"प्रयोग:रिंकू": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{दलहनी फ़सलें फ़सल प्रणाली के लिए उपयुक्त होती हैं, वे हैं- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-1 | {दलहनी फ़सलें [[फ़सल]] प्रणाली के लिए उपयुक्त होती हैं, वे हैं- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-1 | ||
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+कम समय वाली फ़सलें | +कम समय वाली [[फ़सल|फ़सलें]] | ||
-रोगरोधी फ़सलें | -रोगरोधी फ़सलें | ||
-लम्बे समय वाली फ़सलें | -लम्बे समय वाली [[फ़सल|फ़सलें]] | ||
-नमी दबावरोधी फ़सलें | -नमी दबावरोधी फ़सलें | ||
||कम अवधि वाली दलहनी प्रजाति फ़सल प्रणाली के लिए उपयुक्त होती है, जबकि दलहनी फ़सलों के अच्छे उत्पादन के लिए रोगरोधी किस्मों को उगाया जाता है। | ||कम अवधि वाली दलहनी प्रजाति फ़सल प्रणाली के लिए उपयुक्त होती है, जबकि दलहनी फ़सलों के अच्छे [[उत्पादन]] के लिए रोगरोधी किस्मों को उगाया जाता है। | ||
{माया निम्न में से किसकी प्रजाति है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-71 | {माया निम्न में से किसकी प्रजाति है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-71 | ||
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-[[अंगूर]] | -[[अंगूर]] | ||
-[[सेब]] | -[[सेब]] | ||
||[[आम]] - नीलम, [[पपीता]] - सूर्या, [[अंगूर]] - अकी चित्रा, [[सेब]] -रेड डेलीसियम | ||[[आम]]- नीलम, [[पपीता]]- सूर्या, [[अंगूर]]- अकी चित्रा, [[सेब]]- रेड डेलीसियम | ||
{[[धान]] तथा [[गेहूँ]] में कितने-कितने पुंकेसर पाये जाते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-1 | {[[धान]] तथा [[गेहूँ]] में कितने-कितने पुंकेसर पाये जाते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-1 | ||
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||[[धान]] का वानस्पतिक नाम आरोइजा सेटाइवा है। इसमें [[वसा]] की मात्रा 2-2.5% एवं [[प्रोटीन]] की मात्रा 6-7% तक पायी जाती है। धान में पुंकेसर की संख्या 6 एवं [[गेहूँ]] में पुंकेसर की संख्या 3 पायी जाती है। | ||[[धान]] का वानस्पतिक नाम आरोइजा सेटाइवा है। इसमें [[वसा]] की मात्रा 2-2.5% एवं [[प्रोटीन]] की मात्रा 6-7% तक पायी जाती है। धान में पुंकेसर की संख्या 6 एवं [[गेहूँ]] में पुंकेसर की संख्या 3 पायी जाती है। | ||
{निम्नलिखित में से किसे उत्पादन की स्थित लागत में सम्मिलित किया जाता है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-1 | {निम्नलिखित में से किसे [[उत्पादन]] की स्थित लागत में सम्मिलित किया जाता है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-1 | ||
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-कच्चे माल की कीमत | -[[कच्चा माल|कच्चे माल]] की कीमत | ||
-अस्थायी श्रमिकों की मजदूरी | -अस्थायी श्रमिकों की मजदूरी | ||
-फैक्ट्री भवन का किराया | -फैक्ट्री भवन का किराया | ||
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{[[गेहूँ]] है | {[[गेहूँ]] किस प्रकार की [[फ़सल]] है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-2 | ||
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-नगदी फ़सल | -नगदी फ़सल | ||
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-आच्छादित फ़सल | -आच्छादित फ़सल | ||
-नमी दबावरोधी फ़सल | -नमी दबावरोधी फ़सल | ||
||खाद्यान्न फ़सल - [[गेहूँ]], [[धान]], जौ आदि; नगदी फ़सल - [[गन्ना]], [[आलू]]; आच्छादित फ़सल - लोबिया | ||खाद्यान्न फ़सल- [[गेहूँ]], [[धान]], [[जौ]] आदि; नगदी फ़सल- [[गन्ना]], [[आलू]]; आच्छादित फ़सल- लोबिया | ||
