अस्तगिरि पर्वत
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'पूर्वस्तत्रोदय गिरिर्जला धारस्तथापर:,
तथा रैवतक: श्यामस्तथेवास्त गिरिर्द्विज'।[1]
इस उद्धरण के प्रसंग के अनुसार अस्तगिरि शाकद्वीप के सात पर्वतों में से एक था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णु पुराण 2, 4, 61