आसफ़ ख़ाँ (गियासबेग़ पुत्र)
- आसफ़ ख़ाँ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: आसफ़ ख़ाँ
आसफ़ ख़ाँ बादशाह अकबर के शासनकाल में फ़ारस से भारत आने वाले मिर्ज़ा गियासबेग़ का पुत्र और मेहरुन्निसा का भाई था। बाद में यही मेहरुन्निसा बादशाह जहाँगीर की मलका नूरजहाँ के नाम से अधिक विख्यात हुई। आसफ खाँ द्वितीय मिर्जा वदीउज्जमाँ के पुत्र थे और इनका जन्म काजवीन् नामक स्थान पर हुआ था। इनका असल नाम मिर्ज़ा जाफरबेग था और लोग इन्हें अलिफ खां भी कहते थे। सन् 1577 ई. में ये अपने मामा के पास भारत आए। इनके मामा अकबर के वजीर थे और उनकी उपाधि आसफ खां थी। मामा की सिफारिश पर अकबर ने इनकी नियुक्ति 'बख्शी' के पद पर कर दी। मामा की मृत्यु के पश्चात् इन्हें आसफ खां की उपाधि मिल गई। मुल्ला अहमद के मरने पर अकबर के आदेश से इन्होंने 'तारीख अलफ़ी' नामक इतिहास ग्रंथ लिखा। 1598 ई. में अकबर ने इन्हें 'वजीर आला' (प्रधान मंत्री) बना दिया। जहांगीर के शासनकाल में भी इन्हें पर्याप्त सम्मान मिला।
- आसफ खाँ कवि भी था और सुपंडित भी।
- 'शीरीं या खुसरी' नामक उत्कृष्ट काव्य की रचना आसफ खाँ ने ही की।
- आसफ़ ख़ाँ शाही सेवा में था और मुग़ल दरबार का एक प्रमुख ओहदेदार बन गया था।
- आसफ़ ख़ाँ की बेटी मुमताज़ महल बादशाह जहाँगीर के तीसरे बेटे शहज़ादा ख़ुर्रम (शाहजहाँ) को ब्याही थी।
- 1627 ई. में जहाँगीर की मौत के बाद आसफ़ ख़ाँ ने नूरजहाँ के उस षड़यंत्र को विफल कर दिया, जिसके द्वारा वह जहाँगीर के सबसे छोटे बेटे शहरयार को बादशाह बनाना चाहती थी।
- शहरयार को नूरजहाँ की बेटी ब्याही थी। आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ को बादशाह बनाने में सफलता प्राप्त की।
- बादशाह शाहजहाँ ने तख़्त पर बैठने के बाद अपने ससुर आसफ़ ख़ाँ को सल्तनत का वज़ीर बना दिया, जिस पद पर वह मृत्युपर्यन्त बना रहा।
- 1612 ई. में इनका देहावसान हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 461 |