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*जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पलीताना में पर्वत शिखर पर एक से बढ़कर एक भव्य व सुंदर 863 जैन मंदिर हैं। | *जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पलीताना में पर्वत शिखर पर एक से बढ़कर एक भव्य व सुंदर 863 जैन मंदिर हैं। | ||
− | *सफ़ेद संगमरमर में बने इन मंदिरों की नक़्क़ाशी व मूर्तिकला विश्वभर में प्रसिद्ध है। | + | *सफ़ेद संगमरमर में बने इन मंदिरों की नक़्क़ाशी व [[मूर्तिकला]] विश्वभर में प्रसिद्ध है। |
− | *11वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों में संगमरमर के शिखर [[सूर्य देवता|सूर्य]] की रोशनी में चमकते हुये एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं तथा | + | *11वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों में संगमरमर के शिखर [[सूर्य देवता|सूर्य]] की रोशनी में चमकते हुये एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं तथा [[माणिक्य]] [[मोती]] से लगते हैं। |
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*पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक [[जैन]] अपना कर्त्तव्य मानता है। | *पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक [[जैन]] अपना कर्त्तव्य मानता है। | ||
*मंदिर के ऊपर शिखर पर सूर्यास्त के बाद केवल देव साम्राज्य ही रहता है। सूर्यास्त के उपरांत किसी भी इंसान को ऊपर रहने की अनुमति नहीं है। | *मंदिर के ऊपर शिखर पर सूर्यास्त के बाद केवल देव साम्राज्य ही रहता है। सूर्यास्त के उपरांत किसी भी इंसान को ऊपर रहने की अनुमति नहीं है। | ||
*पालीताना के मन्दिरों का सौन्दर्य व नक़्क़ाशी का काम बहुत ही उत्तम कोटि का है। इनकी कारीगरी सजीव लगती है। | *पालीताना के मन्दिरों का सौन्दर्य व नक़्क़ाशी का काम बहुत ही उत्तम कोटि का है। इनकी कारीगरी सजीव लगती है। | ||
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*आदिशवर देव के इस मंदिर में भगवान की आंगी दर्शनीय है। | *आदिशवर देव के इस मंदिर में भगवान की आंगी दर्शनीय है। | ||
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10:21, 10 मार्च 2012 का अवतरण
पालीताना शत्रुंजय नदी के तट पर शत्रुंजय पर्वत की तलहटी में स्थित जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है।
- जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पलीताना में पर्वत शिखर पर एक से बढ़कर एक भव्य व सुंदर 863 जैन मंदिर हैं।
- सफ़ेद संगमरमर में बने इन मंदिरों की नक़्क़ाशी व मूर्तिकला विश्वभर में प्रसिद्ध है।
- 11वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों में संगमरमर के शिखर सूर्य की रोशनी में चमकते हुये एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं तथा माणिक्य मोती से लगते हैं।
- पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का जैन धर्म में बहुत महत्त्व है।
- पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक जैन अपना कर्त्तव्य मानता है।
- मंदिर के ऊपर शिखर पर सूर्यास्त के बाद केवल देव साम्राज्य ही रहता है। सूर्यास्त के उपरांत किसी भी इंसान को ऊपर रहने की अनुमति नहीं है।
- पालीताना के मन्दिरों का सौन्दर्य व नक़्क़ाशी का काम बहुत ही उत्तम कोटि का है। इनकी कारीगरी सजीव लगती है।
- पालीताना का प्रमुख व सबसे ख़ूबसूरत मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का है।
- आदिशवर देव के इस मंदिर में भगवान की आंगी दर्शनीय है।
- दैनिक पूजा के दौरान भगवान का श्रृंगार देखने योग्य होता है।
- 1618 ई. में बना चौमुखा मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है।
- कुमारपाल, मिलशाह, समप्रति राज मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं।
- पालीताना में बहुमूल्य प्रतिमाओं आदि का भी अच्छा संग्रह है।
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