"बावनी (मध्य प्रदेश)": अवतरणों में अंतर
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'''बावनी''' [[बुंदेलखंड]], [[मध्य प्रदेश]] में [[अंग्रेज़]] शासन काल के दौरान एक रियासत थी। इस रियासत का संस्थापक नवाब ग़ाज़ीउद्दीन था। यह [[हैदराबाद]] के निज़ाम और [[दिल्ली]] के [[मुग़ल]] बादशाह का मंत्री था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=625|url=}}</ref> | '''बावनी''' [[बुंदेलखंड]], [[मध्य प्रदेश]] में [[अंग्रेज़]] शासन काल के दौरान एक रियासत थी। इस रियासत का संस्थापक '''नवाब ग़ाज़ीउद्दीन''' था। यह [[हैदराबाद]] के निज़ाम और [[दिल्ली]] के [[मुग़ल]] बादशाह का मंत्री था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=625|url=}}</ref> | ||
*यह कहा जाता है कि जब ग़ाज़ीउद्दीन अपने [[पिता]] से रुष्ट होकर दक्षिण की ओर जा रहा था, उस समय [[पेशवा]] ने उसे यह जागीर दी थी। | *यह कहा जाता है कि जब ग़ाज़ीउद्दीन अपने [[पिता]] से रुष्ट होकर [[दक्षिण]] की ओर जा रहा था, उस समय [[पेशवा]] ने उसे यह जागीर दी थी। | ||
*ऐतिहासिक तथ्यों से यह जान पड़ता है कि जब गाजीउद्दीन ने [[1874]] ई. में पेशवा से संधि की तो उसने [[कालपी]] के पास ग़ाज़ीउद्दीन को बावन गाँवों की जागीर दी थी। | *ऐतिहासिक तथ्यों से यह जान पड़ता है कि जब गाजीउद्दीन ने [[1874]] ई. में पेशवा से संधि की तो उसने [[कालपी]] के पास ग़ाज़ीउद्दीन को '''बावन गाँवों''' की जागीर दी थी। | ||
*बावन गाँवों की इसी जागीर ने कालांतर में 'बावनी' | *बावन गाँवों की इसी जागीर ने कालांतर में '''बावनी रियासत''' का रूप धारण कर लिया। | ||
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10:43, 25 मई 2018 के समय का अवतरण
बावनी | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बावनी (बहुविकल्पी) |
बावनी बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश में अंग्रेज़ शासन काल के दौरान एक रियासत थी। इस रियासत का संस्थापक नवाब ग़ाज़ीउद्दीन था। यह हैदराबाद के निज़ाम और दिल्ली के मुग़ल बादशाह का मंत्री था।[1]
- यह कहा जाता है कि जब ग़ाज़ीउद्दीन अपने पिता से रुष्ट होकर दक्षिण की ओर जा रहा था, उस समय पेशवा ने उसे यह जागीर दी थी।
- ऐतिहासिक तथ्यों से यह जान पड़ता है कि जब गाजीउद्दीन ने 1874 ई. में पेशवा से संधि की तो उसने कालपी के पास ग़ाज़ीउद्दीन को बावन गाँवों की जागीर दी थी।
- बावन गाँवों की इसी जागीर ने कालांतर में बावनी रियासत का रूप धारण कर लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 625 |