यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:12, 8 जुलाई 2012 का अवतरण (Text replace - "दुनियाँ " to "दुनिया ")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, गरीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

    सपना है, जादू है, छल है ऐसा
    पानी पर बनती-मिटती रेखा-सा,
    मिट-मिटकर दुनिया देखे रोज़ तमाशा।

        यह गुदगुदी, यही बीमारी,
        मन हुलसावे, छीजे काया।

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

    वह आया आँखों में, दिल में, छुपकर,
    वह आया सपने में, मन में, उठकर,
    वह आया साँसों में से रुक-रुककर।

        हो न पुरानी, नई उठे फिर
        कैसी कठिन मोहनी माया!

हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।

संबंधित लेख