्कस थ्रो का लैडिंग सेक्टर कितने डिग्री का होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-92 | {डिस्कस थ्रो का लैडिंग सेक्टर कितने डिग्री का होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-92 | ||
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-2000 मिलीमीटर | -2000 मिलीमीटर | ||
-2500 मिलीमीटर | -2500 मिलीमीटर | ||
||किडनी में द्रव से अलग हुए | ||[[किडनी]] में [[द्रव]] से अलग हुए वर्थ पदार्थ इकट्ठा हो जाता है, उसे मूत्र कहते हैं। यह [[किडनी]] से दो नलियों से गुजरता है, जिन्हें मूल नलियां कहते हैं। वहां से यह एक लचीले थैले में जाता है जिसे यूरिनरी ब्लैडर कहते हैं, [[मानव शरीर|शरीर]] से मूत्र नलियों द्बारा ब्लैडर में इकट्ठी हुई मूत्र बाहर निकाल दी जाती है। एक व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 1500 मिलीमीटर तक मूत्र बाहर निकालता है। | ||
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-2 कैलोरी के | -2 कैलोरी के | ||
-5 कैलोरी के | -5 कैलोरी के | ||
||प्रोटीन मुख्यत: पॉलिपेप्टाइड्स होता है। प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लों से मिलकर होता है। अमीनो अम्ल एक-दूसरे से पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। [[प्रोटीन]], [[त्वचा]], [[रक्त]], [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। 1 ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त 1 ग्राम [[कार्बोहाइड्रेट]] से भी 4 कैलोरी, 1 ग्राम एल्कोहल से 7 कैलोरी तथा 1 ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती हैं। | ||प्रोटीन मुख्यत: पॉलिपेप्टाइड्स होता है। प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लों से मिलकर होता है। अमीनो अम्ल एक-दूसरे से पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। [[प्रोटीन]], [[त्वचा]], [[रक्त]], [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। 1 ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त 1 ग्राम [[कार्बोहाइड्रेट]] से भी 4 कैलोरी, 1 ग्राम एल्कोहल से 7 कैलोरी तथा 1 ग्राम [[वसा]] से 9 कैलोरी [[ऊर्जा]] प्राप्त होती हैं। | ||
{प्राचीन ग्रीस में [[अपोलो]] था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-26 | {प्राचीन ग्रीस में [[अपोलो]] था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-26 | ||
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+जीव पूर्ण रूप से | +जीव पूर्ण रूप से | ||
-विसेरल अंग | -विसेरल अंग | ||
-शरीर के विभिन्न प्रणाली | -[[मानव शरीर|शरीर]] के विभिन्न प्रणाली | ||
||जैविक स्वस्थता का वास्तविक तात्पर्य जीव के पूर्ण-रूपेण स्वस्थ होने से है। | ||जैविक स्वस्थता का वास्तविक तात्पर्य जीव के पूर्ण-रूपेण स्वस्थ होने से है। | ||
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||"पद्मासन और वज्रासन' ध्यानात्मक आसन के अंतर्गत आते हैं। वज्रासन अकेला ऐसा आसन है, जिसे भोजन करने के बाद किया जा सकता है, खासकर दोपहर के भोजन के बाद। | ||"पद्मासन और वज्रासन' ध्यानात्मक आसन के अंतर्गत आते हैं। वज्रासन अकेला ऐसा आसन है, जिसे भोजन करने के बाद किया जा सकता है, खासकर दोपहर के भोजन के बाद। | ||
{राष्ट्रीय अनुशासन योजना कब आरंभ हुई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-28 | {राष्ट्रीय अनुशासन योजना कब आरंभ हुई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-28 | ||
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{प्रकृति में रहकर प्रकृति के समीप रहने का अनुभव प्राप्त होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-189 प्रश्न-18 | {[[प्रकृति]] में रहकर प्रकृति के समीप रहने का अनुभव प्राप्त होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-189 प्रश्न-18 | ||
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-मनोरंजन से | -मनोरंजन से | ||
-योग से | -[[योग]] से | ||
+शिविर से | +शिविर से | ||
-खेल से | -[[खेल]] से | ||
||प्रकृति में प्रकृति के साथ रहने को ही शिविर कहते हैं। | ||[[प्रकृति]] में प्रकृति के साथ रहने को ही शिविर कहते हैं। | ||
{[[भारत]] ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | {[[भारत]] ने दूसरी बार एशियन खेल कौन-से वर्ष में कराए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-29 | ||
