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==परिचय==
 
==परिचय==
आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, सन 1940 को [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। उनका सम्बंध एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से था। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है। उनके पिता का नाम पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।
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====तैराकी की शुरुआत====
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आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, सन 1940 को [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] में हुआ था। उनका सम्बंध एक साधारण [[बंगाली भाषा|बंगाली]] [[हिन्दू]] [[परिवार]] से था। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है। उनके [[पिता]] का नाम पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।
जब आरती साहा चार वर्ष की थीं, वह अपने चाचा के साथ चंपताला घाट पर नहाने के लिए जाया करती थीं जहाँ उन्होंने तैरना सीख लिया था। जब उनके पिता ने देखा कि आरती की दिलचस्पी तैरने में है तो उन्होंने अपनी बेटी को हटखोला स्वीमिंग क्लब में भर्ती करा दिया। सन [[1946]] में मात्र पाँच वर्ष की आयु में आरती साहा ने शैलेन्द्र मेमोरियल स्वीमिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। यह उनके तैराकी कॅरियर की शुरुआत थी।
 
 
==कॅरियर==
 
==कॅरियर==
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आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल [[1949]] में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल [[1952]] में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।<ref>{{cite web |url= http://azabgazab.com/2017/01/10-intresting-facts-about-swimmer-arti-saha-gupta-in-hindi/|title=तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें |accessmonthday=24 जून |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=azabgazab.com |language=हिन्दी }}</ref>
 
आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल [[1949]] में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल [[1952]] में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।<ref>{{cite web |url= http://azabgazab.com/2017/01/10-intresting-facts-about-swimmer-arti-saha-gupta-in-hindi/|title=तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें |accessmonthday=24 जून |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=azabgazab.com |language=हिन्दी }}</ref>
 
भारतीय पुरुष तैराक [[मिहिर सेन ]] से प्रेरित होकर आरती साहा ने इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश की और [[29 सितम्बर]], [[1959]] को वे [[एशिया]] से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गईं। उन्होंने 42 मील की यह दूरी 16 घंटे 20 मिनट में तय कर ली थी। इंग्लिश चैनल को पार कर पहली एशियाई महिला के तौर पर आरती ने अपना नाम [[इतिहास]] में दर्ज करा लिया। आरती साहा ने यह करनामा 1959 में कर दिखाया था। इंग्लिश चैनल [[अटलांटिक महासागर]] की एक शाखा है, जो ग्रेट ब्रिटेन को उत्तरी फ्रांस से अलग करती है और उत्तरी सागर को अटलांटिक से जोड़ती है। इंग्लिश चैनल की लंबाई 560 किलोमीटर है, लेकिन तैरने के लिए इसकी मानक दूरी करीब 35 किलोमीटर है। तैराक को [[समुद्र]] में उठने वाले टाइड ([[ज्वार भाटा|ज्वार]]) बहाकर दूर ले जाते हैं, इसलिए उन्हें कम या ज्यादा भी तैरना पड़ता है।
 
 
आरती साहा ने अपने 6 साल स्टेट कॅरियर में कुल 22 इनाम जीते। ये सारे इनाम उन्होंने [[1945]] से [[1951]] के बीच जीते थे। उनके पास डॉली नजीर का रिकॉर्ड तोड़ने का भी एक नया रिकॉर्ड है। उन्होंने [[1951]] में बंगाल स्टेट मीट में 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में डॉली नजीर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 37.6 सेकंड का समय लिया था।
 
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
*[[1960]] में आरती साहा को '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया। 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाडी थीं।
 
*[[1960]] में आरती साहा को '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया। 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाडी थीं।
 
* [[भारतीय डाक]] ने भी उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए [[1998]] में एक [[डाक टिकट]] जारी किया था।
 
* [[भारतीय डाक]] ने भी उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए [[1998]] में एक [[डाक टिकट]] जारी किया था।
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
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*[https://www.bhaskar.com/news/MP-SAG-MAT-latest-sagar-news-044033-2740470-NOR.html 63 साल पहले इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई बनीं थी आरती]
 
*[https://www.bhaskar.com/news/MP-SAG-MAT-latest-sagar-news-044033-2740470-NOR.html 63 साल पहले इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई बनीं थी आरती]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
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आरती साहा विषय सूची
आरती साहा
आरती साहा
पूरा नाम आरती साहा गुप्ता
जन्म 24 सितम्बर, 1940
जन्म भूमि कोलकाता
मृत्यु 23 अगस्त, 1994
मृत्यु स्थान कोलकाता, पश्चिम बंगाल
अभिभावक पिता- पंचुगोपाल साहा
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र तैराकी
पुरस्कार-उपाधि 'पद्मश्री' (1960)
प्रसिद्धि तैराक
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख मिहिर सेन
अन्य जानकारी आरती साहा ने ही डॉली नजीर का रिकॉर्ड भी तोड़ने का कारनामा किया था। उन्होंने 1951 में बंगाल स्टेट मीट में 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में डॉली नजीर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 37.6 सेकंड का समय लिया था।

आरती साहा (अंग्रेज़ी: Arati Saha, जन्म- 24 सितम्बर, 1940, कोलकाता; मृत्यु- 23 अगस्त, 1994) भारत की प्रसिद्ध महिला तैराक थीं। वे भारत तथा एशिया की ऐसी पहली महिला तैराक थीं, जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था। आरती साहा ने यह करनामा वर्ष 29 सितम्बर, 1959 में कर दिखाया था और 1960 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। आरती साहा 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। उनको "हिंदुस्तानी जलपरी" कहा जाता है।

परिचय

आरती साहा का जन्म 24 सितम्बर, सन 1940 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनका सम्बंध एक साधारण बंगाली हिन्दू परिवार से था। उनका पूरा नाम आरती साहा गुप्ता है। उनके पिता का नाम पंचुगोपाल साहा था। आरती अपने पिता की तीन संतानों में दूसरी और दो बहनों में बड़ी थीं। उनके पिता सशस्त्र बल में एक साधारण कर्मचारी थे। जब आरती ढाई साल की थीं, तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके बड़े भाई छोटी बहन भारती को मामा के यहाँ रखा गया, जबकि आरती अपनी दादी के पास रहीं।

कॅरियर

आरती साहा की तैराकी प्रतिभा को सचिन नाग ने पहचाना और उसे तराशने का काम शुरू किया। साल 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकॉर्ड सहित राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने साल 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।[1]

पुरस्कार व सम्मान

  • 1960 में आरती साहा को 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। 'पद्मश्री' प्राप्त करने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाडी थीं।
  • भारतीय डाक ने भी उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए 1998 में एक डाक टिकट जारी किया था।

मृत्यु

आरती साहा का निधन 23 अगस्त, 1994 को पश्चिम बंगाल में हुआ। उनकी मौत की वजह पीलिया को माना जाता है, लेकिन मौत से पहले वे अपने जीवन को अपनी उपलब्धियों से अमर बना चुकी थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तैराक आरती साहा से जुड़ी 10 रोचक बातें (हिन्दी) azabgazab.com। अभिगमन तिथि: 24 जून, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

आरती साहा विषय सूची