{श्वास रोग का कारक है | {कौन-सी खरपतवार श्वास रोग का कारक है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-72 | ||
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-हिरन खुरी | -हिरन खुरी | ||
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||पस्थेनियम (गजरी) खरपतवार द्वारा मनुष्यों में श्वास नामक रोग हो जाता है। इस घास को क्रांगेस घास भी कहा जाता है। | ||पस्थेनियम (गजरी) खरपतवार द्वारा मनुष्यों में श्वास नामक रोग हो जाता है। इस घास को क्रांगेस घास भी कहा जाता है। | ||
{[[मूँगफली]] की फ़सल में जब खूटियाँ (Pegs) मिट्टी में वृद्धि करती हैं, तो वे क्या बनाती हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-93 | {[[मूँगफली]] की [[फ़सल]] में जब खूटियाँ (Pegs) [[मिट्टी]] में वृद्धि करती हैं, तो वे क्या बनाती हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-93 | ||
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-जड़ें | -जड़ें | ||
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-कंद | -कंद | ||
+फलियाँ | +फलियाँ | ||
||[[शकरकंद]] -जड़, [[आलू]] -तना, अरवी -राइजोम तथा [[मूँगफली]] -फलियाँ। | ||[[शकरकंद]]- जड़, [[आलू]]- तना, अरवी- राइजोम तथा [[मूँगफली]]- फलियाँ। | ||
{परागकोश कितने पराग पुटों में बँटा होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-2 | {परागकोश कितने पराग पुटों में बँटा होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-2 | ||
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||परागकोश दो परग पुटों में बँटा होता है। प्रथम परागकण और द्वितीय फिलामेंट। परागकण और फिलामेंट मिलकर स्टेमेन कहलाता है। यह लेमा और पीलिया के अंदर बंद रहते हैं। | ||परागकोश दो परग पुटों में बँटा होता है। प्रथम परागकण और द्वितीय फिलामेंट। परागकण और फिलामेंट मिलकर स्टेमेन कहलाता है। यह लेमा और पीलिया के अंदर बंद रहते हैं। | ||
{उत्पादन के असंख्य साधन मानने वाले एक अर्थशास्त्री का नाम है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-2 | {[[उत्पादन]] के असंख्य साधन मानने वाले एक अर्थशास्त्री का नाम क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-2 | ||
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+डेवनपोर्ट | +डेवनपोर्ट | ||
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{शरदकालीन गन्ना किस माह में बोया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-3 | {[[शरद ऋतु|शरदकालीन]] [[गन्ना]] किस [[माह]] में बोया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-3 | ||
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-[[ | -[[फ़रवरी]]-[[मार्च]] | ||
-[[जुलाई]] | -[[जुलाई]] | ||
+[[अक्टूबर]] | +[[अक्टूबर]] | ||
-[[दिसम्बर]] | -[[दिसम्बर]] | ||
||शरदकालीन - [[अक्टूबर]], बसंतकालीन - [[ | ||[[शरद ऋतु|शरदकालीन]]- [[अक्टूबर]], [[बसंत ऋतु|बसंतकालीन]]- [[फ़रवरी]]-[[मार्च]], [[वर्षा ऋतु|वर्षाकालीन]]- [[जुलाई]] | ||
{कौन-सी फ़सल अधिकतम [[नाइट्रोजन]] की मात्रा चाहती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-73 | {कौन-सी [[फ़सल]] अधिकतम [[नाइट्रोजन]] की मात्रा चाहती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-73 | ||
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+[[आलू]] | +[[आलू]] | ||
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-[[जौ]] | -[[जौ]] | ||
-[[गन्ना]] | -[[गन्ना]] | ||
