रीतिगल
रीतिगल श्रीलंका के प्राचीन शहर अनुराधापुर में स्थित एक बौद्ध मठ है। इस मठ का निर्माण प्रारंभिक युग में हुआ। रीतिगल एक पर्वत श्रृंखला है जिसमें चार शिखर हैं। रहस्यमयी उत्पत्ति के कारण रीतिगल देश और विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मठ के ध्वंशावशेष तथा शिलालेख ईसापूर्व प्रथम शताब्दी के हैं। यह अनुराधापुर से 43 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। एक अद्वितीय प्रकृति रिजर्व का संरक्षण करते हुए रीतिगल को श्रीलंका के वन्यजीव और वन विभाग की सतर्क नजर के तहत प्रशासित किया जाता है।[1]
इतिहास
सत्तर पत्थर की गुफा का अस्तित्व ई. सन पूर्व शताब्दी प्रारंभ को दर्शाता है। इतिहास के अनुसार राजा पांडुकाभय के कार्यकाल में रीतिगल को 'अरित्थ पब्बत' कहा जाता था। आंतरिक अस्थिरता एवं परकीय आक्रमण के दौरान राजा रीतिगल मठ में शरण लेते थे। श्रीलंका में बौद्ध धर्म के जन्म के बाद से रीतिगल को एक मठ के रूप में मानते हैं। यहाँ के अवशेष देखकर पर्यटकों को पूर्वजों की आधुनिक संरचनाओं का ज्ञान होता है।
जलाशय
‘बण्डा पोकुना’ जलाशय एक सिंचाई का अत्याधुनिक उदाहरण है। रीतिगल की ऊँची जमीं पर बांधा गया यह जलाशय पर्यटकों को हमेशा आकर्षित करता है। यह माना जाता है कि मठवासी ‘बण्डा पोकुना’ जलाशय के जल को उनके रोज के काम तथा स्नान के लिए इस्तेमाल करते थे। विद्वान कहते हैं कि धार्मिक स्थल मानने से पहले इस जलाशय का उपयोग यात्रियों के द्वारा किया जाता था।
मिथक
रीतिगल नाम इसी नाम के विशालकाय मिथक से निकला है। दो दिग्गजों सोना और रीतिगल में बाजी मारी थी रीतिगल ने और विजेता बनी थी। हालांकि, पड़ोसी क्षेत्रों के निवासियों का मानना है कि सोना की आत्मा अभी भी यहां बनी हुई है। क्षेत्र का रहस्यवाद यहां तक कि रामायण की कथा के रूप में वापस चला जाता है। राम की पत्नी सीता की खोज में हनुमान लंका पहुंचे थे। जब उन्होंने अपने ठिकाने पर नज़र रखी तो वह अपनी खोज के बारे में अपने मित्र को बताने के लिए दक्षिण भारत में एक विशाल छलांग लगाने के लिए रीतिगल गये।
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