भारतीय भाषा संस्थान
भारतीय भाषा संस्थान
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विवरण | 'केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान' मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है। |
स्थान | मैसूर, कर्नाटक |
स्थापना | 17 जुलाई, 1969 |
उद्देश्य | संस्थान बहुत-सी विस्तृत योजनाओं के जरिए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देता है और कई कार्यक्रमों का आयोजन करता है। |
क्षेत्रीय भाषा केन्द्र | भुवनेश्वर, पुणे, मैसूर, पटियाला, गुवाहाटी, सोलन तथा लखनऊ |
अन्य जानकारी | संस्थान के पुस्तकालय में भारतीय भाषाओं, भाषा विज्ञान एवं संबद्ध विषयों पर लगभग 63,500 पुस्तकें एवं 250 शैक्षिक पत्रिकाओं का संग्रह है। |
केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान मैसूर में स्थित है। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है, जिसकी स्थापना 17 जुलाई, 1969 में की गई थी। इसकी स्थापना भारत सरकार की भाषा नीति को तैयार करने और इसके कार्यान्वयन में सहायता करने तथा भाषा विश्लेषण, भाषा शिक्षा शास्त्र, भाषा प्रौद्योगिकी और समाज में भाषा प्रयोग के क्षेत्रों में अनुसंधान के द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास में समन्वय करने हेतु स्थापित की गई है। भारतीय भाषा संस्थान भाषा के मामलों में केंद्र व राज्य सरकारों को सलाह एवं सहायता प्रदान करता है।
कार्यक्रम
यह संस्थान बहुत-सी विस्तृत योजनाओं के जरिए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देता है। अपने उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान बहुत-से कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं-
भारतीय भाषाओं का विकास
इस योजना का आशय आदिवासी/लघु/अल्पसंख्यक वर्ग की भाषाओं सहित आधुनिक भारतीय भाषाओं में अनुसंधान, मानव संसाधन के विकास और सामग्री के सृजन के द्वारा भारतीय भाषाओं का विकास करना है।[1]
क्षेत्रीय भाषा केन्द्र
भुवनेश्वर, पुणे, मैसूर, पटियाला, गुवाहाटी, सोलन तथा लखनऊ स्थित इसके क्षेत्रीय भाषा केन्द्र सरकार के त्रिभाषा सूत्र के कार्यान्वयन तथा शिक्षण सामग्री को तैयार करने के लिए कार्य करते हैं। क्षेत्रीय भाषा केन्द्र शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करते हैं जिनमें राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रतिनियुक्त किए गए माध्यमिक स्कूल शिक्षकों को उनकी मातृभाषा से इतर अन्य भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाता है।
सहायता अनुदान योजना
सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान अधिक मात्रा में खरीद, आदिवासी भाषाओं सहित भारतीय भाषाओं (हिन्दी, उर्दू, सिंधी, संस्कृत और अंग्रेज़ी को छोड़कर) में पाण्डुलिपियों और छोटी पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहायता करके अलग-अलग व्यक्तियों और स्वयं सेवी संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है।[1]
राष्ट्रीय परीक्षण सेवा
