"दीप से दीप जले -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार | गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार | ||
सतत मानवी की अँगुलियों तेरा हो | सतत मानवी की अँगुलियों तेरा हो श्रृंगार | ||
मानव की गति, मानव की धृति, मानव की कृति ढाल | मानव की गति, मानव की धृति, मानव की कृति ढाल | ||
सदा स्वेद-कण के मोती से चमके मेरा भाल | सदा स्वेद-कण के मोती से चमके मेरा भाल |
07:54, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण
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सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें |
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