"नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य": अवतरणों में अंतर

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'जंगली गधा अभयारण्य' के समान ही नारायण सरोवर भी कई जंगली जीवों का घर है, जिसमें स्तनधारी, सरीसृप और पक्षियों की अनेक प्रजातियों का समावेश होता है, जिसमें से 15 प्रजातियाँ अभी संकटग्रस्त हैं। यहाँ की मुख्य प्रजाति चिंकारा और भारतीय चिंकारा है। इस अभयारण्य के कठोर परिदृश्य में केवल वही प्राणी अच्छी तरह से रह सकते हैं, जो अत्यधिक [[गर्मी]], तेज हवाएँ और लगातार तुफ़ानो के बीच [[रेगिस्तान]] की जलवायु में अनुकुलन साध सकें। इसी कारणवश अन्यत्र नहीं दिखाई देने वाली प्रजातियाँ भी यहाँ दिखाई देती हैं।<ref name="aa">{{cite web |url= http://www.gujarattourism.com/showpage.aspx?contentid=257&webpartid=1151&lang=hindi|title= नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य|accessmonthday=11 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गुजरात टूरिज्म|language=हिन्दी}}</ref>
'जंगली गधा अभयारण्य' के समान ही नारायण सरोवर भी कई जंगली जीवों का घर है, जिसमें स्तनधारी, सरीसृप और पक्षियों की अनेक प्रजातियों का समावेश होता है, जिसमें से 15 प्रजातियाँ अभी संकटग्रस्त हैं। यहाँ की मुख्य प्रजाति चिंकारा और भारतीय चिंकारा है। इस अभयारण्य के कठोर परिदृश्य में केवल वही प्राणी अच्छी तरह से रह सकते हैं, जो अत्यधिक [[गर्मी]], तेज हवाएँ और लगातार तुफ़ानो के बीच [[रेगिस्तान]] की जलवायु में अनुकुलन साध सकें। इसी कारणवश अन्यत्र नहीं दिखाई देने वाली प्रजातियाँ भी यहाँ दिखाई देती हैं।<ref name="aa">{{cite web |url= http://www.gujarattourism.com/showpage.aspx?contentid=257&webpartid=1151&lang=hindi|title= नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य|accessmonthday=11 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= गुजरात टूरिज्म|language=हिन्दी}}</ref>


खतरे में पड़े चिंकारा विश्व के एकमात्र ऐसे हिरन हैं, जिनके नर और मादा दोनों के सींग होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार विश्व में क़रीब 7000 चिंकारा अस्तित्व में हैं। उसमें से 80 प्रतिशत [[गुजरात]] के [[कच्छ]] में रहते हैं और उनकी प्राथमिक जरूरत झाड़-झंकाड़ और झाड़ी वाला जंगल है, जो यहाँ सामान्य है। नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण जगह है। अभयारण्य में जंगली बिल्ली से लेकर स्याहगोश (केरेकल ) रण कि लोमी और खतरे मे पड़े भारतीय भेड़िया, टपकी वाले हिरनों से लेकर जंगली सूअर तक के अनेक स्तनपाई जीव रहते हैं। रेटल, अपनी सांप को मारने की क्षमता एवं तेंदुए, शेर, जहरीले सांप और मधुमक्खी के डंक से आक्रमक सुरक्षा के कारण इसने 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में सबसे निर्भय प्राणी का खिताब पाया है।
खतरे में पड़े चिंकारा विश्व के एकमात्र ऐसे हिरन हैं, जिनके नर और मादा दोनों के सींग होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार विश्व में क़रीब 7000 चिंकारा अस्तित्व में हैं। उसमें से 80 प्रतिशत [[गुजरात]] के [[कच्छ]] में रहते हैं और उनकी प्राथमिक ज़रूरत झाड़-झंकाड़ और झाड़ी वाला जंगल है, जो यहाँ सामान्य है। नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण जगह है। अभयारण्य में जंगली बिल्ली से लेकर स्याहगोश (केरेकल ) रण कि लोमी और खतरे मे पड़े भारतीय भेड़िया, टपकी वाले हिरनों से लेकर जंगली सूअर तक के अनेक स्तनपाई जीव रहते हैं। रेटल, अपनी सांप को मारने की क्षमता एवं तेंदुए, शेर, जहरीले सांप और मधुमक्खी के डंक से आक्रमक सुरक्षा के कारण इसने 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में सबसे निर्भय प्राणी का खिताब पाया है।
====वनस्पति====
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नारायण सरोवर अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा कांटेदार रेगिस्तान और झाड़-झंकाड़ वाला है। इसके साथ ही कुछ मौसमी आर्द्र भूमियाँ और सवाना प्रकार के वनस्पति के सूखे जंगल भी हैं। गोराड और बबूल  यहाँ कि प्रमुख वनस्पतियां हैं, पूर्व में गोराड और पश्चिम में बबूल काफ़ी उगता है। इसके अलावा निकट के इलाके में हरमो, [[बेर]], पीलु, थोर, गुगल, आक्रमक 'पागल बबुल' जैसी क़रीबन 252 प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।<ref name="aa"/>
नारायण सरोवर अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा कांटेदार रेगिस्तान और झाड़-झंकाड़ वाला है। इसके साथ ही कुछ मौसमी आर्द्र भूमियाँ और सवाना प्रकार के वनस्पति के सूखे जंगल भी हैं। गोराड और बबूल  यहाँ कि प्रमुख वनस्पतियां हैं, पूर्व में गोराड और पश्चिम में बबूल काफ़ी उगता है। इसके अलावा निकट के इलाके में हरमो, [[बेर]], पीलु, थोर, गुगल, आक्रमक 'पागल बबुल' जैसी क़रीबन 252 प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।<ref name="aa"/>

