सांब

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सांब जांबवती के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण के दस पुत्रों में से एक का नाम था। यह जांबवान रीछ का दौहित्र था।

पौराणिक उल्लेख

'भविष्यपुराण' के अनुसार सांब अत्यधिक सुंदर थे और इन्होंने बल्देव जी से अस्त्र विद्या सीखी थी। दुर्वासा तथा पिता के शाप से ये कोढ़ी हो गए थे, पर नारद ऋषि के परामर्श से सूर्य की मित्र नामक मूर्ति की स्थापना कर यह रोग मुक्त हो गए थे। सांब जहाँ सूर्य की उपासना करते थे, उस स्थान का नाम 'मित्रवण' पड़ा था। महाभारत के युद्ध में ये जरासंध आदि से खूब लड़े। सांबपुर नामक नगर सांब द्वारा ही बसाया गया था। दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा तथा श्वफलक की पुत्री वसुन्धरा इनकी दो पत्नियाँ थीं।[1]

ऋषियों का शाप

महाभारत युद्ध के बाद जब 26वाँ वर्ष आरंभ हुआ तो तरह-तरह के अपशकुन होने लगे। एक दिन महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका गए। वहां यादव कुल के कुछ नवयुवकों ने उनके साथ परिहास करने का सोचा। वे श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और कहा कि- "ये स्त्री गर्भवती है। इसके गर्भ से क्या उत्पन्न होगा?" ऋषियों ने जब देखा कि ये युवक हमारा अपमान कर रहे हैं तो क्रोधित होकर उन्होंने शाप दिया कि- "श्रीकृष्ण का यह पुत्र वृष्णि और अंधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए एक लोहे का मूसल उत्पन्न करेगा, जिसके द्वारा तुम जैसे क्रूर और क्रोधी लोग अपने समस्त कुल का संहार करोगे। उस मूसल के प्रभाव से केवल श्रीकृष्ण व बलराम ही बच पाएंगे।" श्रीकृष्ण को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कहा कि- "ये बात अवश्य सत्य होगी।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भागवत पुराण 10.68.1-3; 39-42; ब्रह्माण्ड पुराण- बलराम द्वारा हस्तिनापुर का आकर्षण

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