विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस
विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस
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विवरण | विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस प्रतिवर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, निदान एवं उपचार के लिए वैश्विक जागरूकता पैदा करने के प्रति दिवस समर्पित है। |
उद्देश्य | दुनिया भर में लोगों को अपने मांसपेशी स्वास्थ्य एवं अपनी हड्डियों को सुरक्षित करने के प्रति जागरूक करना और जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण के लिए प्रेरित करना। |
तिथि | 20 अक्टूबर |
संबंधित लेख | विश्व स्वास्थ्य दिवस |
विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस प्रतिवर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिवस ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, निदान एवं उपचार के लिए वैश्विक जागरूकता पैदा करने के प्रति दिवस समर्पित है। इस वर्ष इस दिवस का विषय "अपनी हड्डियों को प्यार करें तथा अपने भविष्य को सुरक्षित करें" हैं। यह दिवस लोगों को अपने मांसपेशी स्वास्थ्य एवं अपनी हड्डियों को सुरक्षित करने के लिए जल्दी कार्रवाई तथा स्वास्थ्य अधिकारियों एवं चिकित्सकों को उनके समुदायों की हड्डियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने में प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस की विशेषता हड्डियों के ऊतकों की ख़राबी है। इस रोग में हड्डियां नाज़ुक एवं कमजोर हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी विशेषकर कूल्हे एवं कलाई के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं को मुख्यतः पचास वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों की तुलना में ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने का ख़तरा अधिक होता है।[1]
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां टूटने का खतरा अधिक होता है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे इसके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। पीठ में दर्द, कद का छोटा पड़ना या आगे की तरफ झुक जाना इसके कुछ महत्वपूर्ण लक्षण हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में दो करोड़ 60 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। प्राइमस सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ पंकज वालेछा के अनुसार, रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजेन हार्मोन कम बनने लगता है, जिससे हड्डियों के कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चे को जन्म देने के दौरान भी महिलाओं में कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिसकी भरपाई कर पाना अक्सर मुश्किल होता है। इसलिए 45 से 50 साल की जिन महिलाओं में मासिक धर्म अनियमित हो गया हो, उन्हें कैल्शियम लेना शुरू कर देना चाहिए।[2]
ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने वाले कारक
- लिंग- यह रोग महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद अधिकांशत: पाया जाता हैं।
- उम्र- ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने का ज़ोखिम पचास वर्ष की आयु से अधिक उम्र के लोगों को अधिक होता है।
- परिवार का इतिहास- ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने वाले माता-पिता या भाई-बहनों के पारिवारिक सदस्यों में ऑस्टियोपोरोसिस के विकसित होने का ज़ोखिम अधिक होता हैं।
- आहार संबंधी कारक- कम कैल्शियम एवं कम आहार का सेवन करना।
- दवाएं- लंबे समय तक सेवन की जाने वाली दवाएं जैसे कि स्टेरॉइड।
- जीवन-शैली कारक- अधिक बैठे रहने वाली/निष्क्रिय जीवनशैली, धूम्रपान एवं हद से ज़्यादा शराब का सेवन।[1]
लक्षण
- पीठ में दर्द।
- समय के साथ लम्बाई में कमी।
- शरीर का झुकना/झुकाव।
- कूल्हे या रीढ़ की हड्डी का फ्रैक्चर।
सुझाव
- कैल्शियम और विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों जैसे कि दूध, दही एवं हरी पत्तेदार सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें तथा प्राकृतिक धूप के संपर्क में रहें।
- हड्डियों की क्षति को रोकने के लिए नियमित व्यायाम करें।
- धूम्रपान एवं हद से ज़्यादा शराब का सेवन करने से बचें।
- अपने आप को तनाव से राहत दिलाने वाली गतिविधियों जैसे कि योग एवं ध्यान में व्यस्त रखें।
- अपने शरीर के वज़न, कैल्शियम एवं विटामिन डी के स्तर की नियमित जाँच रखें।
- हद से ज़्यादा शराब का सेवन करने से बचें। ऐसा करना ऑस्टियोपोरोसिस के ज़ोखिम को कम करता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस 2016 (हिन्दी) hi.nhp.gov.in। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2016।
- ↑ ऑस्टियोपोरोसिस से बचना है तो नियमित करें व्यायाम, धूप सेंकें (हिन्दी) jantajanardan.com। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2016।