सावर्णि | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सावर्णि (बहुविकल्पी) |
सावर्णि का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत सभा पर्व के अनुसार ये एक ऋषि का नाम है, जो इन्द्र की सभा में विराजमान रहते थे।[1]
- महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार इन्होंने सत्ययुग में छह हजार वर्षों तक तपस्या की थी जिससे प्रसन्न हुए भगवान शंकर ने इन्हें प्रत्यक्ष दर्शन देकर इनको विख्यात ग्रन्थकार तथा अजर-अमर होने का वर दिया था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 519 |
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