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[[रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान]] के लिए प्रसिद्ध सवाई माधोपुर [[राजस्थान]] का प्रमुख शहर है। इस शहर की स्थापना सवाई माधो सिंह प्रथम ने की थी जो [[जयपुर]] के महाराजा थे। 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई माधोपुर द्वारा इस शहर की स्थापना करने के बाद उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम सवाई माधोपुर पड़ा। यह स्थान केवल राष्ट्रीय उद्यान के लिए ही नहीं बल्कि अपने मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर में हर मंदिर के साथ कोई-न-कोई कहानी जुड़ी हुई है। ख़ूबसूरत वास्तुशिल्प से सजे ये मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=168 |title=सवाई माधोपुर|accessmonthday=[[2 जून]] |accessyear=[[2011]] |last=मिश्रा |first=उमा|authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
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'''सवाई माधोपुर''' [[राजस्थान]] के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर '[[रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान]]' के लिए विश्व प्रसिद्ध शहर है। इस शहर की स्थापना [[सवाई माधोसिंह|सवाई माधोसिंह प्रथम]] ने की थी, जो [[जयपुर]] के महाराजा थे। 18वीं [[शताब्दी]] में महाराजा सवाई माधोसिंह द्वारा इस शहर की स्थापना करने के बाद उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम 'सवाई माधोपुर' पड़ा। यह स्थान केवल राष्ट्रीय उद्यान के लिए ही नहीं, बल्कि अपने मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर में हर मंदिर के साथ कोई-न-कोई कहानी जुड़ी हुई है। ख़ूबसूरत वास्तुशिल्प से सजे ये मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=168 |title=सवाई माधोपुर|accessmonthday=[[2 जून]] |accessyear=[[2011]] |last=मिश्रा |first=उमा|authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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==इतिहास==
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सवाई माधोपुर स्टेशन के निकट ही यह पुराना नगर बसा हुआ है। इसे [[जयपुर]] नरेश सवाई माधोसिंह ने बसाया था। ऐसा प्रतीत होता है कि [[रणथंभौर]] का प्रसिद्ध [[रणथंभौर क़िला|गढ़]] हाथ आने पर ही इसके निकट यह नगर महाराज ने बसाया था। प्राचीन नगर यद्यपि अब जीर्णशीर्ण दशा में है, किंतु बसाया यह काफी विस्तार से गया था। रणथंभौर का इतिहास प्रसिद्ध दुर्ग यहां से प्रायः छः मील दूर है। सवाई माधोपुर में तीन जैन मन्दिर और एक चैत्यालय है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=944|url=}}</ref>
 
