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[[1 फ़रवरी]] [[1955]] में जन्मे सतपाल को भारतीय कुश्ती के जनक [[गुरु हनुमान]] ने प्रशिक्षण दिया। उनके पिता चौधरी हुकुम सिंह व माता परमेश्वरी देवी धार्मिक विचारों के थे। वह एक कृषक परिवार से संबधित हैं। पांच वर्ष की उम्र में सतपाल को स्कूल भेजा गया। उस समय तक उन्हें [[हिंदी]] का जरा भी ज्ञान नही था। इसके बाद सतपाल को अगामी पढ़ाई के लिए दस वर्ष की उम्र में बिरला स्कूल, कमला नगर, [[नई दिल्ली]] में भेजा गया। घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण सतपाल ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।  उन्हें बचपन से ही खेलों के प्रति काफी रूझान था। वह काफी साहसी बालक थे और शारीरिक रूप से वह खेलों के अनुकूल थे। खेल क्षेत्र में सतपाल ने समय व्यतीत किया। बचपन में खेल की बारिकियां अपने पिता से सीखीं और बाद में गुरु हनुमान उनके मुख्य गुरु थे।<ref>{{cite web |url=http://www.divyahimachal.com/careers-and-jobs/career/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%B8%E0%A4%BF/ |title=कुश्ती के महाबली सतपाल सिंह |accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=दिव्य हिमाचल |language=हिंदी }} </ref>
 
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==प्रसिद्धि==
 
सतपाल का जादू सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि भारत के दूर-दराज इलाकों में इस कदर चला कि वो 'महाबली सतपाल' के नाम से मशहूर हो गए। अपने समय में एक-एक मुकाबले के लिए सतपाल को 3 लाख रुपए मिलते थे। अखाड़े को अलविदा कहने के बाद सतपाल नवयुवकों को हुनर सिखाने में लग गए। सतपाल दिल्ली सरकार में फिजिकल एड्युकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर हैं और स्कूल गेम्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। 2012 ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार गुरु सतपाल के पास ट्रेनिंग के लिए आए। सतपाल ने सुशील का पूरा जिम्मा खुद पर लिया और सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में पदक जीतकर तहलका मचा दिया। सुशील बाद में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हुए।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/news/40883/4/33 |title=देखें: इंडियन स्पोर्ट्स के लीजेंड- सतपाल सिंह|accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आईबीएन खबर |language=हिंदी }} </ref>
 
 
==खेल उपलब्धियाँ==
 
==खेल उपलब्धियाँ==
 
* एशियाई खेल 1974 तेहरान, कांस्य पदक
 
* एशियाई खेल 1974 तेहरान, कांस्य पदक
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* [[2009]] में [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]]  
 
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==प्रसिद्धि==
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सतपाल का जादू सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि भारत के दूर-दराज इलाकों में इस कदर चला कि वो 'महाबली सतपाल' के नाम से मशहूर हो गए। अपने समय में एक-एक मुकाबले के लिए सतपाल को 3 लाख रुपए मिलते थे। अखाड़े को अलविदा कहने के बाद सतपाल नवयुवकों को हुनर सिखाने में लग गए। सतपाल दिल्ली सरकार में फिजिकल एड्युकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर हैं और स्कूल गेम्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। 2012 ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार गुरु सतपाल के पास ट्रेनिंग के लिए आए। सतपाल ने सुशील का पूरा जिम्मा खुद पर लिया और सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में पदक जीतकर तहलका मचा दिया। सुशील बाद में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हुए।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/news/40883/4/33 |title=देखें: इंडियन स्पोर्ट्स के लीजेंड- सतपाल सिंह|accessmonthday=14 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आईबीएन खबर |language=हिंदी }} </ref>
  
 
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14:31, 14 दिसम्बर 2012 का अवतरण

सतपाल सिंह (अंग्रेज़ी: Satpal Singh, जन्म: 1 फ़रवरी, 1955) भारत के प्रसिद्ध कुश्ती पहलवान हैं। वे 1982 के एशियाई खेलों के स्वर्ण विजेता रह चुके हैं। वर्तमान में सतपाल सिंह दिल्ली में पहलवानों के प्रशिक्षण में संलग्न हैं। 2012 ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी उनके शिष्य रहे हैं। सतपाल पहलवान को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। सतपाल वर्तमान में दिल्ली के शिक्षा विभाग में उप शिक्षा निदेशक पद पर कार्य कर रहे हैं।

जन्म और शिक्षा

1 फ़रवरी 1955 में जन्मे सतपाल को भारतीय कुश्ती के जनक गुरु हनुमान ने प्रशिक्षण दिया। उनके पिता चौधरी हुकुम सिंह व माता परमेश्वरी देवी धार्मिक विचारों के थे। वह एक कृषक परिवार से संबधित हैं। पांच वर्ष की उम्र में सतपाल को स्कूल भेजा गया। उस समय तक उन्हें हिंदी का जरा भी ज्ञान नही था। इसके बाद सतपाल को अगामी पढ़ाई के लिए दस वर्ष की उम्र में बिरला स्कूल, कमला नगर, नई दिल्ली में भेजा गया। घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण सतपाल ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।  उन्हें बचपन से ही खेलों के प्रति काफी रूझान था। वह काफी साहसी बालक थे और शारीरिक रूप से वह खेलों के अनुकूल थे। खेल क्षेत्र में सतपाल ने समय व्यतीत किया। बचपन में खेल की बारिकियां अपने पिता से सीखीं और बाद में गुरु हनुमान उनके मुख्य गुरु थे।[1]

खेल उपलब्धियाँ

  • एशियाई खेल 1974 तेहरान, कांस्य पदक
  • राष्ट्रमंडल खेल 1974 ऑकलैंड, रजत पदक
  • एशियाई खेल 1978 बैंकॉक, रजत पदक
  • राष्ट्रमंडल खेल 1978 अदमोंटों, रजत पदक
  • एशियाई खेल 1982 दिल्ली, स्वर्ण पदक
  • राष्ट्रमंडल खेल 1982 ब्रिस्बेन, रजत पदक
  • एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता 1979, रजत पदक
  • एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता 1981, रजत पदक
  • विश्व कुश्ती प्रतियोगिता तेहरान, चौथा स्थान
  • विश्व कुश्ती प्रतियोगिता मंगोलिया, पांचवा स्थान
  • विश्व कुश्ती प्रतियोगिता एम्सटर्डम, छठां स्थान

सम्मान और पुरस्कार

प्रसिद्धि

सतपाल का जादू सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि भारत के दूर-दराज इलाकों में इस कदर चला कि वो 'महाबली सतपाल' के नाम से मशहूर हो गए। अपने समय में एक-एक मुकाबले के लिए सतपाल को 3 लाख रुपए मिलते थे। अखाड़े को अलविदा कहने के बाद सतपाल नवयुवकों को हुनर सिखाने में लग गए। सतपाल दिल्ली सरकार में फिजिकल एड्युकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर हैं और स्कूल गेम्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं। 2012 ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार गुरु सतपाल के पास ट्रेनिंग के लिए आए। सतपाल ने सुशील का पूरा जिम्मा खुद पर लिया और सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में पदक जीतकर तहलका मचा दिया। सुशील बाद में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हुए।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुश्ती के महाबली सतपाल सिंह (हिंदी) दिव्य हिमाचल। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।
  2. देखें: इंडियन स्पोर्ट्स के लीजेंड- सतपाल सिंह (हिंदी) आईबीएन खबर। अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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