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय अनुवाद मिशन की स्थापना की है, जिसका मुख्य उद्देश्य सभी अनुवाद कार्यकलापों, सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों रूपों में, जितना संभव हो सके उतनी अधिक भारतीय भाषाओं में क्लीयरिंग हाऊस के तौर पर कार्य करना है। इसके अतिरिक्त, मिशन विभिन्न स्तरों पर विभिन्न कार्यकलापों में अनूदित सामग्री के प्रयोक्ताओं और जन साधारण तथा निजी एजेंसियों के मध्य सम्पर्क भी स्थापित करता है।
अनुसंधान केंद्र
सामग्री उत्पादन- इस केंद्र के अंतर्गत इस अनुसंधान दल का गठन भारतीय भाषाओं में शिक्षण की पाठ्य-पुस्तकों को विकसित करने के साथ ही साथ अतिरिक्त पाठ्य-सामग्रियों के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हुआ था। यह दल मातृभाषा एवं द्वितीय भाषा प्रशिक्षुओं को मुख्य भारतीय भाषाएँ पढ़ाने के लिए प्राथमिक, विकसित एवं गहन निर्देशात्मक सामग्रियों का उत्पादन करता है। पुस्तकों का उत्पादन बड़ों एवं विद्यालय जाने वाले बच्चों दोनों के लिए होता है। इस प्रक्रिया के दौरान यह सामग्री तैयारी हेतु नवीन तकनीक भी विकसित करता है। अधिकांश शिक्षण सामग्रियाँ कार्यशालाओं में तैयार की जाती हैं जहाँ शिक्षक एवं अनुसंधानकर्ता परस्पर सहयोग से कार्य करते हैं। इस प्रकार से तैयार की गई पाठ्य-पुस्तकों का परीक्षण संबंधित क्षेत्र में प्रकाशित होने से पूर्व किया जाता है। सामग्री उत्पादक दल विभिन्न भारतीय भाषाओं में, नर्सरी कविताएँ, सचित्र शब्दावली, भाषाई खेल, सांस्कृतिक शब्द-संग्रह, अनुस्मरण शब्द-संग्रह एवं सामान्य शब्द-संग्रह जैसी अनुपूरक शिक्षण सामग्रियों के अलावा अब तक लगभग 240 शिक्षण एवं ज्ञान आधारित सामग्रियों का उत्पादन कर चुका है। यह दल स्त्रोत-संपन्न व्यक्तियों एवं भाषा शिक्षकों के लिए अभिविन्यास-कार्यक्रमों का संचालन भी करता है। यह भाषा शिक्षण हेतु पाठ्यक्रम विकास एवं सामग्री तैयारी के मामलों में परामर्श भी देता है।[2]
परीक्षण एवं मूल्यांकन
केंद्र के अधीन यह दल समस्त भारतीय भाषाओं के साहित्य एवं भाषा से संबंधित योग्यता परीक्षण, ज्ञान का मूल्यांकन, निष्पादन मापन, शिक्षण तकनीक इत्यादि पर मूलभूत अनुसंधान का संचालन करता है। यह दल पारिभाषिक शब्दावली, ग्रंथ-सूची एवं अलग-अलग प्रकार के मूल्यांकन पद्धतियों पर प्राथमिक संदर्भ सामग्रियों को विकसित करने में लगा हुआ है। इस दल ने भारतीय भाषाओं की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जाँच सामग्रियों, पद्धतियों व उद्देश्यों पर ‘सूचना सामग्रियों का एक आँकड़ा’ तैयार किया है जिसमें भाषा एवं साहित्य में विभिन्न गुणवत्तावाली अनुक्रमणिकाओं से युक्त विविध उद्देश्यों एवं स्तरों के लिए नाना प्रकार के संदर्भों में विविध विषय सम्मिलित हैं। दल ने विभिन्न एजेंसियों जैसे कर्मचारी चयन आयोग, प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) इत्यादि एवं सरकारी विभागों द्वारा संचालित परीक्षाओं एवं भर्ती परीक्षण हेतु विशिष्ट उपकरण भी विकसित किए हैं।
यह दल भाषाओं के आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार के एजेंसियों के लिए कार्यक्रमों एवं योजनाओं के मूल्यांकन से जुड़ा हुआ है। दल भाषा प्रवेशिकाओं का मूल्यांकन, मातृभाषा एवं द्वितीय भाषा दोनों के संदर्भ में शिक्षा के विभिन्न चरणों के लिए पाठ्य-पुस्तकों का उत्पादन, विभिन्न भाषाओं में स्नातक एवं स्नातकोत्तर दोनों पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम-विवरणों की पुनर्रचना एवं लक्ष्यों का पृथक्करण से जुड़ा हुआ है। यह कई शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालयों के व्यक्तिगत अनुसंधानकर्ताओं व अनुसंधान-दल को मार्गदर्शन भी प्रदान करता है एवं विभिन्न सरकारी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों एवं विदेशी एजेंसियों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रमों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करता है।