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||[[पंजाब]] के [[पटियाला]] शहर में स्थित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान एशिया का सबसे बड़ा खेल संस्थान है जिसे भारतीय खेल जगत का 'मक्का' भी कहा जाता है। सैद्धांतिक रूप से यह खेलों का एक शैक्षिक केंद्र है जिसने देश को उच्च श्रेणी के खेल प्रशिक्षक प्रदान किए हैं। | ||[[पंजाब]] के [[पटियाला]] शहर में स्थित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान एशिया का सबसे बड़ा खेल संस्थान है जिसे भारतीय खेल जगत का 'मक्का' भी कहा जाता है। सैद्धांतिक रूप से यह खेलों का एक शैक्षिक केंद्र है जिसने देश को उच्च श्रेणी के खेल प्रशिक्षक प्रदान किए हैं। | ||
{[[माइकल फरेरा]] का नाम किस खेल से जुड़ा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-32 | {[[माइकल फरेरा]] का नाम किस [[खेल]] से जुड़ा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-32 | ||
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-[[स्नूकर]] | -[[स्नूकर]] | ||
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+हॉलैंड | +हॉलैंड | ||
-[[यूनाइटेड किंगडम|यू.के]]. | -[[यूनाइटेड किंगडम|यू.के]]. | ||
-यू.एस.ए. | -[[संयुक्त राज्य अमेरिका |यू.एस.ए.]] | ||
-[[मलेशिया]] | -[[मलेशिया]] | ||
||वर्ष [[1998]] पुरुष हॉकी विश्व कप [[20 जून]] से [[1 जुलाई]], [[1998]] के मध्य हॉलैंड (नीदरलैंड्स) में आयोजित किया गया। | ||वर्ष [[1998]] पुरुष हॉकी विश्व कप [[20 जून]] से [[1 जुलाई]], [[1998]] के मध्य हॉलैंड (नीदरलैंड्स) में आयोजित किया गया। | ||
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||[[1 जुलाई]], [[1998]] को संपन्न पुरुष हॉकी विश्व कप के फाइनल में मेजबान हॉलैंड (नीदरलैंड्स) ने स्पेन को 3-2 से पराजित कर प्रतियोगिता का खिताब जीत लिया था। | ||[[1 जुलाई]], [[1998]] को संपन्न पुरुष हॉकी विश्व कप के फाइनल में मेजबान हॉलैंड (नीदरलैंड्स) ने स्पेन को 3-2 से पराजित कर प्रतियोगिता का खिताब जीत लिया था। | ||
{कुहनी की संधि को मोड़ने (फ्लेक्शन) एवं विस्तार (एक्सटेंशन) में कौन-सी मांसपेशियां सहायक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-52 प्रश्न-23 | {कुहनी की संधि को मोड़ने (फ्लेक्शन) एवं विस्तार (एक्सटेंशन) में कौन-सी [[मांसपेशी|मांसपेशियां]] सहायक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-52 प्रश्न-23 | ||
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-पेक्टोरालिस मेजर एवं डेल्टायड | -पेक्टोरालिस मेजर एवं डेल्टायड | ||
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+बाइसेप्स एवं ट्राइसेप्स | +बाइसेप्स एवं ट्राइसेप्स | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||बाइसेप्स एवं ट्राइसेप्स मांसपेशियां | ||बाइसेप्स एवं ट्राइसेप्स मांसपेशियां कुहनी की संधि को मोड़ने एवं विस्तार में सहायक होती हैं। क्वाड्रिसेप्स फेमोरिस एवं गैस्ट्रोनिमिय्स पैर की मांसपेशियां है। | ||
{आधुनिक बास्केटबॉल का आविष्कार निम्न में से किसने किया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-99 | {आधुनिक [[बास्केटबॉल]] का आविष्कार निम्न में से किसने किया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-99 | ||
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+जेम्स ए. नाइस्मिथ | +जेम्स ए. नाइस्मिथ | ||
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-विलियम जोंस | -विलियम जोंस | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||खेलों में बास्केटबॉल खेल एक आधुनिक खेल माना जाता है। यह खेल अमेरिका के डॉ. जेम्स नाइस्मिथ ने वर्ष 1891 में स्प्रिंग फील्ड महाविद्यालय में एक चार दीवारी की भीतर सर्दियों में खेले जा सकने वाले खेल की आवश्यकता को देखते हुए आरंभ किया था। | ||खेलों में [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] एक आधुनिक खेल माना जाता है। यह खेल [[अमेरिका]] के डॉ. जेम्स नाइस्मिथ ने वर्ष [[1891]] में स्प्रिंग फील्ड महाविद्यालय में एक चार दीवारी की भीतर सर्दियों में खेले जा सकने वाले खेल की आवश्यकता को देखते हुए आरंभ किया था। अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य .[[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ष [[1932]] में बनाई गई।.भारतीय बास्केटबॉल संघ की स्थापना वर्ष [[1950]] में हुई।.बास्केटबॉल का खेल-क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के आधार पर 28 मी. लंबा तथा 15 मी. चौड़ा होना चाहिए। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
.बास्केटबॉल खेल की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ष 1932 में बनाई गई। | |||
.भारतीय बास्केटबॉल संघ की स्थापना वर्ष 1950 में हुई। | |||
.बास्केटबॉल का खेल-क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के आधार पर 28 मी. लंबा तथा 15 मी. चौड़ा होना चाहिए। | |||
{200 | {200 मीटर की दौड़ में धावक को क्या दिया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-19 | ||
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-पूर्ण स्ट्रैगर | -पूर्ण स्ट्रैगर | ||
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-प्रत्याहार | -प्रत्याहार | ||
-प्राणायाम | -प्राणायाम | ||
+आसन | +[[आसन]] | ||
||आसन को परिभाषित करते हुए महर्षि पतंजलि ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं शरीर में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||[[आसन]] को परिभाषित करते हुए [[पतंजलि (योगसूत्रकार)|महर्षि पतंजलि]] ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं [[ मानव शरीर|शरीर]] में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||
{अस्थियों के कार्य हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-33 | {अस्थियों के कार्य हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-33 | ||
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-जोड़ों में लचक | -जोड़ों में लचक | ||
+सुरक्षा प्रदान करना | +सुरक्षा प्रदान करना | ||
-अच्छा आसन | -अच्छा [[आसन]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||विभिन्न प्रकार के अस्थियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं- | ||विभिन्न प्रकार के अस्थियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-1.सुरक्षा प्रदान करना, 2.सहारा प्रदान करना, 3.[[मानव शरीर|शरीर]] को आकृति प्रदान करना, 4.उत्तोलन का कार्य करना हैं 5.खनिजों का भंडार करना, 6.[[लाल रक्त कणिका|लाल रक्त कणिकाओं]] का निर्माण करना, 7.[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] को सहारा देना है। | ||
1.सुरक्षा प्रदान करना, 2.सहारा प्रदान करना, 3.शरीर को आकृति प्रदान करना, 4.उत्तोलन का कार्य करना हैं 5.खनिजों का भंडार करना, 6.लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करना, 7.मांसपेशियों को सहारा देना है। | |||
{" | {"डायनामिक" शब्द का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-200 प्रश्न-120 | ||
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+बल | +[[बल]] | ||
-कार्य | -कार्य | ||
-दमखम | -दमखम | ||
-लचीलापन | -लचीलापन | ||
||डायनामिक शब्द का संबंध बल से है। | ||डायनामिक शब्द का संबंध [[बल]] से है। | ||
{इनमें से कौन शोध का विषय नहीं हो सकता? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-20 | {इनमें से कौन शोध का विषय नहीं हो सकता? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-20 | ||
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-मानव | -मानव | ||
+विचार | +विचार | ||
||उपर्युक्त चारों विकल्प | ||उपर्युक्त चारों विकल्पो में से विकल्प (d) अर्थात विचार शोध का विषय नहीं हो सकता। | ||
{कोई भी मापन (Measurement) तब प्रभावी माना जाता है जब वह कार्यान्वित किया जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-100 | {कोई भी मापन (Measurement) तब प्रभावी माना जाता है जब वह कार्यान्वित किया जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-18 प्रश्न-100 | ||
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||प्रभावी और सटीक मापन के लिए यह आवश्यक है कि इस कार्य हेतु नियुक्त व्यक्ति द्वारा उच्च श्रेणी का प्रशिक्षण प्राप्त किया गया हो जो कि योग्य और तीव्र बुद्धिमान (उच्च श्रेणी) व्यक्तियों द्वारा ही हासिल किया जा सकता है। | ||प्रभावी और सटीक मापन के लिए यह आवश्यक है कि इस कार्य हेतु नियुक्त व्यक्ति द्वारा उच्च श्रेणी का प्रशिक्षण प्राप्त किया गया हो जो कि योग्य और तीव्र बुद्धिमान (उच्च श्रेणी) व्यक्तियों द्वारा ही हासिल किया जा सकता है। | ||