||[[आलू]] की फ़सल अधिकतम [[नाइट्रोजन]] चाहने वाली है। एक हैक्टेयर आलू के उत्पादन के लिए लगभग 170-80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 250 कि.ग्रा. [[फॉस्फोरस]] तथा 250 कि.ग्रा. [[पोटैशियम]] की आवश्यकता होती है। | ||[[आलू]] की [[फ़सल]] अधिकतम [[नाइट्रोजन]] चाहने वाली है। एक हैक्टेयर आलू के उत्पादन के लिए लगभग 170-80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 250 कि.ग्रा. [[फॉस्फोरस]] तथा 250 कि.ग्रा. [[पोटैशियम]] की आवश्यकता होती है। | ||
{[[जूट]] की खेती वाले क्षेत्रों में उसकी जगह सामान्य वैकल्पिक फ़सल है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-92 | {[[जूट]] की खेती वाले क्षेत्रों में उसकी जगह सामान्य वैकल्पिक [[फ़सल]] है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-92 | ||
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-[[गन्ना]] | -[[गन्ना]] | ||
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-[[कपास]] | -[[कपास]] | ||
+[[धान]] | +[[धान]] | ||
||[[जूट]] की खेती वाले क्षेत्रों में उसकी जगह सामान्य वैकल्पिक फ़सल [[धान]] की होती है; क्योंकि जूट की खेती ऐसे भागों में की जाती है जहाँ हर समय [[पानी]] भरा रहता है। | ||[[जूट]] की खेती वाले क्षेत्रों में उसकी जगह सामान्य वैकल्पिक [[फ़सल]] [[धान]] की होती है; क्योंकि जूट की खेती ऐसे भागों में की जाती है जहाँ हर समय [[पानी]] भरा रहता है। | ||
{"म्यूटेशन रिसर्च" पुस्तक किसने लिखी थी? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-3 | {"म्यूटेशन रिसर्च" पुस्तक किसने लिखी थी? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-3 | ||
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||म्यूटेशन रिसर्च पुस्तक निल्सन-इनले ने लिखी है। यह पुस्तक म्यूटेनशन पर हुए शोध पर लिखी गयी है। | ||म्यूटेशन रिसर्च पुस्तक निल्सन-इनले ने लिखी है। यह पुस्तक म्यूटेनशन पर हुए शोध पर लिखी गयी है। | ||
{उत्पादन के साधन हैं (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-3 | {[[उत्पादन]] के क्या साधन हैं?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-3 | ||
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-श्रम | -श्रम | ||
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{[[गेहूँ]] की समय से बुआई के लिए बीज दर है | {[[गेहूँ]] की समय से बुआई के लिए बीज दर क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-4 | ||
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-75 किलोग्राम/हैक्टेयर | -75 किलोग्राम/हैक्टेयर | ||
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-125 किलोग्राम/हैक्टेयर | -125 किलोग्राम/हैक्टेयर | ||
-150 किलोग्राम/हैक्टेयर | -150 किलोग्राम/हैक्टेयर | ||
||समय से बुआई -100 किलोग्राम/हैक्टेयर; देर से बुआई - 125 किलोग्राम/हैक्टेयर; डिबलर से बुआई - 25-30 किलोग्राम/हैक्टेयर | ||समय से बुआई- 100 किलोग्राम/हैक्टेयर; देर से बुआई- 125 किलोग्राम/हैक्टेयर; डिबलर से बुआई- 25-30 किलोग्राम/हैक्टेयर | ||
{[[भारत]] में [[धान]] की प्रथम विकसित बौनी प्रजाति कौन सी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-74 | {[[भारत]] में [[धान]] की प्रथम विकसित बौनी प्रजाति कौन सी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-74 | ||
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-गोविन्द | -गोविन्द | ||
-नरेन्द्र-97 | -नरेन्द्र-97 | ||
||'जया' [[भारत]] की प्रथम धान की विकसित प्रजाति है जो वाइचुंग (नेटिव-1) x T-141 के क्रॉस से निकाली गयी है। | ||'जया' [[भारत]] की प्रथम [[धान]] की विकसित प्रजाति है जो वाइचुंग (नेटिव-1) x T-141 के क्रॉस से निकाली गयी है। | ||
