"उदयपुर पर्यटन": अवतरणों में अंतर

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*उदयपुर में विंटेज कार सिटी पैलेस है।  
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*विंटेज कार सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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*ये स्‍मारक चार दशकों में बने हैं।
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*उदयपुर के मानसून भवन को मूल रुप से सज्‍जन घर के नाम से जाना जाता था।  
*उदयपुर के मानसून भवन को मूल रुप से सज्‍जन घर के नाम से जाना जाता था।  
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*ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही [[मेवाड़]] के शासक हैं।  
*ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही [[मेवाड़]] के शासक हैं।  
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*उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है।
*उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है।
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*उदयपुर में मोती नगरी [[फतेह सागर]] के पास की पहाड़ी पर स्थित है।  
*उदयपुर में मोती नगरी [[फतेह सागर]] के पास की पहाड़ी पर स्थित है।  
*यहाँ प्रसिद्ध राजपूत राजा [[महाराणा प्रताप]] की मूर्ति है।  
*यहाँ प्रसिद्ध राजपूत राजा [[महाराणा प्रताप]] की मूर्ति है।  
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नागदा का प्राचीन शहर पहले [[रावल नागादित्‍य]] की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्‍दी में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्‍त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्‍तुशैली काफ़ी आकर्षक है।
नागदा का प्राचीन शहर पहले [[रावल नागादित्‍य]] की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्‍दी में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्‍त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्‍तुशैली काफ़ी आकर्षक है।
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====<u>टूस (मंदेसर)</u>====
====<u>टूस (मंदेसर)</u>====
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*टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है।
*टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है।

04:20, 20 दिसम्बर 2010 का अवतरण

उदयपुर पर्यटन
सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स उदयपुर
सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स उदयपुर
विवरण उदयपुर, पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला शहर है। यह ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है।
राज्य राजस्थान
ज़िला उदयपुर
स्थापना सन् 1559 ई. में महाराजा उदयसिंह द्वारा स्थापित
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 24°35 - पूर्व- 73°41
मार्ग स्थिति उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
प्रसिद्धि उदयपुर के अलावा झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्‍य कहीं नहीं देखने को मिलता है।
कब जाएँ अक्टूबर से फ़रवरी
हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में है।
रेलवे स्टेशन उदयपुर सिटी/UDZ रेलवे स्टेशन, उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन
बस अड्डा बस अड्डा उदयपुर
यातायात बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
क्या देखें महलें, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्‍मारक
क्या ख़रीदें यहाँ से हस्‍तशिल्‍प संबंधी वस्‍तुएँ, पेपर, कपड़े, पत्‍थर तथा लकड़ी पर बने चित्र ये सभी सरकार द्वारा संचालित राजस्‍थानी शोरुम से ख़रीदी जा सकती है।
एस.टी.डी. कोड 0294
गूगल मानचित्र
अद्यतन‎
उदयपुर उदयपुर पर्यटन उदयपुर ज़िला

राजस्थान, उदयपुर, उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्‍य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्‍मारक हैं। ये सभी चीजें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्‍वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब मेवाड़ ने पहली बार मुग़लों की अधीनता स्‍वीक‍ार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्‍थानों को घूमने के लिए दो और दिन देने चाहिए।

पर्यटन स्थल

सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स

सिटी पैलेस काम्पलेक्स पिछोला झील पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह द्वारा इस महल का निर्माण आरंभ किया गया था किन्‍तु आगे आने वाले महाराणाओं ने इस संकुल में कई महल और संरचनाओं को जोड़ा, इस पैलेस में संकल्‍पना की एक रूपता को बनाए रखा है। महल में प्रवेश करने का स्थान हाथी पोल की ओर से है। बड़ी पोल या बड़ा गेट त्रिपोलिया अर्थात तीन प्रवेश द्वारों में से एक है। एक समय में यह रिवाज था कि महाराणा इस प्रवेश द्वार के नीचे सोने और चाँदी से तौले जाते थे और फिर यह गरीबों में बाँट दिया जाता था।

सिटी पैलेस संग्रहालय

  • सिटी पैलेस महल का मुख्‍य हिस्‍सा अब एक संग्रहालय के रूप में सं‍रक्षित कर दिया गया है।
  • यह संग्रहालय कलात्‍मक वस्‍तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है।

सरकारी संग्रहालय

  • उदयपुर के सरकारी संग्रहालय में मेवाड़ से संबंधित शिलालेख रखे हुए हैं।
  • ये शिलालेख दूसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व से 19वीं शताब्‍दी तक हैं।