मुद्रणालय
1976 में फोर्ड फाउंडेशन अनुदान के अंतर्गत संस्थान ने मुद्रण की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपना निजी मुद्रणालय स्थापित किया, क्योंकि अपनी प्रकृति एवं आकार में इस संस्थान के प्रकाशन अत्यधिक तकनीकी हैं। छापाखाने में कैमरा, प्लेट बनाने हेतु यंत्र एवं जिल्दबंदी अनुभाग हैं। छापाखाने में डेस्कटॉप प्रकाशन सुविधा भी उपलब्ध है। इस छापाखाने में प्रतिवर्ष 12 पुस्तकों के औसत से अब तक 300 से अधिक पुस्तकें मुद्रित हो चुकी हैं।
पुस्तकालय
संस्थान में अत्यधिक विकसित तकनीकी पुस्तकालय है। मुद्रित पुस्तकों, लघुफ़िल्म/सूक्ष्मिका कार्ड, लघुफ़िल्म एवं दूसरी अन्य संचार-माध्यम की सामग्रियों से युक्त इस पुस्तकालय की संकल्पना बहु-संचार-माध्यम केंद्र के रूप में की गयी है। पुस्तकालय में भारतीय भाषाओं, भाषा विज्ञान एवं संबद्ध विषयों पर लगभग 63,500 पुस्तकें एवं 250 शैक्षिक पत्रिकाओं का संग्रह है। इसमें 12,564 लघुफ़िल्म/सूक्ष्मिका कार्ड, 850 लघुफ़िल्में, कैसेट्स एवं फिल्में संग्रहीत हैं।
प्रादेशिक केंद्र
संस्थान के पाँच क्षेत्रीय केंद्र 15 भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। इसके दो अतिरिक्त केंद्र भी हैं जो विशेष रूप से उर्दू शिक्षण एवं अनुसंधान को समर्पित हैं। प्रत्येक केंद्र में एक प्रधान, संबंधित शिक्षक वर्ग एवं सहायक प्रशासकीय व तकनीकी कर्मचारी हैं।[2]
क्रमांक | केंद्र का नाम | स्थान | स्थापना वर्ष | पढ़ाई जा नेवाली भाषाएँ |
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1. | पूर्व क्षेत्रीय भाषा केंद्र | लक्ष्मीनगर | 1970 | असमिया |
2. | पूर्व क्षेत्रीय भाषा केंद्र | भुवनेश्वर | बंगाली, उड़िया | |
3. | पश्चिम क्षेत्रीय भाषा केंद्र | दक्कन महाविद्यालय | 1970 | गुजराती |
4. | पश्चिम क्षेत्रीय भाषा केंद्र | पुणे | मराठी, सिन्धी | |
5. | दक्षिण क्षेत्रीय भाषा केंद्र | मानसगंगोत्री | 1970 | कन्नड़ |
6. | दक्षिण क्षेत्रीय भाषा केंद्र | मैसूर | मलयालम, तमिल, तेलुगू | |
7. | उत्तर क्षेत्रीय | पंजाब | 1970 | कश्मीरी |
8. | भाषा केंद्र | पटियाला विश्वविद्यालय | पंजाबी, उर्दू | |
9. | पूर्वोत्तर क्षेत्रीय | 3931, बेलटोला महाविद्यालय मार्ग | 1989 | मणिपुरी, नेपाली |
10. | भाषा केंद्र | गुवाहाटी | ||
11. | उर्दू शिक्षण एवं अनुसंधान | सैप्रोन सोलन हिमांचल प्रदेश | 1973 | उर्दू |
12. | उर्दू शिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र | 10-ए मोहनमोहन मालवीय मार्ग | 1984 | उर्दू |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान (हिंदी) mhrd.gov.in। अभिगमन तिथि: 21 मार्च, 2020।
- ↑ 2.0 2.1 भारतीय भाषा संस्थान (हिंदी) ciil.org। अभिगमन तिथि: 21 मार्च, 2020।
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