==पर्यटन स्थल==                                       
 
==पर्यटन स्थल==                                       
सवाई माधोपुर का इतिहास रणथंभौर क़िले के आस-पास घूमता है। [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य]] और [[अरावली पर्वत शृंखला|अरावली]] से घिर रणथंभौर क़िले के बारे में अभी तक सही-सही पता नहीं चल पाया है कि इसका निर्माण कब हुआ था। इस क़िले की ताकत और दुर्गम रास्ता इसे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता था, विशेष रूप से [[दिल्ली]] और [[आगरा]] के शासक यहाँ पहुंचने में असमर्थ लगते थे। क़िले के प्रमुख शासक राव हमीर थे जिन्होंने 1296 के आसपास यहाँ शासन किया। क़िले का सुंदर वास्तुशिल्प, तालाब और झील इसके निर्माण के कला प्रेम और ज्ञान को दर्शाते हैं। क़िले का प्रत्येक हिस्सा भारतीय संस्कृति और दर्शन का प्रतीक है। क़िले के अंदर ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान हैं जसे तोरण द्वार, महादेव छत्री, सामतों की हवेली, 32 खंबों वाली छतरी, मस्जिद और गणेश मंदिर।  
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सवाई माधोपुर का इतिहास रणथंभौर क़िले के आस-पास घूमता है। [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य]] और [[अरावली पर्वत शृंखला|अरावली]] से घिर रणथंभौर क़िले के बारे में अभी तक सही-सही पता नहीं चल पाया है कि इसका निर्माण कब हुआ था। इस क़िले की ताकत और दुर्गम रास्ता इसे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता था, विशेष रूप से [[दिल्ली]] और [[आगरा]] के शासक यहाँ पहुंचने में असमर्थ लगते थे। क़िले के प्रमुख शासक [[हम्मीर देव|राव हमीर]] थे, जिन्होंने 1296 के आसपास यहाँ शासन किया। क़िले का सुंदर वास्तुशिल्प, तालाब और [[झील]] इसके निर्माण के कला प्रेम और ज्ञान को दर्शाते हैं। क़िले का प्रत्येक हिस्सा [[भारतीय संस्कृति]] और [[दर्शन]] का प्रतीक है। क़िले के अंदर ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान हैं, जसे- तोरण द्वार, महादेव छत्री, सामतों की हवेली, 32 खंबों वाली छतरी, मस्जिद और गणेश मंदिर।  
;राष्ट्रीय उद्यान  
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====राष्ट्रीय उद्यान====
[[रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान]] सवाई माधोपुर का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह उद्यान देश के बेहतरीन [[बाघ]] आरक्षित क्षेत्रों में से एक है। [[1981]] में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। 392 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान अरावली और विंध्य की पहाड़ियों में फैला है। यहाँ स्थित तीन झीलों के पास इन [[बाघ|बाघों]] के दिखाई देने की अधिक संभावना रहती है। बाघ के अलावा यहाँ चीते भी रहते हैं। यह चीते उद्यान के बाहरी हिस्से में अधिक पाए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए कचीदा घाटी सबसे उपयुक्त जगह है। बाघ और चीतों के अलावा सांभर, [[चीतल]], जंगली सूअर, चिंकारा, हिरन, सियार, [[तेंदुआ|तेंदुए]], जंगली बिल्ली और लोमड़ी भी पाई जाती है। जानवरों के अलावा पक्षियों की लगभग 264 प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। सर्दियों में अनेक प्रवासी पक्षी यहाँ आते हैं। यहाँ जीप सफारी का भी आनंद उठाया जा सकता है।  
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'[[रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान]]' सवाई माधोपुर का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह उद्यान देश के बेहतरीन [[बाघ]] आरक्षित क्षेत्रों में से एक है। [[1981]] में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। 392 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान अरावली और विंध्य की पहाड़ियों में फैला है। यहाँ स्थित तीन झीलों के पास इन [[बाघ|बाघों]] के दिखाई देने की अधिक संभावना रहती है। बाघ के अलावा यहाँ चीते भी रहते हैं। यह चीते उद्यान के बाहरी हिस्से में अधिक पाए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए कचीदा घाटी सबसे उपयुक्त जगह है। बाघ और चीतों के अलावा सांभर, [[चीतल]], जंगली सूअर, [[चिंकारा]], हिरन, सियार, [[तेंदुआ|तेंदुए]], जंगली बिल्ली और लोमड़ी भी पाई जाती है। जानवरों के अलावा पक्षियों की लगभग 264 प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। सर्दियों में अनेक प्रवासी पक्षी यहाँ आते हैं। यहाँ जीप सफारी का भी आनंद उठाया जा सकता है।  
;गणेश मंदिर  
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====गणेश मंदिर====
 
गणेश मंदिर सवाई माधोपुर का प्रमुख आकर्षण है। देश के हर हिस्से से हज़ारों लोग सुख समृद्धि के इस [[देवता]] का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।  
 
गणेश मंदिर सवाई माधोपुर का प्रमुख आकर्षण है। देश के हर हिस्से से हज़ारों लोग सुख समृद्धि के इस [[देवता]] का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।  
;अमरश्‍वर महादेव मंदिर  
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====अमरश्‍वर महादेव मंदिर====
 
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के रास्ते में ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच पवित्र अमरश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है। यह स्थान सवाई माधोपुर का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है।  
 
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के रास्ते में ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच पवित्र अमरश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है। यह स्थान सवाई माधोपुर का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है।  
;खंदर क़िला  
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====खंदर क़िला====
 
[[चित्र:Sawai-Madhopur-Railway-Station.jpg|thumb|250px|सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन]]
 
[[चित्र:Sawai-Madhopur-Railway-Station.jpg|thumb|250px|सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन]]
मध्यकाल में बना तारागढ़ का खंदर क़िला सवाई माधोपुर से 40 किमी दूर है। इस क़िले के निर्माण को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना तय है कि 12वीं शताब्दी में यह क़िला अपनी उन्नति के चरम पर था। इस क़िले का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुशैली में किया गया है। इसकी भौगोलिक स्थित कुछ ऐसी है कि दुश्मन के लिए इस पर आक्रमण करना कठिन होता था। इसलिए इस क़िले को अजेय क़िला भी कहा जाता था।<ref name="यात्रा सलाह"/>   
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[[मध्य काल]] में बना [[तारागढ़ का क़िला अजमेर|तारागढ़]] का खंदर क़िला सवाई माधोपुर से 40 कि.मी. दूर है। इस क़िले के निर्माण को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि 12वीं [[शताब्दी]] में यह क़िला अपनी उन्नति के चरम पर था। इस क़िले का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुशैली में किया गया है। इसकी भौगोलिक स्थित कुछ ऐसी है कि दुश्मन के लिए इस पर आक्रमण करना कठिन होता था। इसलिए इस क़िले को 'अजेय क़िला' भी कहा जाता था।<ref name="यात्रा सलाह"/>   
 