काँच गैलरी

  • उदयपुर की काँच गैलेरी धन के अपव्‍यय को दर्शाती है।
  • उदयपुर के राणा सज्‍जन सिंह ने 1877 ई. में इंग्‍लैण्‍ड की एफ. एंड. सी. ओसलर एण्‍ड कंपनी से काँच के सामानों की ख़रीददारी की थी।

विंटेज कार सिटी पैलेस

  • उदयपुर में विंटेज कार सिटी पैलेस है।
  • विंटेज कार सिटी पैलेस परिसर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बगोर की हवेली

  • उदयपुर के प्रधानमंत्री अमरचंद वादवा का निवास स्‍थान बगोर की हवेली था।
  • यह हवेली पिछोला झील के सामने है।

आहर

  • उदयपुर में आहर का उपयोग मेवाड़ के राजपरिवार के लोगों के क़ब्रिस्‍तान के रुप में होता है।
  • ये स्‍मारक चार दशकों में बने हैं।

मानसून भवन

उदयपुर के विभिन्न पर्यटन स्थलों के द्रश्य
सिटी पैलेस संग्रहालय
सिटी पैलेस संग्रहालय
सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर
विंटेज कार
विंटेज कार
विंटेज कार, उदयपुर
आहर
आहर
आहर, उदयपुर
मानसून भवन
मानसून भवन
मानसून भवन, उदयपुर
फ़तह सागर झील
फ़तह सागर झील
फ़तह सागर झील, उदयपुर
हल्‍दीघाटी
हल्‍दीघाटी
हल्दीघाटी, उदयपुर
जग निवास द्वीप
जग निवास द्वीप
जग निवास द्वीप, उदयपुर
सहेलियों की बाड़ी
सहेलियों की बाड़ी
सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर
कुंभलगढ़
कुंभलगढ़
कुंभलगढ़, उदयपुर
नागदा मन्दिर
नागदा मन्दिर
नागदा मन्दिर, उदयपुर
जगदीश मंदिर
जगदीश मंदिर
जगदीश मंदिर, उदयपुर
जग मंदिर
जग मंदिर
जग मंदिर, उदयपुर
बगोर की हवेली
बगोर की हवेली
बगोर की हवेली, उदयपुर
रणकपुर जैन मंदिर
रणकपुर जैन मंदिर
रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
पिछोला झील
पिछोला झील
पिछोला झील, उदयपुर
सिटी पैलेस
सिटी पैलेस
सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर
  • उदयपुर के मानसून भवन को मूल रुप से सज्‍जन घर के नाम से जाना जाता था।
  • इसे सज्‍जन सिंह के द्वारा 19वीं शताब्‍दी में बनवाया गया था।

उदयपुर की सात बहनें

  • उदयपुर की सात बहनें अर्थात सात झील।
  • उदयपुर के शासक जल के महत्‍व को समझते थे।

एकलिंगजी

  • उदयपुर में एकलिंगजी (23 किलोमीटर उत्तर) मंदिर परिसर कैलाश पुरी गाँव में स्थित है।
  • एकलिंगजी को शिव का ही एक रुप माना जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि एकलिंगजी ही मेवाड़ के शासक हैं।

हल्दीघाटी

  • उदयपुर में हल्दीघाटी (40 किलोमीटर उत्तर) स्थित है।
  • यह एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है।

नाथद्वार

  • उदयपुर के नाथद्वार (47 किलोमीटर उत्तर) में श्रीनाथजी का मंदिर है।
  • यह मंदिर पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायियों का सबसे पवित्र स्‍थान है।
  • श्रीनाथजी भगवान कृष्ण के ही रुप हैं।

कंकरोली तथा राजसमंद

  • उदयपुर में कंकरोली तथा राजसमंद ( 66 किलोमीटर उत्तर पूर्व) स्थित हैं।
  • राजसमंद झील कंकरोली तथा राजसमंद शहरों के बीच स्थित है।

राजसमंद झील

  • उदयपुर में राजसमंद झील (48 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व) भारत की सबसे बड़ा कृत्रिम झील है।
  • यह झील 88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • महाराणा जयसिंह ने इस झील का निर्माण 17वीं शताब्‍दी में गोमती नदी पर बाँध बनाकर किया था।

जग निवास द्वीप

  • उदयपुर में स्थित पिछोला झील पर बने द्वीप पैलेस में यह एक महल है|
  • जो अब एक सुविधाजनक होटल का रूप ले चुका है।

