पीर मुहम्मद ख़ाँ
पीर मुहम्मद ख़ाँ मुग़ल साम्राज्य में बैरम ख़ाँ को नौकर था। पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556 ई.) के पश्चात पीर मुहम्मद ख़ाँ को हेमू की पत्नी का पीछा करने के लिए भेजा गया, क्योंकि वह ख़ज़ाना लेकर भाग गई थी। वापस लौटने पर वह बैरम ख़ाँ के विरोधी दल में सम्मिलित हो गया। इस पर बैरम ख़ाँ उसका विरोधी हो गया, उसका पद छीन लिया गया और उसे गुजरात भेज दिया गया। यह समझा गया कि पीर मुहम्मद ख़ाँ प्रतिहिंसा का शिकार बनाया गया है और बैरम ख़ाँ-विरोधी दल के समर्थन से उसे शीघ्र ही दरबार में वापस बुला लिया गया। उसे बैरम ख़ाँ की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए नियुक्त किया गया। 1560 ई. में बैरम ख़ाँ का पतन हो जाने तथा उसकी हत्या कर दिये जाने पर पीर मुहम्मद ख़ाँ को अदहम ख़ाँ का सहायक सेनापति बनाकर मालवा पर आक्रमण करने के लिए भेजा गया और मालवा को इस प्रकार जीत लिया गया। पीर मुहम्मद ख़ाँ ने मालवा में बंदी बनाये गये मुसलमानों के साथ अत्यन्त क्रूरता का व्यवहार करके अपने को कंलकित किया। अदहम ख़ाँ के हटा दिये जाने पर वह मालवा का सूबेदार बनाया गया। इसके बाद उसे ख़ानदेश पर हमला करने के लिए कहा गया, किन्तु उसकी फ़ौजों को खदेड़ दिया गया। नर्मदा नदी को दुबारा पार करते समय वह उसमें डूबकर मर गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 242।