No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
*[[वल्लभ संप्रदाय]] की वात्सल्य उपासना पद्धति में जो स्थान [[नन्द]] का है, [[राधावल्लभ सम्प्रदाय]] में वही स्थान वृषभानु का कहा जा सकता है। | *[[वल्लभ संप्रदाय]] की वात्सल्य उपासना पद्धति में जो स्थान [[नन्द]] का है, [[राधावल्लभ सम्प्रदाय]] में वही स्थान वृषभानु का कहा जा सकता है। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{कृष्ण2}} | {{कृष्ण2}}{{कृष्ण}}{{पौराणिक चरित्र}} | ||
{{कृष्ण}} | [[Category:पौराणिक चरित्र]] | ||
[[Category:कृष्ण]] | [[Category:कृष्ण]] | ||
[[Category:कृष्ण काल]] | [[Category:कृष्ण काल]] |
11:15, 28 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
- राधा के पिता तथा ब्रज के एक प्रतिष्ठित गोप के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- वृषभानु की पुत्री होने के कारण राधा का नाम वृषभानु कुमारी पड़ा।
- कृष्णभक्ति-काव्य में वृषभानु के चरित्र का गौण स्थान है।
- कृष्णभक्ति के सभी सम्प्रदायों के काव्य में वृषभानु कुमारी के नाम के साथ ही वे जाने जाते रहे है।
- राधावल्लभीय भक्त कवियों ने राधा की शैशव लीलाओं के प्रसंग में वृषभानु के राधा के प्रति वात्सल्य भाव का निरूपण किया है।
- वल्लभ संप्रदाय की वात्सल्य उपासना पद्धति में जो स्थान नन्द का है, राधावल्लभ सम्प्रदाय में वही स्थान वृषभानु का कहा जा सकता है।
संबंधित लेख
|