एकलिंगगढ़

  • उदयपुर में पहाड़ी पर एकलिंगगढ़ नाम का एक प्राचीन दुर्ग बना हुआ है।
  • यहाँ पिछोले के बड़ीपाल नामक बाँध के दक्षिणी किनारे से शुरु होकर तालाब के दक्षिणी तट के पास पहाड़ियों की एक श्रृंखला है।

शिल्पग्राम

सज्जनगढ़

मोती नगरी

सहेलियों की बाड़ी

  • उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी और दासियों के सम्मान में बना बाग़ एक सजा-धजा बाग़ है।

शहरपनाह

  • उदयपुर में शहरपनाह स्थित है।
  • इस शहर के तीन तरफ पक्की शहरपनाह हैं।

पुराना राजमहल

  • पुराना राजमहल उदयपुर शहर के दक्षिण की ओर पहाड़ी की ऊँचाई पर पिछोला झील के किनारे स्थित है।
  • यह जगह बहुत ही सुन्दर और प्राचीन शैली की है।

सज्जन निवास

  • उदयपुर में राजमहलों के नीचे सज्जन निवास नाम का बड़ा ही रमणीय और विस्तृत बगीचा है। इस बगीचे में कई फ़व्वारे लगे हुए हैं।
  • बगीचे के एक तरफ जगह-जगह पर विभिन्न जंतुओं व पक्षियों के रहने के स्थान निर्मित किये गये हैं।

धोला महल

  • उदयपुर के प्राचीन महलों में संगमरमर का बना हुआ धोला महल देखने लायक है।
  • इस महल के सामने ही एक नहर का हौज बना हुआ है।

खास ओदी तथा सीसारमा गाँव

  • खास ओदी नामक स्थान बाँध के दक्षिणी तट पर स्थित है, जहाँ पर सिंह-शूकर युद्ध के लिए चौकोर मकान बना हुआ है।
  • सीसारमा गाँव खास ओदी से कुछ दूर, पश्चिम में सरोवर के दक्षिणी सिरे के निकट है, जहाँ पर वैद्यनाथ नामक शिवालय देखने योग्य है।

कुंभलगढ़

उदयपुर में 25 मील उत्तर की ओर नाथद्वार से क़रीब अरावली की एक ऊँची श्रेणी पर कुंभलगढ़ का प्रसिद्ध क़िला बना हुआ है। इसकी ऊँचाई समुद्रतल से 3568 फुट है। महाराणा कुंभा (कुंभकर्ण) ने सन् 1458 (विक्रम संवत् 1515) में इस क़िले का निर्माण कराया था अतः इसे कुंभलमेर (कुभलमरु) या कुभलगढ़ का क़िला कहते हैं। मुसलमानों की कई बार चढ़ाईयों तथा बड़ी-बड़ी लड़ाईयों के कारण यह क़िला एक ख़ास ऐतिहासिक महत्व रखता है। महाराणा कुंभा ने इस सुन्दर दुर्ग के स्मरणार्थ कुछ सिक्के भी जारी किये थे जिस पर इसका नाम अंकित हुआ करता था।

जावर

उदयपुर से यह स्थान पर्वत-मालाओं के बीच 20 मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। जावर माला नामक स्थान एक ऊँची पहाड़ी के मध्य में है जहाँ महाराणा प्रताप अकबर के साथ लड़ाईयों के दौरान कभी-कभी रहा करते थे। यहाँ की आबादी महाराणा लाखा के समय चाँदी और शीशे की खानों में कार्य होने के कारण अच्छी थी लेकिन बाद में खान का कार्य बन्द हो जाने से जनसंख्या भी कम होती गई।

चावंड़

  • चावंड नाम का पुराना गाँव उदयपुर से खैरवाड़े जाने वाली सड़क पर परसाद गाँव से क़रीब 6 मील पूर्व की तरफ है।
  • यहाँ एक जैन-मंदिर है।

कांकड़ोली

  • कांकड़ोली गाँव नाथद्वारे से 10 मील की दूरी पर उत्तर में रासमुद्र के बांध के पास ही बसा हुआ है।
  • यहाँ वल्लभ सम्प्रदाय का द्वारिकाधीश (द्वारिकानाथजी) का मंदिर बना है।

