रघुनंदन स्वरूप पाठक
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रघुनंदन स्वरूप पाठक या 'आर. एस. पाठक' (अंग्रेज़ी: Raghunandan Swarup Pathak, जन्म- 25 नवम्बर, 1924; मृत्यु- 17 नवम्बर, 2007) भारत के भूतपूर्व 18वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 21 दिसम्बर, 1986से 18 जून, 1989 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे। आर. एस. पाठक को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में भी चुना गया था। उन्होंने इस पद पर 1989 से 1991 तक कार्य किया। [1]
- न्यायमूर्ति आर. एस. पाठक का जन्म 25 नवम्बर, 1924 को बरेली (सन्युक्त प्रांत, आज़ादी पूर्व) में हुआ था।
- इनके पिता गोपाल स्वरूप पाठक तथा माता प्रकाशवती पाठक थीं।
- अपनी स्कूली शिक्षा आर. एस. पाठक ने सेंट जोसेफ़ कॉलेज, इलाहाबाद से प्राप्त की। बाद में क़ानून की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
- आर. एस. पाठक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर 21 दिसम्बर, 1986 से 18 जून, 1989 तक कार्यरत रहे।
- सन 1978 में आर. एस. पाठक भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बने और फिर 21 दिसम्बर, 1986 को देश के 18वें मुख्य न्यायाधीश बनाये गए।
- उन्हें एक ऐसे न्यायाधीश के रूप में याद किया जाता है, जो न्यायालय में सापेक्षिक शांति लाने में सक्षम था।
- आर. एस. पाठक ने ढाई साल तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। इस दौरान अदालत में एक दर्जन न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई।
- आर. एस. पाठक ने भोपाल गैस त्रासदी के लिए भुगतान किए जाने वाले मुआवजे के संबंध में 1989 में यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन और भारत सरकार के बीच अदालत के बाहर समझौता की सुविधा प्रदान की। सरकार ने 3.3 बिलियन डॉलर की मांग की थी, लेकिन केवल 470 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए और इस मामले में कार्बाइड के खिलाफ आपराधिक दायित्व के आरोपों को समाप्त करने के परिणामस्वरूप समझौता हुआ।
- अपनी सेवानिवृत्ति के तीन महीने के भीतर आर. एस. पाठक हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य बन गए।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रघुनंदन स्वरूप पाठक (हिंदी) www.mea.gov.in। अभिगमन तिथि: 22 अक्टूबर, 2016।
संबंधित लेख