ताम्रपर्णी श्रीलंका का प्राचीन नाम था।[1] सम्राट अशोक को सर्वाधिक सफलता 'ताम्रपर्णी' में मिली। ताम्रपर्णी का राजा तिस्स तो अशोक से इतना प्रभावित था कि उसने भी 'देवानांप्रिय' की उपाधि धारण कर ली। अपने दूसरे राज्याभिषेक में उसने अशोक को विशेष निमंत्रण भेजा। जिसके फलस्वरूप सम्भवतः अशोक का पुत्र महेन्द्र बोधिवृक्ष की पौध लेकर पहुँचा। श्रीलंका में यह बौद्ध धर्म का पदार्पण था।
इन्हें भी देखें: श्रीलंका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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भट्ट, जनार्दन अशोक के धर्मलेख (हिंदी)। नई दिल्ली: प्रकाशन विभाग, 118।
बाहरी कड़ियाँ
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