वर दो, लड़ने जाऊँगा -त्रिलोक सिंह ठकुरेला

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:34, 6 अक्टूबर 2014 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Trilok-Singh-Thaku...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
वर दो, लड़ने जाऊँगा -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
कवि त्रिलोक सिंह ठकुरेला
जन्म 1 अक्टूबर, 1966
जन्म स्थान नगला मिश्रिया, हाथरस, (उत्तर प्रदेश)
मुख्य रचनाएँ प्रकाशित- नया सवेरा (बाल साहित्य), काव्यगंधा (कुण्डलिया संग्रह)

सम्पादन- आधुनिक हिंदी लघुकथाएँ, कुण्डलिया छंद के सात हस्ताक्षर, कुण्डलिया कानन

इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

हल्दी-घाटी किधर पिताजी,
मैं भी लड़ने जाऊँगा ।
घोड़ा, भाला मुझे दिला दो,
मैं राणा बन जाऊँगा ।।

     बैरी के छक्के छूटेंगे,
     जब भाला चमकाऊँगा ।
     शत्रु भाग जायेंगे डर कर
     समर-भूमि जब जाऊँगा ।।

इतने पर भी डटे रहे वह
तो फिर रण होगा भारी ।
कट कर शीश अनेक गिरेंगे ,
देखेगी दुनिया सारी ।।

     चाहे शीश कटे मेरा भी
     तनिक नहीं घबराऊँगा ।
     पिता, आपका वीर-पुत्र हूँ,
     वर दो, लड़ने जाऊँगा ।।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख