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'''फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह''' सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] (1325-51 ई.) के ज़माने में [[सोनारगाँव]], ([[बंगाल]]) के सूबेदार [[बहराम ख़ाँ]] का 'ज़िरहबख़्तर बरदारी'<ref>उठाने वाला</ref> था। | '''फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह''' सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] (1325-51 ई.) के ज़माने में [[सोनारगाँव]], ([[बंगाल]]) के सूबेदार [[बहराम ख़ाँ]] का 'ज़िरहबख़्तर बरदारी'<ref>उठाने वाला</ref> था। | ||
*बहराम ख़ाँ को 'तातार ख़ाँ' के नाम से भी जाना जाता था। | *बहराम ख़ाँ को 'तातार ख़ाँ' के नाम से भी जाना जाता था। | ||
*बहराम खाँ के मरने के | *बहराम खाँ के मरने के पश्चात् उसने स्वयं को सोनारगाँव का शासक नियुक्त कर दिया। | ||
*शासक नियुक्त होने पर उसने 'फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह' की पदवी धारण की। | *शासक नियुक्त होने पर उसने 'फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह' की पदवी धारण की। | ||
*इस प्रकार उसने [[बंगाल]] में अपने स्वतंत्र शासन की स्थापना कर दी। | *इस प्रकार उसने [[बंगाल]] में अपने स्वतंत्र शासन की स्थापना कर दी। |
07:47, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ (1325-51 ई.) के ज़माने में सोनारगाँव, (बंगाल) के सूबेदार बहराम ख़ाँ का 'ज़िरहबख़्तर बरदारी'[1] था।
- बहराम ख़ाँ को 'तातार ख़ाँ' के नाम से भी जाना जाता था।
- बहराम खाँ के मरने के पश्चात् उसने स्वयं को सोनारगाँव का शासक नियुक्त कर दिया।
- शासक नियुक्त होने पर उसने 'फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह' की पदवी धारण की।
- इस प्रकार उसने बंगाल में अपने स्वतंत्र शासन की स्थापना कर दी।
- फ़ख़रुद्दीन मुबारक़ शाह ने लगभग 10 वर्षों तक शासन किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 252 |
- ↑ उठाने वाला