{निम्नलिखित में से किसको [[आग]] में सुखाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-94 | {निम्नलिखित में से किसको [[आग]] में सुखाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-94 | ||
पंक्ति 154: | पंक्ति 154: | ||
-हुक्के का तम्बाकू | -हुक्के का तम्बाकू | ||
{सामान्यतया [[धान]] की फ़सलों में किसकी कमी पायी जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-4 | {सामान्यतया [[धान]] की [[फ़सल|फ़सलों]] में किसकी कमी पायी जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-4 | ||
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-लाइसिन | -लाइसिन | ||
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-ट्रिप्टोफेन | -ट्रिप्टोफेन | ||
-[[प्रोटीन]] | -[[प्रोटीन]] | ||
||सामान्य रूप से [[धान]] की फ़सल में मेथियोनाइन की कमी पायी जाती है। धान में 6-7% [[प्रोटीन]], 2-3% [[वसा]] तथा लगभग 65-70% [[कार्बोहाइड्रेट]] की मात्रा पायी जाती है। | ||सामान्य रूप से [[धान]] की [[फ़सल]] में मेथियोनाइन की कमी पायी जाती है। धान में 6-7% [[प्रोटीन]], 2-3% [[वसा]] तथा लगभग 65-70% [[कार्बोहाइड्रेट]] की मात्रा पायी जाती है। | ||
{"सम्पत्ति को अधिक उपयोगी बनाना ही उत्पादन है।" यह कथन है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-4 | {"सम्पत्ति को अधिक उपयोगी बनाना ही [[उत्पादन]] है।" यह कथन है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-4 | ||
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-डा. एली | -डा. एली | ||
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{[[गेहूँ]] में | {[[गेहूँ]] में सिंचाई के लिए सर्वाधिक क्रांतिक अवस्था कौन-सी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-5 | ||
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+सी. आर. आई. | +सी. आर. आई. | ||
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-[[दुग्ध]] | -[[दुग्ध]] | ||
-दाने पकना | -दाने पकना | ||
||[[गेहूँ]] की फ़सल के लिए पाँच सिंचाइयों की ज़रूरत होती है- (1) सी.आर.आई. स्टेज, (2) किल्ले निकलने समय बुआई से, (3) गाँठ बनते समय बुआई से, (4) फूल बनते समय बुआई से, (5) दुग्ध बनते समय बुआई से। | ||[[गेहूँ]] की [[फ़सल]] के लिए पाँच सिंचाइयों की ज़रूरत होती है- (1) सी.आर.आई. स्टेज, (2) किल्ले निकलने समय बुआई से, (3) गाँठ बनते समय बुआई से, (4) फूल बनते समय बुआई से, (5) दुग्ध बनते समय बुआई से। | ||
{बौछारी सिंचाई मृदा की किस संरचना के लिए उपयुक्त होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-75 | {बौछारी सिंचाई [[मृदा]] की किस संरचना के लिए उपयुक्त होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-75 | ||
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-मटियार संरचना | -मटियार संरचना | ||
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||बौछारी सिंचाई ऊंची-नीची भूमियों में अधिक उपयुक्त होती है। | ||बौछारी सिंचाई ऊंची-नीची भूमियों में अधिक उपयुक्त होती है। | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सी दो फ़सलें [[भारत]] में दलहन उत्पादन का लगभग 75% भाग उपलब्ध कराती हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-95 | {निम्नलिखित में से कौन-सी दो [[फ़सल|फ़सलें]] [[भारत]] में दलहन उत्पादन का लगभग 75% भाग उपलब्ध कराती हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-95 | ||
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-[[चना]] और मूँग | -[[चना]] और मूँग | ||
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+प्रमाणित बीज | +प्रमाणित बीज | ||
