"धीरेन्द्र नाथ गांगुली" के अवतरणों में अंतर
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'''धीरेन्द्र नाथ गांगुली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhirendra Nath Ganguly'', जन्म: [[26 मार्च]] [[1893]] - मृत्यु: [[18 नवम्बर]] [[1978]]) बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध [[अभिनेता]] और फ़िल्म निर्देशक थे। धीरेन्द्र नाथ गांगुली को 'धीरेन गांगुली' या डी.जी. (D.G.) के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें सन् [[1975]] में [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था। | '''धीरेन्द्र नाथ गांगुली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhirendra Nath Ganguly'', जन्म: [[26 मार्च]] [[1893]] - मृत्यु: [[18 नवम्बर]] [[1978]]) बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध [[अभिनेता]] और फ़िल्म निर्देशक थे। धीरेन्द्र नाथ गांगुली को 'धीरेन गांगुली' या डी.जी. (D.G.) के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें सन् [[1975]] में [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था। | ||
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14:15, 17 फ़रवरी 2013 का अवतरण
धीरेन्द्र नाथ गांगुली
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पूरा नाम | धीरेन्द्र नाथ गांगुली |
प्रसिद्ध नाम | धीरेन गांगुली |
अन्य नाम | डी.जी. (D.G.) |
जन्म | 26 मार्च 1893 |
जन्म भूमि | कलकत्ता (अब कोलकाता) |
मृत्यु | 18 नवम्बर 1978 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता |
कर्म भूमि | पश्चिम बंगाल |
कर्म-क्षेत्र | फ़िल्म निर्देशक और अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | शेष निवेदन (1948), हल बांग्ला (1938), 'एक्सक्यूज मी, सर' (1934), बिलायत फिरत (1921), विद्रोही (1935) |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कलकत्ता में ही धीरेन गांगुली ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर इण्डो-ब्रिटिश फ़िल्म कम्पनी की स्थापना की। |
धीरेन्द्र नाथ गांगुली (अंग्रेज़ी: Dhirendra Nath Ganguly, जन्म: 26 मार्च 1893 - मृत्यु: 18 नवम्बर 1978) बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। धीरेन्द्र नाथ गांगुली को 'धीरेन गांगुली' या डी.जी. (D.G.) के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें सन् 1975 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जीवन परिचय
धीरेन गांगुली का जन्म 26 मार्च 1893 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। इन्होंने अपनी शिक्षा 'विश्व भारती विश्वविद्यालय', शांतिनिकेतन से ग्रहण की और बाद में हैदराबाद के राज्य आर्ट स्कूल में हेडमास्टर बने।
प्रमुख फ़िल्में
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'इण्डो-ब्रिटिश फ़िल्म कम्पनी' की स्थापना
कलकत्ता में ही धीरेन गांगुली ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर इण्डो-ब्रिटिश फ़िल्म कम्पनी की स्थापना की। 1921 में गांगुली ने एक व्यंग फिल्म 'इंग्लैण्ड रिटर्नड' (बिलाव फेरात) बनाई। फिल्म की कहानी एक ऐसे भारतीय पर केंद्रित थी जो बहुत लंबे समय बाद विदेश से अपने देश लौटता है। वापस लौटने के बाद उसके साथ क्या-क्या घटनाएं घटती है उसे व्यंग्यात्मक तरीके से प्रदर्शित किया गया था। यह फिल्म तब काफी सफल रही। इस फिल्म की सफलता को देखकर जमशेद जी ने इसके वितरण अधिकार खरीद लिए। बाद में इण्डो- ब्रिटिश फिल्म कम्पनी ने दो फिल्में बनाई और गांगुली फिर हैदराबाद चले आए। यहां उन्होंने दो सिनेमाघर तथा एक प्रयोगशाला स्थापित की। लोटस फिल्म कंपनी के बैनर तले उन्होंने हैदराबाद के निजाम के संरक्षण में 1923 से 1927 के बीच दस फिल्में बनाई। लेकिन जब ग्यारहवीं फिल्म 'रजिया सुल्तान' बनी तो निजाम नाराज हो गए और उन्होनें धीरेन गांगुली को हैदराबाद छोड़कर चले जाने को कहा। इस फिल्म में एक मुस्लिम महिला और एक हिन्दू युवक के बीच प्रेम दर्शाया गया था। धीरन कलकत्ता लौट गए और वहां उन्होंने ब्रिटिश डोमिनियन फिल्म् कम्पनी की स्थापना की। उधर कलकत्ता में जमशेद जी मदन और धीरन गांगुली सक्रिय हुए तो मुम्बई के बाद कोल्हापुर में बाबूराव पेंटर ने भी फिल्म निर्माण में हाथ आजमाया।[1]
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म भूषण (1974)
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1975)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मूक सिनेमा का दौर (हिंदी) सोचालय (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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