{राष्ट्रीय महिला खेल उत्सव किस वर्ष प्रारंभ किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-35 | {[[राष्ट्रीय महिला खेलकूद योजना|राष्ट्रीय महिला खेल उत्सव]] किस वर्ष प्रारंभ किया गया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-35 | ||
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-1970 | -[[1970]] | ||
-1974 | -[[1974]] | ||
+1975 | +[[1975]] | ||
-1976 | -[[1976]] | ||
||वर्ष 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था और इस अवसर पर भारत सरकार ने महिलाओं के लिए वार्षिक राष्ट्रीय खेल उत्सव प्रारंभ करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य अधिक संख्या में महिलाओं को विभिन्न स्तर पर खेल गतिविधियों में शामिल करना है। | ||वर्ष [[1975]] को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था और इस अवसर पर [[भारत सरकार]] ने महिलाओं के लिए वार्षिक राष्ट्रीय खेल उत्सव प्रारंभ करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य अधिक संख्या में महिलाओं को विभिन्न स्तर पर खेल गतिविधियों में शामिल करना है। | ||
{मांसपेशियों में किस तत्त्व के पर्याप्त होने से खिलाड़ी देर तक नहीं थकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-52 प्रश्न-24 | {[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] में किस तत्त्व के पर्याप्त होने से खिलाड़ी देर तक नहीं थकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-52 प्रश्न-24 | ||
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-फैटी एसिड | -फैटी एसिड | ||
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-एमिना एसिड | -एमिना एसिड | ||
-बायोटिन | -बायोटिन | ||
||कार्बोहाइड्रेट्स मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं, जैसे- साधारण कार्बोहाइट्रोट्स व जटिल कार्बोहाइड्रेट। | ||[[कार्बोहाइड्रेट|कार्बोहाइड्रेट्स]] मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं, जैसे- साधारण कार्बोहाइट्रोट्स व जटिल कार्बोहाइड्रेट। [[ग्लूकोज़]], फ्रक्टोज, गलेक्टोज, सुक्रोज, माल्टोज व लैक्टोज आदि को साधारण कार्बोहाइड्रेट्स कहा जाता है। इस प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स [[पानी]] में घुलनशील होते हैं। स्वाद में मीठे होते है। इनको [[शक्कर|शुगर]] या [[शर्करा]] कहा जाता है। स्टार्च, डैक्ट्रिन्स, ग्लाइकोजंन सेलुलोज को जटिल कार्बोहाइड्रेट्स कहा जाता है। ग्लाइकोजन तत्त्व की वजह से खिलाड़ी देर तक नहीं थकता है। | ||
{इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन का गठन कब किया गया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-100 | {इंटरनेशनल वॉलीबॉल फेडरेशन का गठन कब किया गया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-100 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
1946 ई. | -[[1946]] ई. | ||
-1948 ई. | -[[1948]] ई. | ||
-1950 ई. | -[[1950]] ई. | ||
+1947 ई. | +[[1947]] ई. | ||
||सन् 1895 में विलियम जी. मोर्गन के द्वारा वॉलीबॉल की शुरुआत हुई भारतीय वॉलीबॉल संघ का गठन वर्ष 1951 में हुआ। वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल संघ की स्थापना हुई। | ||सन् [[1895]] में विलियम जी. मोर्गन के द्वारा वॉलीबॉल की शुरुआत हुई भारतीय वॉलीबॉल संघ का गठन वर्ष [[1951]] में हुआ। वर्ष [[1947]] में अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल संघ की स्थापना हुई। | ||
{2010 के राष्ट्रमंडल खेल कहां आयोजित होंगे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-66 प्रश्न-20 | {[[2010]] के [[राष्ट्रमंडल खेल]] कहां आयोजित होंगे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-66 प्रश्न-20 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-टोक्यो | -टोक्यो | ||
+नई दिल्ली | +[[नई दिल्ली]] | ||
-सिडनी | -[[सिडनी]] | ||
-दोहा | -[[दोहा]] | ||
||राष्ट्रमंडल खेल एवं उनके आयोजन स्थल इस प्रकार हैं- | ||राष्ट्रमंडल खेल एवं उनके आयोजन स्थल इस प्रकार हैं- | ||
वर्ष आयोजन स्थल देश | वर्ष आयोजन स्थल देश | ||
2010 नई दिल्ली भारत | [[2010]] [[नई दिल्ली]] [[भारत]] | ||
2014 ग्लासगो स्कॉटलैंड | [[2014]] ग्लासगो [[स्कॉटलैंड]] | ||
2018 [[गोल्ड कोस्ट]] [[ऑस्ट्रेलिया]] | |||
2018 | |||
10:58, 3 जनवरी 2017 का अवतरण
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