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[[गुजरात]] में जूनागढ़ के निकट पर्वत का नाम गिरनार है। यहाँ पर एक चट्टान पर मौर्य सम्राट [[अशोक]] का चतुर्दश शिलालेख अकिंत है। उसी चट्टान के दूसरी ओर [[शक]] क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख (150ई.) है, जिसमें मौर्य सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के आदेश से वहाँ पर सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख है। रुद्रदामन के जूनागढ़ लेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक के समय तुशाष्प नामक अधीनस्थ यवन राज्यपाल के रुप में सौराष्ट्र पर शासन करता था। | {{tocright}} | ||
[[गुजरात]] में [[जूनागढ़]] के निकट पर्वत का नाम गिरनार है। यहाँ पर एक चट्टान पर मौर्य सम्राट [[अशोक]] का चतुर्दश शिलालेख अकिंत है। उसी चट्टान के दूसरी ओर [[शक]] क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख (150ई.) है, जिसमें मौर्य सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के आदेश से वहाँ पर [[स्कन्दगुप्त#सुदर्शन झील|सुदर्शन झील]] के निर्माण का उल्लेख है। रुद्रदामन के जूनागढ़ लेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक के समय तुशाष्प नामक अधीनस्थ यवन राज्यपाल के रुप में सौराष्ट्र पर शासन करता था। | |||
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*गिरनार की एक पहाड़ी की तलहटी में अशोक के शिलालेख (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से युक्त एक चट्टान हैं। | |||
*मौर्य शासक चंद्रगुप्त] (चौथी शताब्दी ई.पू. का उत्तरार्द्ध) द्वारा सुदर्शन नामक झील बनाए जाने का उल्लेख भी इसी शिलालेख में मिलता है। | |||
इन दो महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रमाणों के आस-पास की पहाड़ियों पर [[सोलंकी वंश]] (961-1242) के राजाओं द्वारा बनवाए गए कई [[जैन]] मंदिर स्थित हैं। | |||
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इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रुप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हजार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था। | इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रुप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हजार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था। | ||
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गुजरात में जूनागढ़ के निकट पर्वत का नाम गिरनार है। यहाँ पर एक चट्टान पर मौर्य सम्राट अशोक का चतुर्दश शिलालेख अकिंत है। उसी चट्टान के दूसरी ओर शक क्षत्रप रुद्रदामन का अभिलेख (150ई.) है, जिसमें मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के आदेश से वहाँ पर सुदर्शन झील के निर्माण का उल्लेख है। रुद्रदामन के जूनागढ़ लेख से ज्ञात होता है कि सम्राट अशोक के समय तुशाष्प नामक अधीनस्थ यवन राज्यपाल के रुप में सौराष्ट्र पर शासन करता था।
इतिहास
- गिरनार की एक पहाड़ी की तलहटी में अशोक के शिलालेख (तीसरी शताब्दी ई.पू.) से युक्त एक चट्टान हैं।
- मौर्य शासक चंद्रगुप्त] (चौथी शताब्दी ई.पू. का उत्तरार्द्ध) द्वारा सुदर्शन नामक झील बनाए जाने का उल्लेख भी इसी शिलालेख में मिलता है।
इन दो महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रमाणों के आस-पास की पहाड़ियों पर सोलंकी वंश (961-1242) के राजाओं द्वारा बनवाए गए कई जैन मंदिर स्थित हैं।
तीर्थ स्थल
इन दोनों ऐतिहासिक अभिलेखों के अलावा गिरनार जैन मतावलम्बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहाँ मल्लिनाथ और नेमिनाथ के स्मारक बने हुए हैं। जैनों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख 1118 मीटर ऊँचे गिरनार पर्वत पर संगमरमर से बने 16 मन्दिर विशेष रुप से दर्शनीय हैं। ऊपर तक पहुँचने के लिए दर्शकों को पत्थरों से तराशी गयी दस हजार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। सबसे प्राचीन और विशाल मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का है, जिसका निर्माण 112वीं शताब्दी में हुआ था।
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