"पांडुपोल हनुमान मंदिर, अलवर": अवतरणों में अंतर

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'''पांडुपोल हनुमान मंदिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pandupol Hanumanji Mandir'') [[राजस्थान]] के [[सरिस्का अभयारण्य|सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य]] के अंदर स्थित है। जिसमे [[हनुमान]] की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर [[अलवर]] में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह स्थान मंदिर परिसर में [[लंगूर]], मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35 फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है।
'''पांडुपोल हनुमान मंदिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pandupol Hanumanji Mandir'') [[राजस्थान]] के [[सरिस्का अभयारण्य|सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य]] के अंदर स्थित है। जिसमे [[हनुमान]] की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर [[अलवर]] में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह स्थान मंदिर परिसर में [[लंगूर]], मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35 फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है।
==महत्त्व==
==महत्त्व==

11:27, 5 नवम्बर 2020 का अवतरण

पांडुपोल हनुमान मंदिर, अलवर

पांडुपोल हनुमान मंदिर (अंग्रेज़ी: Pandupol Hanumanji Mandir) राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य के अंदर स्थित है। जिसमे हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर अलवर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह स्थान मंदिर परिसर में लंगूर, मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35 फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है।

महत्त्व

पांडुपोल का संबंध महाभारत के महाकाव्य की अवधि से माना जाता है। माना जाता है कि पांडवों ने निर्वासन के दौरान अपने जीवन कुछ साल पांडुपोल में बिताए थे। एक अन्य कथा के अनुसार, पांडुपोल वही स्थान था जहाँ हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया। पांडुपोल हनुमान मंदिर घूमने के लिए तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ प्रकृति व जीव प्रेमियों के लिए भी अलवर की शानदार जगहों में से एक है।[1]

इतिहास

पांडुपोल हनुमान मंदिर इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया जिससे पहाड़ में दरवाजा निकल गया और पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से स्थापित हो गया। एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहाँ भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था।

मेला

पांडुपोल हनुमान मंदिर का मेला अलवर का एक लोकप्रिय मेला है जो हर साल भादौ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है। जहाँ बड़ी संख्या में दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश व अन्य जगहों से श्रद्धालु आते हैं।

दर्शन समय व शुल्क

मंदिर पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से शाम 10.00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर तीर्थ यात्रियों के घूमने के लिए बिलकुल फ्री है, यहाँ मंदिर में घूमने के लिए पर्यटकों को किसी भी प्रकार के शुल्क का भुगतान नही करना होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलवर के आकर्षक स्थलों की जानकारी (हिंदी) hindi.holidayrider.com। अभिगमन तिथि: 05 नवंबर, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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