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==परिचय==
 
==परिचय==
 
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8 नवंबर, 2001 को राजस्थान के जयपुर में जन्मीं अवनि की जिंदगी में [[2012]] में एक बहुत बड़ा मोड़ आया। अविन जब 11 साल की थीं, तब एक कार एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी में गभीर चोट आई थी। इसके बाद वो हमेशा-हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आ गईं। हालांकि उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी आड़े नहीं आने दिया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया।  
 
==निशानेबाज़ी की शुरुआत==
 
==निशानेबाज़ी की शुरुआत==
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भारतीय निशानेबाज़ अवनि लखेरा ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 249.6 का पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया। [[चीन]] की क्यूपिंग झांग ने 248.9 के साथ सिल्वर और यूक्रेन की इरिना शचेतनिक ने 227.5 के साथ कांस्य पदक जीता। पैरालिंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वालीं अवनी चौथी भारतीय खिलाड़ी बनी हैं। उनसे पहले स्वीमर मुरलीकांत पेटकर ([[1972]]), भाला फेंक में [[देवेन्द्र झाझरिया]] ([[2004]] और [[2016]]) और ऊंची कूद में [[मरियप्पन थंगावेलु]] ([[2016]]) यह कारनामा अपने नाम कर चुके हैं। अवनि लखेरा पैरालिंपक में गोल्ड जीतने वालीं पहली महिला भारतीय हैं।
 
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[[2015]] में अवनि लखेरा ने अपनी ट्रेनिंग शुरू की और कुछ ही महीने बाद उन्होंने राजस्थान स्टेट चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड जीत लिया। इस चैम्पियनशिप के लिए अवनि ने अपने कोच से राइफल उधार ली थी। उसके कुछ महीनों बाद ही अवनि ने नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। [[2016]] से [[2020]] के बीच अवनि ने नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में 5 बार गोल्ड मेडल जीता। इसी साल यूएई में हुई पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में अवनि ने सिल्वर मेडल जीता था।
 
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12:45, 30 अगस्त 2021 का अवतरण

अवनि लखेरा
अवनि लखेरा
पूरा नाम अवनि लखेरा
जन्म 8 नवम्बर, 2001
जन्म भूमि जयपुर, राजस्थान
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र निशानेबाज़ी
प्रसिद्धि भारतीय पैरा निशानेबाज़
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी अवनि लखेरा पैरालिंपक में गोल्ड जीतने वालीं पहली महिला भारतीय हैं। उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 249.6 का पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया।
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अवनि लखेरा (अंग्रेज़ी: Avani Lekhara, जन्म- 8 नवम्बर, 2001, जयपुर, राजस्थान) भारत की पैरा निशानेबाज़ हैं। ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020 (टोक्यो पैरालंपिक्स) में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता है। पैरालंपिक्स के इतिहास में भारत का निशानेबाज़ी में ये पहला गोल्ड मेडल है। अवनि लखेरा ने महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने फाइनल में 249.6 अंक हासिल किए और वर्ल्ड रेकॉर्ड की बराबरी की।

परिचय

8 नवंबर, 2001 को राजस्थान के जयपुर में जन्मीं अवनि की जिंदगी में 2012 में एक बहुत बड़ा मोड़ आया। अविन जब 11 साल की थीं, तब एक कार एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी में गभीर चोट आई थी। इसके बाद वो हमेशा-हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर आ गईं। हालांकि उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी आड़े नहीं आने दिया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया।

निशानेबाज़ी की शुरुआत

अवनि लखेरा पढ़ाई पर ध्यान देती थीं और उनके पिता चाहते थे कि वो खेल पर भी ध्यान दें। उनके पिता ने उनसे कहा कि वो शूटिंग और तीरंदाजी दोनों में कोशिश करें और फिर कोई एक चुन लें। अवनि ने एक इंटरव्यू में बताया था, '2015 में मेरे पिता शूटिंग और तीरंदाजी दोनों में ले गए थे और मैंने दोनों की कोशिश की। पहली बार राइफल पकड़ने के बाद मुझे शूटिंग में ज्यादा जुड़ाव महसूस हुआ।' हालांकि उनकी शूटिंग चुनने की एक वजह अभिनव बिंद्रा भी हैं। अवनि ने अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफि 'अ शॉट एट हिस्ट्री' पढ़ी, जिसके बाद शूटिंग के प्रति वो और ज्यादा गंभीर हो गई। अवनि ने 2015 में जयपुर के जगतपुरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू की।

ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक, 2020

भारतीय निशानेबाज़ अवनि लखेरा ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 249.6 का पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया। चीन की क्यूपिंग झांग ने 248.9 के साथ सिल्वर और यूक्रेन की इरिना शचेतनिक ने 227.5 के साथ कांस्य पदक जीता। पैरालिंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वालीं अवनी चौथी भारतीय खिलाड़ी बनी हैं। उनसे पहले स्वीमर मुरलीकांत पेटकर (1972), भाला फेंक में देवेन्द्र झाझरिया (2004 और 2016) और ऊंची कूद में मरियप्पन थंगावेलु (2016) यह कारनामा अपने नाम कर चुके हैं। अवनि लखेरा पैरालिंपक में गोल्ड जीतने वालीं पहली महिला भारतीय हैं।

पहला पदक

2015 में अवनि लखेरा ने अपनी ट्रेनिंग शुरू की और कुछ ही महीने बाद उन्होंने राजस्थान स्टेट चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड जीत लिया। इस चैम्पियनशिप के लिए अवनि ने अपने कोच से राइफल उधार ली थी। उसके कुछ महीनों बाद ही अवनि ने नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2016 से 2020 के बीच अवनि ने नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में 5 बार गोल्ड मेडल जीता। इसी साल यूएई में हुई पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में अवनि ने सिल्वर मेडल जीता था।


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