विश्व युवा दिवस
विश्व युवा दिवस
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आयोजन तिथि | 23 जुलाई से 28 जुलाई 2013 |
स्थान | रियो डी जेनेरो, ब्राज़ील |
संबंधित लेख | राष्ट्रीय युवा दिवस, अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस |
विश्व युवा दिवस का आयोजन 23 जुलाई से 28 जुलाई 2013 के मध्य ब्राज़ील के शहर रियो डी जेनेरो में हुआ।
भव्य आयोजन
धन्य जोन पौल द्वितीय के आह्वान पर 31 मार्च सन् 1985 में पहली बार अंतराष्ट्रीय विश्व युवा दिवस का भव्य आयोजन रोम के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में किया गया था। तब से प्रत्येक दो या तीन वर्ष के अंतराल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व युवा दिवस या वर्ल्ड यूथ डे (WYD) का आयोजन होता रहा है। विश्व युवा दिवस के प्रति पूरी दुनिया के लोगों ने जिस तरह का उत्साह दिखाया है वह अद्वितीय है। विश्व के अनेक यूरोपीय देशों के अलावे सन् 1995 ईस्वी में एशिया में फिलीपींस की राजधानी मनीला में युवाओं ने जिस तरह से इस आयोजन की ज़िम्मेदारी निभायी वह निश्चय ही तारीफ़-ए-काबिल है। प्रत्येक समारोह में ईसाइयों के महाधर्मगुरु संत पापा की पावन उपस्थिति और उनके जीवनोपयोगी वचनों से विश्व भर के युवाओं को अपार खुशी और एक अर्थपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त हुई है। विगत् विश्व युवा दिवस की तरह भारत के युवाओं में भी इस समारोह को लेकर भारी उत्साह देखा गया है। वैसे विश्व युवा दिवस के समारोहों का आधार काथलिक विश्वास है पर हज़ारों की संख्या में ग़ैरकाथलिक और भी इस समारोह में हिस्सा लेकर लाभान्वित होते रहे हैं।[1]
इतिहास
विश्व युवा दिवस काथलिक युवाओं का एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव है जो धन्य जोन पौल द्वितीय के पहल और आह्वान पर सन् 1985 ईस्वी में हुआ। इसी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व युवा वर्ष भी घोषित किया था। संत पापा जोन पौल ने इस अवसर को ही और ही अर्थपूर्ण बनाते हुए युवाओं के लिये एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की जिसका विश्व में युवा जगत् पर व्यापक प्रभाव होता रहेगा। विश्व युवा दिवस का आरंभ करने के पीछे जिस व्यक्तिगत प्रेरितिक अनुभव को जोड़ा जाता है वह सन् 1960 के दशक में संत पापा जोन पौल द्वितीय एक नवजवान पुरोहित के रूप में युवाओं के साथ कार्य करना। एक पुरोहित के रूप में जोन पौल द्वितीय (तब फादर करोल वोयतिवा) ने कराकोव के संत फ्लोरियन चर्च में रहकर विश्वविद्यालय में युवाओं का एक दल बनाया था जिसे पोलिस भाषा में ‘स्रोदोविस्को’ कहा था जिसको अंग्रेज़ी में सटीक अनुवाद तो नहीं किया जा सकता पर इसे ‘एनवायरनमेंट’ या ‘वातावरण’ के रूप में समझा जा सकता है। हालाँकि धन्य जोन पौल इसे ‘मिल्यु’ अर्थात् ‘परिवेश’ के रूप में समझा जा सकता है। ‘स्रोदोवस्को’ नामक इस दल में करीब 200 युवा शामिल होते थे जो अपने विचारों का आदान-प्रदान करते थे और यही स्वाभिव्यक्ति बाद में उन्हें आपसी समझदारी जीवन के मूल्यों को समझने में मदद देने लगा था। यह मित्रता का एक ऐसा केन्द्र था जहाँ इसके प्रतिभागी तो लाभान्वित हुए ही फादर करोल वोयतिवा ने भी अपने विचारों और सोचने के तौर-तरीकों में परिपक्वता प्राप्त की जिसका उपयोग उन्होंने एक पुरोहित धर्माध्यक्ष कार्डिनल और फिर ईसाइयों के धर्मगुरु ने किया।[1]
कैसे मनाएँ
परंपरागत रूप से विश्व युवा दिवस युवाओं का एक अंतराष्ट्रीय महासम्मेलन है पर इसमें जिस बात पर बल दिया जाता है वह है – ‘अनेकता में एकता’। एक ओर इसमें विभिन्न रंगों के झंडों, परिधानों, संगीतों व कलाओं के साथ युवा इस बात को दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे अलग पहचान लिये सम्मेलन में उपस्थित हैं तो दूसरी ओर एक साथ विभिन्न कार्यक्रमों जैसे प्रार्थना, चिंतन, संत पापा के साथ पैदल चलने और यूखरिस्तीय समारोह में भाग लेने के द्वारा इस बात का प्रदर्शन करते हैं कि वे एक हैं। अब तक (2013 तक) बारह अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस सम्पन्न हो चुके हैं। रोम में सन् 1985 में इसके सफल आयोजन के बाद अर्जेन्टिना के व्योनेस आयरेस सन् 1987 में स्पेन के सान्तियागो दे कोमपोस्तेला मे सन् 1989 में, पोलैंड के चेस्तोकोवा में सन् 1991 में इसका आयोजन किया था। सन् 1993 में अमेरिका के डेनवेर में 1995 में फिलीपींस के मनीला में जहाँ पाँच लाख युवाओं ने भाग लिया था जो संख्या के हिसाब से युवाओं के सबसे बड़ा सम्मेलन था। सन् 1997 में फ्रांस के पेरिस में, सन् 2000 में पुनः रोम में, सन् 2002 में कनाडा के टोरोन्टो में सन् 2005 में जर्मनी के कोलोन में इसका आयोजन किया था जिसमें पहली बार संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें उपस्थित हुए थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 विश्व युवा दिवस – एक परिचय (हिंदी) वाटिकन रेडियो। अभिगमन तिथि: 9 अगस्त, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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