==यातायात और परिवहन==
 
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07:43, 4 अक्टूबर 2014 का अवतरण

सवाई माधोपुर राजस्थान के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर 'रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान' के लिए विश्व प्रसिद्ध शहर है। इस शहर की स्थापना सवाई माधोसिंह प्रथम ने की थी, जो जयपुर के महाराजा थे। 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई माधोसिंह द्वारा इस शहर की स्थापना करने के बाद उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम 'सवाई माधोपुर' पड़ा। यह स्थान केवल राष्ट्रीय उद्यान के लिए ही नहीं, बल्कि अपने मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर में हर मंदिर के साथ कोई-न-कोई कहानी जुड़ी हुई है। ख़ूबसूरत वास्तुशिल्प से सजे ये मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं।[1]

इतिहास

सवाई माधोपुर स्टेशन के निकट ही यह पुराना नगर बसा हुआ है। इसे जयपुर नरेश सवाई माधोसिंह ने बसाया था। ऐसा प्रतीत होता है कि रणथंभौर का प्रसिद्ध गढ़ हाथ आने पर ही इसके निकट यह नगर महाराज ने बसाया था। प्राचीन नगर यद्यपि अब जीर्णशीर्ण दशा में है, किंतु बसाया यह काफी विस्तार से गया था। रणथंभौर का इतिहास प्रसिद्ध दुर्ग यहां से प्रायः छः मील दूर है। सवाई माधोपुर में तीन जैन मन्दिर और एक चैत्यालय है।[2]

पर्यटन स्थल

सवाई माधोपुर का इतिहास रणथंभौर क़िले के आस-पास घूमता है। विंध्य और अरावली से घिर रणथंभौर क़िले के बारे में अभी तक सही-सही पता नहीं चल पाया है कि इसका निर्माण कब हुआ था। इस क़िले की ताकत और दुर्गम रास्ता इसे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता था, विशेष रूप से दिल्ली और आगरा के शासक यहाँ पहुंचने में असमर्थ लगते थे। क़िले के प्रमुख शासक राव हमीर थे, जिन्होंने 1296 के आसपास यहाँ शासन किया। क़िले का सुंदर वास्तुशिल्प, तालाब और झील इसके निर्माण के कला प्रेम और ज्ञान को दर्शाते हैं। क़िले का प्रत्येक हिस्सा भारतीय संस्कृति और दर्शन का प्रतीक है। क़िले के अंदर ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान हैं, जसे- तोरण द्वार, महादेव छत्री, सामतों की हवेली, 32 खंबों वाली छतरी, मस्जिद और गणेश मंदिर।

राष्ट्रीय उद्यान

'रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान' सवाई माधोपुर का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह उद्यान देश के बेहतरीन बाघ आरक्षित क्षेत्रों में से एक है। 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। 392 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान अरावली और विंध्य की पहाड़ियों में फैला है। यहाँ स्थित तीन झीलों के पास इन बाघों के दिखाई देने की अधिक संभावना रहती है। बाघ के अलावा यहाँ चीते भी रहते हैं। यह चीते उद्यान के बाहरी हिस्से में अधिक पाए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए कचीदा घाटी सबसे उपयुक्त जगह है। बाघ और चीतों के अलावा सांभर, चीतल, जंगली सूअर, चिंकारा, हिरन, सियार, तेंदुए, जंगली बिल्ली और लोमड़ी भी पाई जाती है। जानवरों के अलावा पक्षियों की लगभग 264 प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। सर्दियों में अनेक प्रवासी पक्षी यहाँ आते हैं। यहाँ जीप सफारी का भी आनंद उठाया जा सकता है।

गणेश मंदिर

गणेश मंदिर सवाई माधोपुर का प्रमुख आकर्षण है। देश के हर हिस्से से हज़ारों लोग सुख समृद्धि के इस देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।

अमरश्‍वर महादेव मंदिर

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के रास्ते में ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच पवित्र अमरश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है। यह स्थान सवाई माधोपुर का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है।

खंदर क़िला

सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन

मध्य काल में बना तारागढ़ का खंदर क़िला सवाई माधोपुर से 40 कि.मी. दूर है। इस क़िले के निर्माण को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि 12वीं शताब्दी में यह क़िला अपनी उन्नति के चरम पर था। इस क़िले का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुशैली में किया गया है। इसकी भौगोलिक स्थित कुछ ऐसी है कि दुश्मन के लिए इस पर आक्रमण करना कठिन होता था। इसलिए इस क़िले को 'अजेय क़िला' भी कहा जाता था।[1]

यातायात और परिवहन

रेल मार्ग

सवाई माधोपुर में रेलवे स्टेशन है जो राजस्थान को अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 11 और 12 के रास्ते सवाई माधोपुर पहुंचा जा सकता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 मिश्रा, उमा। सवाई माधोपुर (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2011
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 944 |

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