"चित्रशिखण्डी ऋषि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
*इस शास्त्र में [[धर्म]], अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों महापुरुषों का विवेचन है।  
*इस शास्त्र में [[धर्म]], अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों महापुरुषों का विवेचन है।  
*[[ऋग्वेद]], [[यजुर्वेद]], [[सामवेद]] तथा अंगिरा ऋषि के [[अथर्ववेद]] के आधार पर इस ग्रन्थ में प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्गों की चर्चा है। दोनों मार्गों का यह आधारस्तम्भ है।  
*[[ऋग्वेद]], [[यजुर्वेद]], [[सामवेद]] तथा अंगिरा ऋषि के [[अथर्ववेद]] के आधार पर इस ग्रन्थ में प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्गों की चर्चा है। दोनों मार्गों का यह आधारस्तम्भ है।  
*नारायण का कथन है- 'हरिभक्त वसुराज उपरिचर इस ग्रन्थ को बृहस्पति से सीखेगा और उसके अनुसार चलेगा, परन्तु इसके पश्चात यह ग्रन्थ नष्ट हो जाएगा।'  
*नारायण का कथन है- 'हरिभक्त वसुराज उपरिचर इस ग्रन्थ को बृहस्पति से सीखेगा और उसके अनुसार चलेगा, परन्तु इसके पश्चात् यह ग्रन्थ नष्ट हो जाएगा।'  
*चित्रशिखण्डी ऋषियों का यह ग्रन्थ आजकल उपलब्ध नहीं है।
*चित्रशिखण्डी ऋषियों का यह ग्रन्थ आजकल उपलब्ध नहीं है।



07:52, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

चित्रशिखण्डी ऋषि सप्त ऋषियों का सामूहिक नाम है।

  • पांचरात्र शास्त्र सात चित्रशिखण्डी ऋषियों द्वारा संकलित हैं, जो संहिताओं का पूर्ववर्ती एवं उनका पथप्रदर्शक है।
  • इन ऋषियों ने वेदों का निष्कर्ष निकालकर पांचरात्र नाम का शास्त्र तैयार किया।
  • ये सप्तर्षि स्वायम्भुव मन्वन्तर के मरीचि, अंगिरा, अत्रि, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वसिष्ठ हैं।
  • इस शास्त्र में धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों महापुरुषों का विवेचन है।
  • ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अंगिरा ऋषि के अथर्ववेद के आधार पर इस ग्रन्थ में प्रवृत्ति और निवृत्ति मार्गों की चर्चा है। दोनों मार्गों का यह आधारस्तम्भ है।
  • नारायण का कथन है- 'हरिभक्त वसुराज उपरिचर इस ग्रन्थ को बृहस्पति से सीखेगा और उसके अनुसार चलेगा, परन्तु इसके पश्चात् यह ग्रन्थ नष्ट हो जाएगा।'
  • चित्रशिखण्डी ऋषियों का यह ग्रन्थ आजकल उपलब्ध नहीं है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


पाण्डेय, डॉ. राजबली हिन्दू धर्मकोश, द्वितीय संस्करण-1988 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 266।

संबंधित लेख