धार्मिक स्थल

कल्याणपुर

  • कल्याणपुर मंदिर उदयपुर के दक्षिण में 77 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा यह मंदिर शैवपीठ के रुप में लोकप्रिय रहा है।
  • वर्त्तमान में यह मंदिर अत्यंत जीर्ण अवस्था में है।

आहड़

  • यह मेवाड़ क्षेत्र का मूर्तिकला की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण मंदिर है।
  • इसका प्राचीन नाम आघाटपुर, आटपुर तथा गंगोद्भेद तीर्थ है। यह मंदिर 9वीं व 10वीं शताब्दी में वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख केंद्र था।

उनवास

  • उनवास उदयपुर से 48 किलोमीटर की दू्री पर हल्दी घाटी के निकट स्थित है।
  • यह दुर्गा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर पिप्पलादमाता के नाम से विख्यात है।

जगत

  • जगत ऐतिहासिक अम्बिका मंदिर राजस्थान, उदयपुर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • मातृदेवी के इस मंदिर में मातृदेवताओं तथा दिक्पालों के अतिरिक्त किसी भी अन्य देव की प्रतिमा का न होना, इसे अन्य मंदिरों से अलग करता है।

नागदा

नागदा का प्राचीन शहर पहले रावल नागादित्‍य की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्‍दी में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्‍त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्‍तुशैली काफ़ी आकर्षक है।

टूस (मंदेसर)

रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
Ranakpur Jain Temple, Udaipur
  • टूस उदयपुर के समीप बेड़च नदी के तट पर स्थित है।
  • यहाँ का सूर्य मंदिर मूर्तिकला परंपरा के अध्ययन में विशेष महत्व रखता है।

ईसवाल

  • ईसवाल का मंदिर राजस्थान, उदयपुर से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • संवत् 1161 तथा संवत् 1242 के दो अभिलेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 11वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में निर्मित किया गया है।

जगदीश मंदिर

  • उदयपुर के जगदीश मंदिर की स्‍थापना 1651 ई. में हुई थी।
  • जगदीश मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ था।

जग मंदिर

जगमंदिर नामक पुराने महल जगनिवास से क़रीब आधे मील दूर दक्षिण में एक दूसरे विशाल टापू पर बने हुए हैं। उदयपुर में यह पिछोला झील पर बना एक अन्य द्वीप पैलेस है। उदयपुर का यह महल महाराजा करण सिंह द्वारा बनवाया गया था, किंतु महाराजा जगत सिंह ने इसका विस्तार कराया। इस महल से बहुत शानदार दृश्य दिखाई देते हैं, यहाँ के गोल्डन महल की सुंदरता दुर्लभ और भव्य है।

श्रीनाथजी

वल्लभ संप्रदाय के वैष्णवों के मुख्य उपास्य देवता श्रीनाथ जी का मंदिर उदयपुर से 30 मील तथा एकलिंग जी से 17 मील उत्तर में नाथद्वारा नामक स्थान पर स्थित है। नाथद्वारे को अपना पवित्र तीर्थ मानकर समस्त भारत के वैष्णव यात्रा के लिए यहाँ आते हैं। श्रीनाथ जी की मूर्ति के दर्शन यहाँ पुष्टिमार्ग के नियमानुसार ही समय-समय पर कराये जाने का प्रावधान है, इसे झाँकी कहते हैं।

चारभुजा

  • चारभुजा का प्रसिद्ध विष्णु-मंदिर कांकड़ोली से 10 मील दूर पश्चिम के गड़वोर गाँव में स्थित है।
  • मेवाड़ तथा मारवाड़ के बहुत से लोग यात्री यहाँ आते हैं और भाद्रपद सुदि 11 को यहाँ बड़ा मेला होता है।

रुपनारायण

  • रुपनारायण का प्रसिद्ध विष्णु मंदिर उदयपुर में चारभुजा से क़रीब तीन मील की दूरी पर सेवंत्री गाँव में स्थित है।
  • इस मंदिर की स्थापना सन् 1652 (विक्रम संवत् 1709) में हुई थी।

ॠषभदेव

उदयपुर से 39 मील दक्षिण में खैरवाड़े की सड़क के निकट कोट से घिरे घूलेव गाँव में ॠषभदेव का मंदिर है जो मेवाड़ में जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान के रुप में माना जाता है। यह स्थान विष्णु के 24 अवतारों में से आठवें अवतार के रुप में माने जाने के कारण हिन्दुओं का भी तीर्थ स्थल है। ॠषभदेव की भव्य और तेजस्वी प्रतिमा को केसरियानाथ के रुप में भी जाना जाता है।


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