-केंद्रक बीज | -केंद्रक बीज | ||
||आधारीय बीज - [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]], पंजीकृत बीज - जामनी, प्रमाणित बीज - [[नीला रंग|नीला]], नाभिकीय बीज - [[पीला रंग|पीला]] | ||आधारीय बीज- [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]], पंजीकृत बीज- जामनी, प्रमाणित बीज- [[नीला रंग|नीला]], नाभिकीय बीज- [[पीला रंग|पीला]] | ||
{"वस्तु में अर्थ का सृजन करना ही उत्पादन है।" यह कथन है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-5 | {"वस्तु में अर्थ का सृजन करना ही उत्पादन है।" यह कथन है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-5 | ||
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{बीज शोधन | {बीज शोधन किस बीमारी के नियंत्रण के लिए किया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-6 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मृदा जनित | -मृदा जनित | ||
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+बीज जनित | +बीज जनित | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||बीज शोधन बीज जनित बीमारियों के लिए किया जाता है। मृदा जनित बीमारियों के लिए मृदा का शोधन किया जाता है। | ||बीज शोधन बीज जनित बीमारियों के लिए किया जाता है। मृदा जनित बीमारियों के लिए [[मृदा]] का शोधन किया जाता है। | ||
{इन्डोसल्फान को निम्न में से क्या कहा जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-76 | {इन्डोसल्फान को निम्न में से क्या कहा जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-76 | ||
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-आल्ड्रीन | -आल्ड्रीन | ||
-बी.एच.सी. | -बी.एच.सी. | ||
||इन्डोसल्फान - थायोडन; फॉस्फोमिडॉन - डायमेक्रान; फार्मोथियन - एन्थियो; फोरेटो - थिमेट। | ||इन्डोसल्फान- थायोडन; फॉस्फोमिडॉन- डायमेक्रान; फार्मोथियन- एन्थियो; फोरेटो- थिमेट। | ||
{[[मूँगफली]] की खेती में किस संवर्धन को प्राथमिकता देनी चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-96 | {[[मूँगफली]] की खेती में किस संवर्धन को प्राथमिकता देनी चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-96 | ||
पंक्ति 236: | पंक्ति 236: | ||
-एजोस्पिरिला | -एजोस्पिरिला | ||
-फास्फोबैक्टीरिया | -फास्फोबैक्टीरिया | ||
||मूँगफली की खेती में राइजोबियम का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि राइजोबियम एक प्रकार का जीवाणुविक कल्चर होता है। | ||[[मूँगफली]] की खेती में राइजोबियम का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि राइजोबियम एक प्रकार का जीवाणुविक कल्चर होता है। | ||
{'पूसा जय किसान' कायिक क्लोनीय है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-6 | {'पूसा जय किसान' कायिक क्लोनीय है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-6 | ||
पंक्ति 285: | पंक्ति 285: | ||
-डिप्लोटीन | -डिप्लोटीन | ||
{भूमि के लक्षण हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-7 | {भूमि के लक्षण कौन-से हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-7 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-भूमि परिमाण में सीमित | -भूमि परिमाण में सीमित है। | ||
-भूमि उत्पादन का प्राथमिक साधन | -भूमि [[उत्पादन]] का प्राथमिक साधन है। | ||
-भूमि प्रकृति की देन | -भूमि प्रकृति की देन है। | ||
+ये सभी | +ये सभी | ||
पंक्ति 301: | पंक्ति 301: | ||
+[[नागौरी गाय]] | +[[नागौरी गाय]] | ||
-गिरि | -गिरि | ||
