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*इस स्थान पर शिवाजी ने समर्थ रामदास से प्रथम भेंट की थी और यहीं पर वे उनके शिष्य बने गये थे।
 
*इस स्थान पर शिवाजी ने समर्थ रामदास से प्रथम भेंट की थी और यहीं पर वे उनके शिष्य बने गये थे।
*चाफल में समर्थ रामदास ने अपना एक मठ भी स्थापित किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=332|url=}}</ref>
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*चाफल में समर्थ रामदास ने अपना एक मठ भी स्थापित किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=332|url=}}</ref>
  
 
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08:46, 16 जून 2013 के समय का अवतरण

चाफल महाराष्ट्र का प्राचीन तीर्थ स्थान है, जिसका सम्बन्ध 'महाराष्ट्र केसरी' छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास से रहा है।

  • इस स्थान पर शिवाजी ने समर्थ रामदास से प्रथम भेंट की थी और यहीं पर वे उनके शिष्य बने गये थे।
  • चाफल में समर्थ रामदास ने अपना एक मठ भी स्थापित किया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 332 |

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