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*खासी पहाड़ी मध्य [[मेघालय]] राज्य में पूर्वोत्तर [[भारत]] में स्थित है।
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*दक्षिण में स्थित चेरापूंजी विश्व में सर्वाधिक औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। नयनाभिराम सुंदरता के कारण खासी पर्वतीय क्षेत्र को ''''पूर्व का स्कॉटलैंड'''' भी कहा जाता है।
*मेघालय की राजधानी शिलांग से बाहर की जनता का अधिकांश हिस्सा कृषि कार्य में संलग्न है, जिसमें घाटियों और पहाड़ की ढलानों पर सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला चावल प्रमुख फ़सल है।
*इस क्षेत्र के अन्य किसान झूम खेती करते हैं, वे पेड़ों को जलाकर भूमि साफ़ करके एक या दो वर्ष तक खेती करने के बाद अन्यत्र चले जाते हैं।
*सरकार इस अपव्ययकारी पद्धति को हतोत्साहित कर रही है और बदले में पारंपरिक खेती की भूमि पर स्थायी व्यवस्था पर ज़ोर दे रही है।
*खासी लोगों की विशेष संस्कृति मे मातृवंशीय सामाजिक व्यवस्था की परंपरा है, जो बाहरी धर्मों और आधुनिक क़ानूनी प्रभावों के कारण बदल रही है। पहाड़ी लोगों में से कई ने [[ईसाई धर्म]] स्वीकार कर लिया है।
 
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08:08, 13 दिसम्बर 2010 का अवतरण

  • खासी पहाड़ी मध्य मेघालय राज्य में पूर्वोत्तर भारत में स्थित है।
  • यहाँ का अधिकांश इलाक़ा पहाड़ी है, जिसमें शिलांग पठार शामिल है, यहाँ का अपवाह ब्रह्मपुत्र और सूरमा नदियों की सहायक धाराओं द्वारा होता है।
  • दक्षिण में स्थित चेरापूंजी विश्व में सर्वाधिक औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। नयनाभिराम सुंदरता के कारण खासी पर्वतीय क्षेत्र को 'पूर्व का स्कॉटलैंड' भी कहा जाता है।
  • मेघालय की राजधानी शिलांग से बाहर की जनता का अधिकांश हिस्सा कृषि कार्य में संलग्न है, जिसमें घाटियों और पहाड़ की ढलानों पर सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला चावल प्रमुख फ़सल है।
  • इस क्षेत्र के अन्य किसान झूम खेती करते हैं, वे पेड़ों को जलाकर भूमि साफ़ करके एक या दो वर्ष तक खेती करने के बाद अन्यत्र चले जाते हैं।
  • सरकार इस अपव्ययकारी पद्धति को हतोत्साहित कर रही है और बदले में पारंपरिक खेती की भूमि पर स्थायी व्यवस्था पर ज़ोर दे रही है।
  • खासी लोगों की विशेष संस्कृति मे मातृवंशीय सामाजिक व्यवस्था की परंपरा है, जो बाहरी धर्मों और आधुनिक क़ानूनी प्रभावों के कारण बदल रही है। पहाड़ी लोगों में से कई ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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