10:51, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य को 'नारायण सरोवर अभयारण्य' या 'नारायण सरोवर चिंकारा अभयारण्य' के नाम से भी जाना जाता है। यह अभयारण्य गुजरात राज्य के कच्छ ज़िले में लखपत तालुका में अवस्थित है। इस अभयारण्य की मुख्य प्रजाति चिंकारा और भारतीय चिंकारा है। इस अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा काँटेदार रेगिस्तान तथा झाड़-झंकाड़ वाला है। नारायण सरोवर अभयारण्य में 184 से भी अधिक पक्षियों की प्रजतियाँ पाई जाती हैं।

जैव विविधता

'जंगली गधा अभयारण्य' के समान ही नारायण सरोवर भी कई जंगली जीवों का घर है, जिसमें स्तनधारी, सरीसृप और पक्षियों की अनेक प्रजातियों का समावेश होता है, जिसमें से 15 प्रजातियाँ अभी संकटग्रस्त हैं। यहाँ की मुख्य प्रजाति चिंकारा और भारतीय चिंकारा है। इस अभयारण्य के कठोर परिदृश्य में केवल वही प्राणी अच्छी तरह से रह सकते हैं, जो अत्यधिक गर्मी, तेज हवाएँ और लगातार तुफ़ानो के बीच रेगिस्तान की जलवायु में अनुकुलन साध सकें। इसी कारणवश अन्यत्र नहीं दिखाई देने वाली प्रजातियाँ भी यहाँ दिखाई देती हैं।[1]

खतरे में पड़े चिंकारा विश्व के एकमात्र ऐसे हिरन हैं, जिनके नर और मादा दोनों के सींग होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार विश्व में क़रीब 7000 चिंकारा अस्तित्व में हैं। उसमें से 80 प्रतिशत गुजरात के कच्छ में रहते हैं और उनकी प्राथमिक ज़रूरत झाड़-झंकाड़ और झाड़ी वाला जंगल है, जो यहाँ सामान्य है। नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण जगह है। अभयारण्य में जंगली बिल्ली से लेकर स्याहगोश (केरेकल ) रण कि लोमी और खतरे मे पड़े भारतीय भेड़िया, टपकी वाले हिरनों से लेकर जंगली सूअर तक के अनेक स्तनपाई जीव रहते हैं। रेटल, अपनी सांप को मारने की क्षमता एवं तेंदुए, शेर, जहरीले सांप और मधुमक्खी के डंक से आक्रमक सुरक्षा के कारण इसने 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में सबसे निर्भय प्राणी का खिताब पाया है।

वनस्पति

नारायण सरोवर अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा कांटेदार रेगिस्तान और झाड़-झंकाड़ वाला है। इसके साथ ही कुछ मौसमी आर्द्र भूमियाँ और सवाना प्रकार के वनस्पति के सूखे जंगल भी हैं। गोराड और बबूल यहाँ कि प्रमुख वनस्पतियां हैं, पूर्व में गोराड और पश्चिम में बबूल काफ़ी उगता है। इसके अलावा निकट के इलाके में हरमो, बेर, पीलु, थोर, गुगल, आक्रमक 'पागल बबुल' जैसी क़रीबन 252 प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।[1]

पक्षी

अभयारण्य में 184 से भी अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बस्टार्ड की तीनों प्रजातियाँ- ग्रेट इन्डियन बस्टार्ड, हौबारा बस्टार्ड और लेसर फ्लोरिकन यहाँ पाई जाती है। साथ ही साथ ब्लेक पेट्रीज, 19 तरह के शिकारी पक्षी और वौडरफोल की अनेक प्रजातियाँ भी मिलती हैं। कोई भी पक्षी प्रेमी यहाँ से नाराज होकर नहीं जा सकता।

कैसे पहुँचें

सड़क मार्ग - यह भुज से 125 किलोमीटर दूर है। नरायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य के लिए बसें दिन में दो बार (सुबह और शाम) जाती हैं। हालांकि वहां के लिए केवल सार्वजनिक परिवहन उपलब्‍ध है। कोटेश्‍वर मंदिर, नरायण सरोवर के तट से मात्र 2 किलोमीटर दूर है, लेकिन पर्यटकों को लखपत (28 किलोमीटर) या नरायण सरोवर वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य (15 किलोमीटर) तक जाने के लिए निजी वाहन की आवश्‍यकता होगी, जो केवल भुज में किराए से लिये जा सकते हैं। किराए पर ली गयी कारों का किराया 5.50 रुपये प्रति किलोमीटर से 10 रुपये प्रति किलोमीटर तक है, जो कि वाहनों के प्रकारों और एसी की उपलब्‍धता पर निर्भर करता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य (हिन्दी) गुजरात टूरिज्म। अभिगमन तिथि: 11 जून, 2014।

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