अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 50: | पंक्ति 50: | ||
*भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। '''[[नृत्य कला|.... और पढ़ें]]''' | *भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। '''[[नृत्य कला|.... और पढ़ें]]''' | ||
|- | |- | ||
− | | | + | | style="border:1px solid #f47f7f; padding:10px;" valign="top" class="bgkala" colspan="2" | |
+ | {| width="100%" align="left" cellpadding="0" cellspacing="0" style="background:transparent;" | ||
+ | |- | ||
+ | | colspan="3" | <div style="padding-left:5px; background:#fdbaba">'''चयनित चित्र'''</div> | ||
---- | ---- | ||
− | + | |- | |
− | [[चित्र: | + | | style="background:#fdbaba; width:5%;"| |
− | + | | style="width:90%;" valign="top" | | |
− | + | [[चित्र:Krishna-parents.jpg|300px|[[राजा रवि वर्मा]] द्वारा चित्रित [[कृष्ण]]-[[बलराम]]|center]] | |
− | + | | style="background:#fdbaba; width:5%" | | |
− | + | |- | |
− | + | | colspan="3"| | |
+ | ---- | ||
+ | <div style="text-align:center;">[[राजा रवि वर्मा]] द्वारा चित्रित [[कृष्ण]]-[[बलराम]]</div> | ||
+ | |} | ||
|} | |} | ||
पंक्ति 85: | पंक्ति 91: | ||
<categorytree mode=pages>कला</categorytree> | <categorytree mode=pages>कला</categorytree> | ||
|- | |- | ||
− | | style="border:1px solid # | + | | class="headbg22" style="border:1px solid #FFA6A6;padding:10px;" valign="top" colspan="2" | <div class="headbg21" style="padding-left:8px;">'''चयनित लेख'''</div> |
− | |||
− | |||
− | |||
---- | ---- | ||
− | + | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div> | |
− | + | [[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]] | |
− | + | *[[मथुरा]] की कलाकृतियों में पत्थर की प्रतिमाओं तथा प्राचीन वास्तुखण्डों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौनों का भी समावेश होता है। | |
− | [[चित्र: | + | *चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। |
− | | | + | *लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। |
− | + | *यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon> | |
− | + | *मथुरा शहर और उसके आसपास के क्षेत्र से यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं। '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]''' | |
− | |||
− | |||
− | | | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
07:38, 16 दिसम्बर 2010 का अवतरण
| ||||||||||||||||||||||||||||||
|