विश्व शौचालय दिवस
विश्व शौचालय दिवस (अंग्रेज़ी: World Toilet Day) हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्व में 3.6 बिलियन लोगों के पास उचित शौचालय और स्वच्छता तक पहुंच नहीं है, जबकि 673 मिलियन लोग खुले में शौच करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सिंगापुर द्वारा प्रस्ताव पेश करने के बाद साल 2013 में 'वर्ल्ड टॉयलेट डे' (विश्व शौचालय दिवस) को संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित किया था। इससे पहले 2001 में सिंगापुर की एनजीओ 'वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन' द्वारा अनौपचारिक रूप से विश्व शौचालय दिवस की स्थापना की गई थी।
शुरुआत
विश्व शौचालय दिवस का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। साल 2001 में पहली बार इसकी शुरूआत विश्व शौचालय संगठन ने की थी। साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी ‘वर्ल्ड टॉयलेट डे’ मनाने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया था। विश्व शौचालय संगठन एक गैर लाभकारी संस्था है और यह दुनिया भर में स्वच्छता और शौचालय की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है।[1]
उद्देश्य
आज भी विश्व में कई करोड़ लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं या उनके पास इसकी सुविधा नहीं है। ऐसे में इस दिवस को मनाने के पीछे यही उद्देश्य और संदेश है कि विश्व के तमाम लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा मुहैया करा दी जाए। गौरतलब है कि सयुक्त राष्ट्र के 6 सतत विकास लक्ष्यों में से एक यह भी है।
महत्त्व
हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2001 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत विश्व शौचालय संगठन द्वारा की गई थी। वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस घोषित कर दिया गया। यह दिन लोगों को विश्व स्तर पर स्वच्छता के संकट से निपटने के लिए प्रेरित करता है। खुले में शौच करना मतलब बीमारियों को न्योता देना है। खुले में शौच करने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में हमें इन सारी चीजों का बेहद खास ध्यान देना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक विश्व में आज भी आधी से अधिक आबादी खासतौर पर भारत में लोग बिना शौचालय के जीवनयापन करने को मजबूर हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व शौचालय दिवस (हिंदी) india.com। अभिगमन तिथि: 20 नवंबर, 2021।