||साहीवाल - दुधारु प्रजाति; सिंधी - दुधरु प्रजाति; गिरि - दुधारु प्रजाति; [[नागौरी गाय|नागौरी]] - दुकाजी प्रजाति | ||साहीवाल- दुधारु प्रजाति; सिंधी- दुधरु प्रजाति; गिरि- दुधारु प्रजाति; [[नागौरी गाय|नागौरी]]- दुकाजी प्रजाति | ||
{डी.डी.वी.पी. को निम्न में से और क्या कहा जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-78 | {डी.डी.वी.पी. को निम्न में से और क्या कहा जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-78 | ||
पंक्ति 309: | पंक्ति 309: | ||
-थायोडान | -थायोडान | ||
-सल्फेक्स | -सल्फेक्स | ||
||डी.डी.वी.पी. को न्यूवान कहा जाता है। यह एक टेन स्पर्श, आंतरिक और धुम्रक विष है। यह लगभग 10-15 मिनट में कीटों को मार देता | ||डी.डी.वी.पी. को न्यूवान कहा जाता है। यह एक टेन स्पर्श, आंतरिक और धुम्रक विष है। यह लगभग 10-15 मिनट में कीटों को मार देता है। | ||
{[[गेहूँ]] के साथ मिश्रित खेती के लिए निम्नलिखित में से कौन उपयुक्त होगा? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-98 | {[[गेहूँ]] के साथ मिश्रित खेती के लिए निम्नलिखित में से कौन उपयुक्त होगा? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-98 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सरसों | +सरसों | ||
-ज्वार | -[[ज्वार]] | ||
-[[कपास]] | -[[कपास]] | ||
-[[पत्तागोभी]] | -[[पत्तागोभी]] | ||
पंक्ति 328: | पंक्ति 328: | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-8 | {निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-8,प्रश्न-8 | ||
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+भूमि प्रकृति का नि:शुल्क उपहार | +भूमि प्रकृति का नि:शुल्क उपहार है। | ||
-भूमि का आर्थिक लगान से कोई सम्बंध नहीं | -भूमि का आर्थिक लगान से कोई सम्बंध नहीं हैं। | ||
-भूमि उत्पादन का सक्रिय साधन | -भूमि [[उत्पादन]] का सक्रिय साधन है। | ||
-भूमि मानव द्वारा सृजित उत्पत्ति का साधन | -भूमि मानव द्वारा सृजित उत्पत्ति का साधन है। | ||
पंक्ति 384: | पंक्ति 384: | ||
||मनुष्यों के लिए नुकसानदायक होने के कारण तथा कीटों द्वारा सहनशील होने के कारण सरकार द्वारा डी.डी.टी. की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। | ||मनुष्यों के लिए नुकसानदायक होने के कारण तथा कीटों द्वारा सहनशील होने के कारण सरकार द्वारा डी.डी.टी. की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। | ||
{[[जौ]] की आवृत कंडुआ बीमारी है | {[[जौ]] की आवृत कंडुआ बीमारी किस प्रकार की है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-80 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+बाह्य बीज जनित | +बाह्य बीज जनित | ||
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-वायु जनित | -वायु जनित | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||जौ की बाह्य बीज जनित बीमरी आवृत कंडुआ है तथा गेरुए रोग वायुजनित है। | ||[[जौ]] की बाह्य बीज जनित बीमरी आवृत कंडुआ है तथा गेरुए रोग वायुजनित है। | ||
{राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एन.एस.आई.) कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-100 | {राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एन.एस.आई.) कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-100 | ||
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-असीमित | -असीमित | ||
-गतिशील | -गतिशील | ||
+उर्वरा शक्ति भिन्न-भिन्न होती | +उर्वरा शक्ति भिन्न-भिन्न होती है। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
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13:01, 28 अप्रैल 2017 का अवतरण
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