उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सुहाना (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:38, 23 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, गरीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

उठ महान ! तूने अपना स्वर
यों क्यों बेंच दिया?
प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण् का
पट क्यों खेंच दिया?

वे गाये, अनगाये स्वर सब
वे आये, बन आये वर सब
जीत-जीत कर, हार गये से
प्रलय बुद्धिबल के वे घर सब!

तुम बोले, युग बोला अहरह
गंगा थकी नहीं प्रिय बह-बह
इस घुमाव पर, उस बनाव पर
कैसे क्षण थक गये, असह-सह!

पानी बरसा
बाग ऊग आये अनमोले
रंग-रँगी पंखुड़ियों ने
अन्तर तर खोले;

पर बरसा पानी ही था
वह रक्त न निकला!
सिर दे पाता, क्या
कोई अनुरक्त न निकला?

प्रज्ञा दिग्वसना? कि प्राण का पट क्यों खेंच दिया!
उठ महान् तूने अपना स्वर यों क्यों बेंच दिया!

संबंधित लेख