मंडोर उद्यान

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मंडोर उद्यान
मंडोर उद्यान, जोधपुर
मंडोर उद्यान, जोधपुर
विवरण 'मंडोर उद्यान' राजस्थान का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहाँ जोधपुर के शासकों के कई ऐतिहासिक स्मारक हैं।
राज्य राजस्थान
ज़िला जोधपुर
स्थान मंडोर
संबंधित लेख राजस्थान, राजस्थान पर्यटन, जोधपुर
अन्य जानकारी इस उद्यान में 'अजीत पोल', 'देवताओं की साल' व 'वीरों का दालान', मंदिर, बावड़ी, 'जनाना महल', 'एक थम्बा महल', नहर, झीलजोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के स्मारक बने है, जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं।

मंडोर उद्यान राजस्थान में जोधपुर से 9 किलोमीटर दूर मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर में स्थित है। यहाँ जोधपुर के शासकों के स्मारक हैं। कई ऊंचे-ऊंचे चट्टानी चबूतरे तथा एक बड़ी चट्टान में तराशी हुई देवी-देवताओं की पंद्रह आकृतियाँ यहाँ के मुख्या आकर्षण हैं। मंडोर अपने आकर्षक उद्यानों के कारण एक प्रचलित पिकनिक स्थल बन गया है।

इतिहास

मंडोर पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करती थी। राव जोधा ने मंडोर को असुरक्षित मानकर सुरक्षा के लिहाज से चिड़िया कूट पर्वत पर मेहरानगढ़ का निर्माण कर अपने नाम से जोधपुर को बसाया था तथा इसे मारवाड़ की राजधानी बनाया। वर्तमान में मंडोर दुर्ग के भग्नावशेष ही बाकी हैं, जो बौद्ध स्थापत्य शैली के आधार पर बना था। इस दुर्ग में बड़े-बड़े प्रस्तरों को बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।

स्थापत्य कला

आधुनिक काल में मंडोर में एक सुन्दर उद्यान बना है, जिसमें 'अजीत पोल', 'देवताओं की साल' व 'वीरों का दालान', मंदिर, बावड़ी, 'जनाना महल', 'एक थम्बा महल', नहर, झील व जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के स्मारक बने है, जो स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने हैं। इस उद्यान में देशी-विदेशी पर्यटको की भीड़ लगी रहती है। उद्यान में बनी कलात्मक इमारतों का निर्माण जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह व उनके पुत्र महाराजा अभय सिंह के शासन काल के समय सन 1714 से 1749 ई. के बीच किये गए थे। उसके पश्चात् जोधपुर के विभिन्न राजाओं ने इस उद्यान की मरम्मत आदि करवाकर शनै: शनै: इसे आधुनिक ढंग से सजाया और इसका विस्तार किया।

जनाना महल

उद्यान में स्थित जनाना महल में वर्तमान समय में राजस्थान के पुरातत्त्व विभाग ने एक सुन्दर संग्रहालय बना रखा है, जिसमें पाषाण प्रतिमाएँ, शिलालेख, चित्र एवं विभिन्न प्रकार की कलात्मक सामग्री प्रदर्शित है। जनाना महल का निर्माण महाराजा अजीत सिंह (1707-1724 ई.) के शासन काल में हुआ था, जो स्थापत्य कला की दृष्टि से एक बेजोड़ नमूना है। जानना महल के प्रवेश द्वार पर एक कलात्मक द्वार का निर्माण झरोखे निकाल कर किया गया है। इस भवन का निर्माण राजघराने की महिलाओं को राजस्थान में पड़ने वाली अत्यधिक गर्मी से निजात दिलाने हेतु कराया गया था। इसके प्रांगण में फव्वारे भी लगाये गए थे।

मंडोर उद्यान

महल प्रांगण में ही एक पानी का कुंड है, जिसे 'नाग गंगा' के नाम से जाना जाता है। इस कुंड में पहाडों के बीच से एक पानी की छोटी-सी धारा सतत बहती रहती है। महल व बाग़ के बाहर एक तीन मंजिली प्रहरी ईमारत बनी है। इस बेजोड़ ईमारत को 'एक थम्बा महल' कहते हैं। इसका निर्माण भी महाराजा अजीत सिंह के शासन काल में ही हुआ था।

महाराजाओं के स्मारक

मंडोर उद्यान के मध्य भाग में दक्षिण से उत्तर की ओर एक ही पंक्ति में जोधपुर के महाराजाओं के स्मारक ऊँची प्रस्तर की कुर्सियों पर बने हैं, जिनकी स्थापत्य कला में हिन्दू स्थापत्य कला के साथ मुस्लिम स्थापत्य कला का उत्कृष्ट समन्वय देखा जा सकता है। इनमें महाराजा अजीत सिंह का स्मारक सबसे विशाल है। स्मारकों के पास ही एक फव्वारों से सुसज्जित नहर बनी है, जो नागादडी झील से शुरू होकर उद्यान के मुख्य दरवाजे तक आती है। नागादडी झील का निर्माण कार्य मंडोर के नागवंशियों ने कराया था, जिस पर महाराजा अजीत सिंह व महाराजा अभय सिंह के शासन काल में बांध का निर्माण कराया गया था।

तनापीर की दरगाह

इस झील से आगे सूफ़ी संत तनापीर की दरगाह है, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहाँ दूर-दूर से यात्री दर्शनार्थ आते हैं। इस दरगाह के दरवाजों व खिड़कियों पर सुन्दर नक्काशी की हुई है। दरगाह पर प्रतिवर्ष उर्स के अवसर पर मेला लगता है। दरगाह के पास ही फ़िरोज़ ख़ाँ की मस्ज़िद है।

मंडोर उद्यान, जोधपुर
जोधपुर स्थित मंडोर उद्यान का दृश्य
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